फिर रेपो दर में की वृद्धि

ग्राहकों पर महंगाई का बोझ बढ़ाया

फिर रेपो दर में की वृद्धि

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर ग्राहकों पर महंगाई का बोझ तो बढ़ाया ही है। गवर्नर शशिकांत दास की यह टिप्पणी भी समान रूप से चिंतित करने वाली है कि आगामी दिसंबर तक महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने  रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर ग्राहकों पर महंगाई का बोझ तो बढ़ाया ही है। गवर्नर शशिकांत दास की यह टिप्पणी भी समान रूप से चिंतित करने वाली है कि आगामी दिसंबर तक महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने ही चार साल बाद रेपो दर में अचानक 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी अब दूसरी बार की वृद्धि से रेपो दर 0.90 प्रतिशत तक बढ़ गई है। यानी बढ़ती महंगाई को देखते हुए केन्द्रीय बैंक ने सस्ते कर्ज के दौर से अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने का फैसला किया है। पिछले महीने रेपो दर बढ़ाने के साथ ही लोगों पर किस्तों का बोझ बढ़ गया था। अब रेपो दर में फिर वृद्धि से होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी। हालांकि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने तथा गेहूं निर्यात रोकने फैसलों से महंगाई पर कुछ अंकुश लगा है, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता तथा कच्चे तेल के दामों में तेजी के कारण महंगाई की चुनौती अभी बनी रहेगी। शीर्ष बैंक ने महंगाई दर का अनुमान 5.7 से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है, बशर्तें मानसून की स्थिति ठीक रहे और कच्चे तेल के दामों में अधिक इजाफा न हो। यानी मानसून ठीक नहीं रहा और कच्चे तेल के भाव स्थिर नहीं रहे, तो महंगाई की दर बढ़ सकती है।

महंगाई दर के अलावा इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा गया है। गवर्नर दास के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है और महंगाई बढ़ी है। इसे काबू करने के लिए ही सख्त कदम उठाने पड़े हैं। मौद्रिक नीति समिति का तो अनुमान है कि मुद्रास्फीति की दर वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में तय दायरे से अधिक रहेगी। ऐसा होने से केन्द्रीय बैंक पर दबाव बढ़ेगा और नीतिगत दरों में तेज से बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। कई अर्थशास्त्रियों ने भी अनुमान जताया है कि मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के संशोधित अनुमान से ऊपर रहेगी।  ऐसे में ब्याज दर और बढ़ सकती है। अब जब तक मुद्रास्फीति को लक्ष्य के करीब नहीं लाया जाता है। अनिश्चित ऐसी ही बनी रहेगी।

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