जानिए, राजस्थान की माटी में जन्मे उन सितारों के बारे में जिनसे संगीत की दुनिया सजी

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जानिए, राजस्थान की माटी में जन्मे उन सितारों के बारे में जिनसे संगीत की दुनिया सजी

राजस्थान का रंग और उसकी महक यहां के संगीत के घरानों से निकल कर पूरी दुनिया में फैली है। एक फनकार थे खेमचंद प्रकाश, जिन्होंने दुनिया को लता मंगेशकर और किशोर कुमार से मिलवाया। सुजानगढ़ में जन्मे खेमचंद ने लता से फिल्म महल (1949) में आएगा आने वाला गवाकर उनको प्रसिद्ध किया तो किशोर कुमार से जिद्दी (1948) में मरने की दुआएं क्यूं मांगूं, जीने की तम्मना कौन करे गवाया।

 
जयपुर। राजस्थान का रंग और उसकी महक यहां के संगीत के घरानों से निकल कर पूरी दुनिया में फैली है। एक फनकार थे खेमचंद प्रकाश, जिन्होंने दुनिया को लता मंगेशकर और किशोर कुमार से मिलवाया। सुजानगढ़ में जन्मे खेमचंद ने लता से फिल्म महल (1949) में आएगा आने वाला गवाकर उनको प्रसिद्ध किया तो किशोर कुमार से जिद्दी (1948) में मरने की दुआएं क्यूं मांगूं, जीने की तम्मना कौन करे गवाया। दान सिंह संगीतकार खेमचंद के चेले थे, जिनका माय लव का तेरे प्यार का गम क्या ही मशहूर हुआ। जयपुर में 15 अप्रैल, 1918 को जन्मे इकबाल हुसैन उर्फ हसरत जयपुरी की, जिनके गाने राज कपूर की फिल्मों का आईना थे। सारंगा तेरी याद में, ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ज्योत से ज्योत जगाते चलो गानों से देश ही नहीं विदेशों में पहचान बनाने वाले गीतकार पंडित भरत व्यास चूरू से थे।


हुनर आवाज का हो तो हर इंसान दिल से जुड़ जाता है। ऐसे ही जादुई आवाज के मालिक थे गजल सम्राट मेहदी हसन, राजस्थान के झुंझुनूं जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर मलसीसर रोड पर स्थित गांव लूणा की मिट्टी से हमेशा मेहदी हसन की खुशबू आती रहेगी। मुबारक बेगम भारत की हिन्दी फिल्मों में पार्श्व गायिका रही। इनका जन्म चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे में हुआ था। उन्होंने 1950-70 के दशक के बीच सैकड़ों गीतों और गजलों को आवाज दी थी। फिल्म हमारी याद आएगी का सदाबहार गाना कभी तन्हाइयों में यूं, हमारी याद आएगी मुझको अपने गले लगा लो ओ मेरे हम राही और हम हाल-ए-दिल गीत गाए थे। नींव का वो पत्थर, जिस पर संगीत का घराना खड़ा होता है ऐसे थे पंडित शिवराम जो जोधपुर में जन्मे। वो जब याद आए ,‘बड़े प्यार से मिलना सबसे दुनिया में इंसान रे गीत खूब लोकप्रिय हुए। फोक गीतों में सबसे पहला नाम याद आता है रेशमा का। दमादम मस्त कलंदर और लंबी जुदाई जैसे गीत उनकी पहचान थे उनका जन्म राजस्थान में बीकानेर में बंजारा परिवार में हुआ था, रेगिस्तानी मिट्टी और बंजारों की मस्ती पूरी शिद्दत से महसूस होती है फिल्म हीरो के गीत, ‘चार दिनां दा प्यार हो रब्बा बड़ी लंबी जुदाई’ से।


फोक और इला अरुण राजस्थान की शान है। जोधपुर में जन्मी इला अरुण ने बॉलीवुड में कई गीत गाए हैं। फिल्म खलनायक का ‘चोली के पीछे क्या है’ के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का फिल्म फेयर पुरस्कार जीता। गजल वो दरिया है, जहां जज्बातों में डूब कर दिलो से जुड़ा जाता है। गजल गायक पदमश्री जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित श्रीगंगानगर में हुआ था, उनकी गाई गजलें सरहदों से परे थी ‘वो कागज की कश्ती’ आज भी बचपन की मासूमियत से जोड़े रखती है।

ऐसे ही राजस्थान के रंगों में रंगे हैं उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन जयपुर से दो भाई हैं जो क्लासिकी गजल गायकी करते हैं, क्लासिकी ठुमरी पहली एलबम गुलदस्ता है जो बहुत कामयाब रहा। ऐसे ही एक जोड़ी है चाचा-भतीजा दिलीप सेन-समीर सेन की आईना और ये दिल्लगी के गीत तो बहुत ही मशहूर हुए ‘ओले-ओले-ओले’। यशराज चोपड़ा, इन्हें तानसेन ही बुलाते थे।वो गायिका जिनके गीत शहद से भी मीठे हैं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जन्मी श्रेया घोषाल का पालन पोषण राजस्थान के रावतभाटा में हुआ था।

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