देखे राज काज में क्या है खास
नजरें एनआईए पर
सूबे में जब से झीलों की नगरी उदयपुर में आतंकवादी हादसा हुआ है, जब से पब्लिक रात-दिन आईबी वालो को कोस रही है। कोसे भी क्यों नहीं, 12 साल से गुप्तचरों को हवा तक नहीं लगी कि झीलों की नगरी से तार पड़ोसी देश पाक तक जुड़ चुके हैं।
गुप्तचर हुए फेल
सूबे में जब से झीलों की नगरी उदयपुर में आतंकवादी हादसा हुआ है, जब से पब्लिक रात-दिन आईबी वालो को कोस रही है। कोसे भी क्यों नहीं, 12 साल से गुप्तचरों को हवा तक नहीं लगी कि झीलों की नगरी से तार पड़ोसी देश पाक तक जुड़ चुके हैं। अब कौन समझाए कि अब पहले वाले न तो गुप्तचर रहे और न ही उनको सूचना देने वाले। अब पब्लिक को कौन समझाए कि बेचारे आईबी वाले भी अखबारनवीसों तक सीमित रह गए, जो देर रात तक अखबारों के दफ्तरों में फोन लगा कर पहले ही पूछ लेते हैं कि खास क्या है। गुप्तचरों को तो खुद के कामों से ही फुर्सत नहीं है, सूंघासांघी के लिए डे-नाइट टाइम देना पड़ता है, तब जाकर क्लू मिलता है।
नजरें एनआईए पर
इन दिनों सूबे में एनआईए की चर्चा जोरों पर है, हो भी क्यों ना, एनआईए वालों का पगफेरा कुछ ज्यादा ही है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि पहले सीबीआई और बाद में ईडी वाले भी लोगों की जुबान पर थे। दोनों का दखल भी बढ़ा, लेकिन मरु प्रदेश में एसआईटी वालों ने उनकी पार नहीं पड़ने दी, तो दिल्ली वालों ने एनआईए की आड़ लेकर तोड़ निकाल लिया। चर्चा है कि सूबे में पहला मामला दर्ज करने वाली एनआईए अपना करिश्मा दिखाए बिना नहीं रहेगी, चूंकि मामले इंडिया की अस्मत से जुड़े हुए हैं।
फेसबुक-पेय पदार्थ और रेप
सूबे में खाकी वाले भाई लोगों का दिन का चैन और रातों की नींद उड़ी हुई है। उड़े भी क्यों नहीं, रेप के मामले जो बढ़ते जा रहे हैं। पीएचक्यू में झण्डे के नीचे बैठने वाले भाई के भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर मामला क्या है। अब खाकी वालों को कौन समझाए कि फेसबुक से दोस्ती के बाद हुई मुलाकात अपना गुल खिलाए बिना नहीं रहती। तभी तो घर से सैकड़ों मील दूर पेय पदार्थ का सेवन होता है, जो अपना असर दिखाता है और अंधे प्यार का नशा उतरने पर ही पता चलता है कि कुछ तो गड़बड़ हुआ है। अब खाकी वालों को भी फेसबुक से दोस्ती करने वालों के लिए नई विंग खोल कर नींद सोने में ही फायदा है।
इंतजार अगस्त क्रांति का
भगवा वालों के एक खेमे के भाई लोगों के इन दिनों जमीन पर पैर ही नहीं टिक रहे। राज का काज करने वाले भी चुपचाप इसकी टोह लेने के लिए इधर-उधर सूंघासांघी कर रहे हैं। उत्साहित खेमे को नौ अगस्त की क्रांति का बेसब्री से इंतजार है। अभी से वे एक-दूसरे को बधाइयां देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सुबह-शाम सिर्फ एक ही रट लगाए बैठे हैं कि बस अगस्त का इंतजार करो, सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में सूबे के सदर वाली कुर्सी पर ताजपोशी होने वाली है। लेकिन भवन में रोजाना आने वाले भाई लोगों का सवाल है कि आखिर यह कैसे संभव है।
एक्सक्ल्युड बनाम इनक्ल्युड
इन दिनों सूबे में एक्सक्ल्युड और इनक्ल्युड को लेकर काफी चर्चा है। इससे इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने के साथ ही सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में भगवा वालों का मंदिर भी अछूता नहीं है। राज का काज करने वाले अपने हिसाब से चर्चा में मशगूल है। जो भाई लोग इन शब्दों का अर्थ नहीं समझ पा रहे, वो अपने गुरुओं की शरण में हैं। पीसीसी में चर्चा है कि भगवा वाले इनक्ल्युड में कुछ ज्यादा ही विश्वास करते हैं, वो सबसे पहले अपने ही लोगों को घर का रास्ता दिखाने में माहिर हंै। भगवा वालों के ठिकाने के साथ भारती भवन में चिंतन बैठकों में हाथ वालों के इनक्ल्युड फार्मूले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। चर्चा है कि भगवा वाले इनक्ल्युड फार्मूले से उन लोगों को गले लगा रहे हैं, जिनके पूर्वजों को किसी न किसी बहाने लगा दिया गया था। चर्चा में दम भी है, जोधपुर, अलवर और जयपुर के मामले जो सामने हैं।
एक जुमला यह भी
ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। हो भी क्यों ना, मामला राज के मूड से जुड़ा है। जब से जोधपुर वाले अशोक जी की नजरेंं महिलाओं की योजनाओं पर टिकी हैं, तब से ब्यूरोक्रेसी में एस्टीम भी बढ़ा है। सत्ता के साथ संगठन वालों का मुंह खुलने से असर साफ दिखने लगा है। -एल.एल शर्मा, पत्रकार
Comment List