आरयू में छात्रसंघ चुनाव का रण, दमखम दिखाने लगे छात्र नेता
राजनीति की पहली सीढ़ी छात्रसंघ चुनाव, एबीवीपी, एनएसयूआई के साथ ही निर्दलीय ताल ठोकते हुए आ रहे नजर
यहां एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जाती रही है, लेकिन पिछले चार चुनाव में दोनों ही छात्र संगठनों को मुंह की खानी पड़ी है।
जयपुर। कोरोना काल के चलते पिछले दो साल शैक्षणिक सत्र 2019-20 और 20-21 में राजनीति की पहली सीढ़ी कहे जाने वाले छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए, लेकिन इस बार राज्य सरकार की घोषणा के बाद से ही छात्रनेता अपना दम दिखाते हुए नजर आने लगे हैं।
राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रदेश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है और यहां की छात्र राजनीति से निकलकर छात्र नेताओं ने राजनीति की मुख्यधारा में जगह बनाकर राजस्थान के गौरव भी बढ़ाया है। यहां एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर मानी जाती रही है, लेकिन पिछले चार चुनाव में दोनों ही छात्र संगठनों को मुंह की खानी पड़ी है। पिछले चार चुनावों की हार का सिलसिला तोड़ने के लिए इस बार एनएसयूआई पूरी तरह से कमर कसे हुए नजर आ रही है। संगठन के सामने टिकट की दावेदारी कर रहे छात्र नेता राविवि में अपना दमखम दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। एनएसयूआई छात्र नेताओं ने इस बार प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी के नेतृत्व में जीत का दावा किया है। हालांकि साल 2018 और 2019 में जिन छात्र नेताओं ने जीत हासिल की थी वे एनएसयूआई से ही बागी होकर चुनाव लड़े थे।
टिकट बंटवारों को लेकर मंथन
बहरहाल चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा, दोनों ही पार्टियों की नजर हमेशा से ही राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों पर रही है। पिछले 5 साल से जहां एबीवीपी ने भाजपा को निराश किया, वहीं पिछले 4 साल से यही निराशा कांग्रेस में भी बनी हुई है। इस साल छात्र नेता टिकट की दावेदारी में कोई कसर छोड़ते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। संगठन भी टिकट बंटवारे को लेकर इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं।
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