कचरा घर बन रही निगम की करोड़ों रुपए की जमीन
एक तरफ कचरे का अम्बार, दूसरी पर मवेशियों का डेरा
नगर निगम के पास करोड़ों रुपए की जमीन होने के बाद भी उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे कहीं उन पर अतिक्रमण हो रहा है, तो कहीं कचरा घर बना हुआ है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में सीएडी रोड पर ही निगम के दो बड़े-बड़े भूखंड हैं। जिनकी कीमत करोड़ों रुपए है।
कोटा । नगर निगम के पास करोड़ों रुपए की जमीन होने के बाद भी उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे कहीं उन पर अतिक्रमण हो रहा है, तो कहीं कचरा घर बना हुआ है। नगर निगम कोटा दक्षिण क्षेत्र में सीएडी रोड पर ही निगम के दो बड़े-बड़े भूखंड हैं। जिनकी कीमत करोड़ों रुपए है। एक भूखंड बकरा मंडी के नाम से है जबकि दूसरा भूखंड उसके पास ही है। बकरा मंडी की जमीन पर कई सालों से अतिक्रमण हो रहा था। जिसे निगम अधिकारियों ने बड़ी मशक्कत से मुक्त कराया था। उसकी चार दीवारी ऊंची करवाकर लोहे का गेट लगाया था। जिससे इस पर दोबारा से अतिक्रमण नहीं हो सके। लेकिन हालत यह है कि उस भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने के बाद निगम अधिकारी उसका उपयोग नहीं कर सके। जबकि उस जगह पर बकरा मंडी ही खत्म कर दी है। वह जमीन वर्तमान में खाली पड़ी हुई है। जिस पर फिर से अतिक्रमण होने की तैयारी है। पीछे की दीवार तोड़कर वहां से मवेशी अंदर घुसने लगे हैं। कई लोग वहां कचरा डाल रहे हैं। निगम अधिकारी इस जमीन की नीलामी तक नहीं कर पाए। इतना ही नहीं इसके पास भी एक बड़ा भूखंड है। जिस पर ठेकेदारों के टिपरों के अलावा आस-पास के लोगों ने अपने वाहन खड़े कर रखे हैं। कारों से लेकर आॅटो तक तो खड़े ही हैं। साथ ही वहां कचरा डालने से वह कचरा घर बनकर रह गया है।
जबकि नगर निगम द्वारा इस भूखंड की चार दीवारी पर गेट के पास ही लिखवाया हुआ है कि इस परिसर मेंÞ अवैध रूप से प्रवेश कर वाहन खड़े करने पर उन्हें जब्त कर लिया जाएगा। साथ ही संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएग़ी। इतना स्पष्ट लिखने के बाद भी किसी पर उसका असर नहीं दिख रहा। पूरे परिसर में काफी संख्या में निजी वाहन खड़े हुए हैं। बस्ती के बीच होने से वहां कचरा डालने से वहां से दिनभर दुर्गंध फेलती रहती है। जबकि कई लग तो उस भूखंड होकर दूसरी तरफ जाने का रास्ता तक बनाया हुआ है। लोगों का कहना है कि उस जगह का उपयोग शौच जाने में किया जा रहा है। इतना ही नहीं इस भूखंड पर पहले लोहे का गेट लगा हुआ था। जिसे कुछ समय पहले लोगों ने तोड़ दिया था। लेकिन अब वह गेट भी वहां से गायब हो गया है। इसकी जानकारी तक निगम अधिकारियों को नहीं है। इनके अलावा भी सीएडी चौराहे से प्रताप नगर दादाबाड़ी के बीच में भी निगम का एक भूखंड है।
प्लॉट पर हुआ कब्जा
भूखण्ड पर कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण कर पत्थर का स्टॉक संचालित किया जा रहा है। निगम कार्यालय के नजदीक होने के बाद भी अधिकारी अतिक्रमियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। वहीं नगर निगम की पूर्व आयुक्त ने तो एक भूखंड पर टीनशेड लगाकर गैराज के रूप में उपयोग कर वाहन खड़े करने तक की योजना बना ली थी। लेकिन वह योजना अभी तक भी मूर्त रूप नहीं ले सकी है। जिससे निगम के अधिकतर वाहन दशहरा मैदान में खुले में पड़े हैं। जिससे धूप व बरसात में वे वाहन खराब हो रहे हैं। भाजपा पार्षदों का कहना है कि एक तरफ तो नगर निगम राजस्व बढ़ाने के लिए संसाधनों की कमी बता रहा है। जबकि निगम के पास करोड़ों-रुपए के भूखंड हैं। जिन पर अतिक्रमण हो रहे हैं। उन पर निगम अधिकारियों का ध्यान ही नहीं है। निगम कई सालों से उन भूखंडों को नीलाम तक नहीं कर सका। यदि निगम उन भूखंडों को नीलाम करे या उनका उपयोग करे तो उससे निगम को करोड़ों रुपए राजस्व मिल सकता है। इस बारे में नगर निगम कोटा दक्षिण के आयुक्त राजपाल सिंह का कहना है कि निगम के खालीे पड़े भूखंड़ों की स्थिति को दिखवाकर उन्हें उपयोग लायक बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
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