प्रदेश के अधिकांश बांध सूखे, हाड़ौती में चम्बल की मेहरबानी

चम्बल के बांधों में पर्याप्त पानी : तरस रहे बड़े व मंझले बांध

प्रदेश के अधिकांश बांध सूखे, हाड़ौती में चम्बल की मेहरबानी

मानसून में विलम्ब के चलते प्रदेश के अधिकांश बांध खाली पड़े हुए हैं वहीं हाड़ौती के बांधों में चम्बल नदी की मेहरबानी बनी हुई है। ऐेसे में यहां के सभी बांध लबालब हो रहे है।

कोटा। मानसून में विलम्ब के चलते प्रदेश के अधिकांश बांध खाली पड़े हुए हैं वहीं हाड़ौती के बांधों में चम्बल नदी की मेहरबानी बनी हुई है। ऐेसे में यहां के सभी बांध लबालब हो रहे है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के 278 मझले-बड़े बांधों में से कई बांधों में केवल 34.25 प्रतिशत ही पानी बचा है। ऐसे में करीब 186 बांध सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। इन बांधों में औसतन 20 प्रतिशत से भी कम पानी है। इन बांधों के कमांड एरिया में फसलों की सिंचाई के लिए अब मानसून का इंतजार है। मानसून से पहले जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। राणाप्रताप सागर बांध, कोटा बैराज, गुढ़ा डेम, सोम कमला अम्बा और जयसमंद बांध ही 50 प्रतिशत से 97 प्रतिशत तक भरे हुए हैं। जयपुर, टोंक व अजमेर के लाइफ लाइन माने जाने वाले बीसलपुर बांध में अब केवल 22.20 प्रतिशत पानी ही बचा है। पाली का प्रमुख जवाई बांध पहले ही दम तोड़ चुका है।

256 में से 176 मंझले बांध सूखे
प्रदेश में 256 मध्यम व कम भराव क्षमता के बांध हैं। हर बांध की क्षमता 4.25 एमक्यूएम से ज्यादा है। इन बांधों में केवल 15.77 प्रतिशत पानी शेष है। इनमें से भी 176 बांध सूख चुके हैं। पिछले साल कम बारिश होने के कारण इनमें से 56 बांधों में पानी तक नहीं पहुंचा था। वहीं 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता वाले 449 बांधों में केवल 4.27 प्रतिशत पानी ही है। इनमें से भी 400 बांध सूख चुके हैं।

फैक्ट फाइल
716 - प्रदेश में कुल बांध
497 -बांध खाली
22-  बड़े बांध 4.25 मिलियन क्यूबिक क्षमते वाले
257-  मध्यम बांध 4.25 क्यूबिक मीटर क्षमता वाले
432-  बांध 4.25 मिलियन क्यूबिक क्षमते वाले
  
अतिक्रमण ने रोकी पानी की राह
बहाव क्षेत्र में पक्के, कच्चे निर्माण और अतिक्रमण के कारण प्रदेश के ज्यादातर छोटे बांधों में बारिश का पानी नहीं पहुंचा है। प्रदेश में 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता के 464 बांध हैं, लेकिन इन बांधों में केवल 29.24 प्रतिशत पानी ही आया है। यानि बांधों का 70 प्रतिशत हिस्सा खाली है। इसमें से 40 फीसदी बांध तो सूखे ही है।

इधर, चम्बल के बांध लबालब
इधर चम्बल नदी पर बने बांध बारिश के पहले से ही लबालब हो रहे हैं। इन बांधों में वर्तमान में 99 प्रतिशत से अधिक पानी भरा हुआ है। बारिश आने के बाद इनमें ज्यादा जलभराव की आवश्यकता नहीं होगी। वर्तमान में गांधी सागर बांध भराव क्षमता के मुकाबले 98.98 प्रतिशत, जवाहर सागर बांध 99.92 प्रतिशत, राणाप्रताप सागर बांध 98.41 प्रतिशत और कोटा बैराज 99.91 प्रतिशत भरा हुआ है।

यह रहा कारण
जल संसाधन विभाग के अनुसार केन्द्रीय जल आयोग के निर्देश पर कुछ दिनों पहले गांधी सागर बांध की जांच की गई थी। जांच के लिए गांधी सागर बांध को खाली करना था। इस कारण इस बांध से पानी की निकासी की गई थी। यहां से पानी की निकासी का फायदा चम्बल नदी पर बने अन्य बांधों को मिला। नदी के अन्य बांधों के जलस्तर में बढ़ोतरी हो गई। वर्तमान में गांधी सागर बांध में 1298.70 फीट, राणाप्रताप सागर बांध में 1138.70 फीट, जवाहर सागर बांध में 978.30 फीट और कोटा बैराज में 853.60 फीट पानी भरा हुआ है। 

चम्बल नदी पर बने बांधों में वर्तमान में पानी का स्तर अच्छा है। गांधी सागर बांध से पानी की निकासी करने के कारण अन्य बांधों का जलस्तर बढ़ गया है। ऐसे में बारिश के दौरान इन बांधों की लगातार निगरानी की जाएगी।
- अजीजुद्दीन अंसारी, अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग

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