30 लाख छात्रों का डेटा बेचने की कोशिश नाकाम

वीएमओयू : फोन, आधार और बैंक डिटेल एलुमनी एसोसिएशन के हवाले की जा रही थी , कुलपति ने दिए थे छात्रों की गोपनीय जानकारी निजी हाथों में सौंपने के निर्देश

30 लाख छात्रों का डेटा बेचने की कोशिश नाकाम

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 30 लाख से ज्यादा छात्रों की निजी जानकारियां (डेटा) लीक हो सकती हैं। इस डेटा में छात्रों के नाम और पते ही नहीं, उनके फोन नंबर, आधार कार्ड और बैंक खातों के साथ ही पढ़ाई से जुड़ी तमाम अति संवेदनशील जानकारियां शामिल हैं। वीएमओयू के छात्रों का डेटा लीक होने की भनक लगते ही राजभवन तक हड़कंप मच गया।

 कोटा। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 30 लाख से ज्यादा छात्रों की निजी जानकारियां (डेटा) लीक हो सकती हैं। इस डेटा में छात्रों के नाम और पते ही नहीं, उनके फोन नंबर, आधार कार्ड और बैंक खातों के साथ ही पढ़ाई से जुड़ी तमाम अति संवेदनशील जानकारियां शामिल हैं। वीएमओयू के छात्रों का डेटा लीक होने की भनक लगते ही राजभवन तक हड़कंप मच गया। राजभवन की फटकार के बाद रजिस्ट्रार ने छात्रों से जुड़ी कोई भी जानकारी अगले आदेश तक निजी हाथों में सौंपने पर रोक लगा दी है। हालांकि अभी तक कितने छात्रों का डेटा निजी हाथों में सौंपा गया है, इस बाबत विवि के अधिकारी स्पष्ट जानकारी देने से बच रहे हैं। कौशल विकास के नाम पर 8 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले के आरोपी वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा और ईएमपीसी (परीक्षा नियंत्रक) निदेशक प्रो. बी अरुण कुमार के एक और कारनामे से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के दोनों आला अधिकारियों ने प्लेसमेंट एजेंसी, स्किल डवलपमेंट सेंटर और निजी शिक्षण संस्थान के संचालकों और अनएथिकल डेटा माइनिंग करने वालों के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के करीब 30 लाख विद्यार्थियों का डेटा बेचने की साजिश रच डाली। पूरी साजिश को इतनी सफाई से अंजाम दिया गया कि विश्वविद्यालय में किसी को भनक तक नहीं लगी। लेकिन, जब डेटा वैरिफिकेशन का काम शुरू हुआ तो पूरे मामले की कलई खुल गई।

ऐसे हुआ खेल
ईएमपीसी के निदेशक एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. बी अरुण कुमार ने 8 जून 2022 को एक कार्यालय आदेश निकाला। जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक करीब 35 वर्ष तक पढ़ाई पूरी करने वाले सभी विद्यार्थियों का संपूर्ण डेटा जिसमें उनके नाम, पते और फोन नंबर के साथ बैंक एकाउंट, पुराने विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों की जानकारी, आधार कार्ड की जानकारी भी शामिल हैं, एलुमनी एसोसिएशन को सौंपने के आदेश दिए थे। इस कार्यालय आदेश में उन्होंने आगे भी छात्रों का डेटा एलुमनी एसोसिएशन को देने के निर्देश दिए हैं। मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए पहले तो विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, लेकिन प्रो. बी अरुण कुमार ने 14 जून 2022 को फिर से कार्यालय आदेश निकाल संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द डेटा सौंपने के मौखिक निर्देश दिए। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।

कुलपति गोदारा ने दिए थे निर्देश
वीएमओयू की स्थापना 23 जुलाई 1987 में हुई थी। जिसके बाद बीते 35 साल में करीब 30 लाख विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। राजस्थान ही नहीं देशभर में फैले छात्रों का डेटा निजी हाथों में सौंपने की वजह स्पष्ट न होने पर जब विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने सवाल उठाने शुरू किए तो प्रो. बी. अरुण कुमार ने एक और कार्यालय आदेश निकाल कर उसमें कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा का हवाला देते हुए लिखा कि यह सारा काम उनकी स्वीकृति से किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों ने डेटा तैयार करना भी शुरू कर दिया, लेकिन एलुमनी एसोसिएशन के नाम पर डेटा ले रहे अरुण त्यागी नाम के शख्स ने इसकी वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए कुछ छात्रों को रैंडमली फोन कर डेटा वैरिफाई करने का दवाब डाला। विवि के कर्मचारियों ने जब उन्हें फोन किया तो छात्रों को गड़बड़ी की आशंका हुई और कुछ ने जब विवि आकर जानकारी जुटाई तो पूरे खेल का पदार्फाश हो गया।

राजभवन ने लगाई फटकार
वीएमओयू के लाखों विद्यार्थियों की निजी जानकारी लीक होने की भनक लगते ही हाड़ौती संयुक्त छात्र मोर्चा के संयोजक नागेंद्र सिंह राणावत ने कुलाधिपति कलराज मिश्र को शिकायत मेल कर दी। राजभवन भेजी शिकायत में राणावत ने लिखा कि कुलपति प्रो. रतन लाल गोदारा का सिर्फ 65 दिन का कार्यकाल शेष बचा है, लेकिन वह नित नए घोटालों को अंजाम देने में लगे हैं। सीखो और कमाओ योजना में 8 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में राजभवन, मुख्यमंत्री और एसीबी जांच कर रही हैं। इसके बावजूद अब वह खुले बाजार में डेटा बेचने और डेटा माइनिंग करने वाले लोगों के साथ मिलकर वीएमओयू के लाखों छात्रों की अति संवेदनशील गोपनीय जानकारियां बेचने की कोशिश कर रहे हैं। किसी भी विद्यार्थी के बैंक खाते, आधारकार्ड और फोननंबर जैसी जानकारियां साइबर अपराधियों के हाथों में लग गई तो उन छात्रों का भविष्य बर्बाद हो सकता है। ऐसे में विद्यार्थियों का डेटा निजी हाथों में दिए जाने पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही बाहरी व्यक्ति अरुण त्यागी को यह डेटा क्यों दिया जा रहा है इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।

डेटा लीक होने की जानकारी मिलते ही मचा हड़कंप
यहां बाजारों में पहुंच गया था विद्यार्थियों का डाटा
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र उदयपुर के विद्यार्थियों की गोपनीय जानकारी वर्ष 2019 में लीक होकर बाजारों में पहुंच गई थी। डाटा का दुरुपयोग कंसलटेंसी फर्म अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कर रही थी। विद्यार्थियों को तरह-तरह के फोन आने लगे। मामला उजागर हुआ तो हड़कम्प मच गया था।

आसान नहीं पता लगाना
विशेषज्ञों के अनुसार, वीएमओयू की वेबसाइट से किसी भी विद्यार्थी का डेटा निकालना सामान्य स्थिति में आसान नहीं है, क्योंकि इसमें नाम तो सर्च किया जा सकता है, लेकिन मोबाइल नम्बर, आधार, पहचान पत्र सहित अन्य जानकारी लेने के लिए जन्म दिनांक दर्ज  करने पर ही यह डेटा खुलता है। ऐसे में डाटा तीसरे व्यक्ति तक पहुंचने से विद्यार्थी कई तरह की मुश्किलों में पड़ सकते हैं।

हजारों छात्र लेते हैं प्रवेश
प्रदेशभर के कई जिलों से प्रतिवर्ष हजारों विद्यार्थी वीएमओयू में प्रवेश लेते हैं। कोटा जिले से भी सैकड़ों विद्यार्थी प्रतिवर्ष अलग-अलग कोर्स में आवेदन करते हैं। गोपनीय जानकारी नाम ,पता, इमेल, फोन नम्बर , पहचान-पत्र आधार , बैंक खाता लीक होने से छात्र-छात्राएं   साइबर क्राइम के शिकार भी हो सकते हैं।

राजभवन ने छात्रों का डेटा निजी हाथों में सौंपने पर लगाई रोक
साइबर ठगी के हो सकते थे शिकार
विशेषज्ञोें के अनुसार, वीएमओयू एलुमनी सदस्यों को प्रदेशभर के विद्यार्थियों की गोपनीय जानकारी हासिल करने की मंशा पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नाम ,पता, इमेल, फोन नम्बर , पहचान-पत्र आधार, बैंक खाते की जानकारी अधिकतर टेलीकॉम व कंसलटेंट कंपनी अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए तो साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए इनका उपयोग करते हैं। यदि, यह डाटा निजी हाथों में पहुंच जाता तो विद्यार्थी भविष्य में साइबर क्राइम के शिकार भी हो सकते थे।

मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी। मेरी जानकारी के बिना ही स्टूडेंट्स का डाटा निजी हाथों में सौंपने के आदेश जारी कर दिए गए थे। राजभवन से फोन आने के बाद मामले की जानकारी हुई। जिसके बाद स्टूडेंट्स की गोपनीय जानकारी हुई। जिसके बाद विद्यार्थियों का डेटा किसी को भी दिए जाने पर रोक लगा दी  गई है।
- महेश मीणा, रजिस्ट्रार वीएमओयू

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