लिव-इन रिलेशन से जन्मे बच्चेें का पैतृक सम्पति मे होगा हक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
लड़का और लड़की अगर लंबे समय से साथ रह रहे है तो माना जाता हेै कि दोनो मे शादी हुई है। एविडेंस एक्ट की धारा 114
इन रिलेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है । लिव- इन रिलेशन में रह रहे पुरुष ओर महिला से जन्मे बच्चों को भी अब सम्पति में हक देना होगा। सम्पति के विवाद को लेकर था पुरा मामला। दो चचेरे भाई के बीच था सम्पति विवाद ।
लिव - इन रिलेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है । लिव- इन रिलेशन में रह रहे पुरुष ओर महिला से जन्मे बच्चों को भी अब सम्पति में हक देना होगा। सम्पति के विवाद को लेकर पुरा मामला था। दो चचेरे भाई के बीच सम्पति विवाद था। हाईकोर्ट ने इस केस मे सम्पति पर हक से मना कर दिया था। 2009 में केरल हाईकोर्ट ने लिव- इन रिलेशन में रह रहे पुरुष और महिला के बेटे को पैतृक सम्पति पर हक से मना कर दिया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बड़ा अहम फैसला सुनाया।
यह था पुरा मामला
यें मामला केरल का था। जह़ॉ संपति को लेकर विवाद चल रहा था । मामला अदालत पहुँचा , याचिकाकर्ता कतूकंड़ी इधातिल करनल वैघार की थी. कतूकंड़ी के चार बेटे थे - दामोदरन, अच्युतन, शेखरन और नारायण . याचिका कर्ता का कहना था कि की वो दामोदरन का बेटा है, वंही प्रतिवादी करुणाकरन का कहना कि वो अच्युतन का बेटा हे , शेखरन और नारायण की अविवाहित रहते हुए ही मौत हो गई थी। करुणाकरन का कहना था कि वही सिर्फ अच्युतन की इकलौती संतान है , बाकी तीनों भाई अविवाहित थे. उसका आरोप था कि याचिकाकर्ता की मां ने दामोदरन से शादी नहीं की थी , इसलिए वो वैध संतान नहीं हेै इसलिए उससे सपंति ने अधिकार नही होगा ।पुरे विवाद का कोर्ट पहुँचा, कोर्ट ने कहा की दामोदरन लंबे समय तक चिरुथाकुटी के साथ रहेे रहा था, इसलिए माना जा सकता है कि दोनो नें शादी की थी
सुप्रीम कोर्ट का फेैसला
ये पुरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने माना कि इस बात के सबूत है कि दामोदरन और चिरुथाकुटी लंबे समय तक पति - पत्नी के तरह साथ रह रहे थे । जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला सुनाया कि अगर कोई लड़का और लड़की अगर लंबे समय से साथ रह रहे है तो माना जाता हेै कि दोनो मे शादी हुई है। यह एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत माना जाता है।
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