सियासी उलटफेर में पीसीसी चीफ बने डोटासरा का 2 साल कार्यकाल पूरा, चुनौतियां अभी भी बरकरार
सचिन पायलट को हटाकर डोटासरा को कमान दी थी
डोटासरा ने भले ही पंचायत और नगर निगम के चुनाव सफलतापूर्वक कराए हो, लेकिन संगठन को फिर से बनाने में अभी गोविंद डोटासरा सफल नहीं हो सके है।
जयपुर। कांग्रेस की सियासत में 2020 में आए सियासी संकट के चलते राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से सचिन पायलट को हटाकर गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस संगठन की कमान दी गई थी। अब गोविंद डोटासरा को पीसीसी अध्यक्ष बने 2 साल हो चुके है, लेकिन जिन चुनौती पूर्वक परिस्थितियों में डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान मिली थी, वह चुनौतियां 2 साल बाद भी समाप्त होती दिखाई नहीं दे रही है। डोटासरा ने भले ही पंचायत और नगर निगम के चुनाव सफलतापूर्वक कराए हो, लेकिन संगठन को फिर से बनाने में अभी गोविंद डोटासरा सफल नहीं हो सके है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए डोटासरा के सामने अभी भी कई चुनौतियां बरकरार है।
चुनावी सफलता रही डोटासरा के नाम
गोविंद डोटासरा के 2 साल के कार्यकाल में नगर निगम, निकाय और प्रदेश में हुए उपचुनाव में बड़ी सफलता मानी जा सकती है। पंचायत चुनाव में डोटासरा के नेतृत्व में सफलता कांग्रेस को नहीं मिली, लेकिन उपचुनाव में डोटासरा के नेतृत्व में 5 में से 4 सीट कांग्रेस को जीतने में सफलता मिली। इसके साथ ही धरने-प्रदर्शन सफलतापूर्वक करने में गोविंद डोटासरा सफल रहे।
केवल 40 पदाधिकारियों के साथ निकाले 2 साल
अध्यक्ष बनने के बाद डोटासरा के पास संगठन के नाम पर केवल गोविंद सिंह डोटासरा ही थे, क्योंकि राजस्थान कांग्रेस संगठन को पूरी तरह से भंग कर दिया गया था। करीब 6 महीने के बाद डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस के 39 पदाधिकारी मिले, तो डोटासरा ने किसी तरह से 13 जिलाअध्यक्ष, दो प्रवक्ता और कोषाध्यक्ष की भी घोषणा करवाई, लेकिन 13 जिला अध्यक्ष में से 5 जिला अध्यक्षों को एक व्यक्ति एक पद और एक पद पर 5 साल से ज्यादा नहीं रह सकने वाले नियम के चलते हटना पड़ा। ऐसे में वह जिला अध्यक्ष निरस्त हो गए। अब कांग्रेस पार्टी में संगठन के चुनाव चल रहे है, लेकिन इनकी घोषणा कब होगी। इसकी जानकारी फिलहाल किसी के पास नहीं है।
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