दो विभागों के बीच फंसी हजारों यात्रियों की जान

एनएच-52 पर मुकुंदरा वन्यजीव क्षेत्र का सफर बना मौत का सफर

दो विभागों के बीच फंसी हजारों यात्रियों की जान

एनएच-52 पर मुकुंदरा वन्यजीव क्षेत्र में 8 किलोमीटर का सफर मौत का सफर बन चुका है। दो विभागों में उलझे हुए इस आठ किलोमीटर के सफर में तीन ऐसे ब्लैक स्पॉट्स हैं जहां ना सिर्फ आए दिन जाम लगता रहता है बल्कि लगातार दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

रामगंजमंडी। एनएच-52 पर मुकुंदरा वन्यजीव क्षेत्र में 8 किलोमीटर का सफर मौत का सफर बन चुका है। दो विभागों में उलझे हुए इस आठ किलोमीटर के सफर में तीन ऐसे ब्लैक स्पॉट्स हैं जहां ना सिर्फ आए दिन जाम लगता रहता है बल्कि लगातार दुर्घटनाएं होती रहती हैं। लेकिन दो विभागों के बीच फंसे इस आठ किलोमीटर के क्षेत्र में अधिकारियों की नजर में इंसानों की जा रही जानों की कोई कीमत नहीं है। दोनों विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर पल्ला झाड़ रहे हैं। रेलवे लाइन के नीचे बने सिंगल लेन मौखे में बरसात के कारण हुए गड्ढों में रविवार को कोटा स्टोन से भरे ट्रक फंस जाने के कारण 3 किलोमीटर लंबा जाम लग गया था। जिसमें एंबुलेंस, लंबी दूरी की सवारी, बसें, कई यात्री और वाहन फंस गए थे। निर्माण विभाग ने सड़क सुधार की जिम्मेदारी नहीं निभाई तो मोड़क पुलिस ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जेसीबी का इंतजाम कर तुरंत प्रभाव से इन गड्ढों को भरवा कर सुरंग की सड़क को समतल करवाया। जिससे कि उन गड्ढों में अन्य कोई वाहन फंस कर जाम के हालात नहीं बनें। लगातार दुर्घटनाएं एवं जाम की शिकायतें आने के बाद भी निर्माण विभाग अधिकारी सड़क सुधार की जवाबदेही एक दूसरे पर डालते दिखे। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यह 8 किलोमीटर वन क्षेत्र का मार्ग एनएच का बताता है और एनएच विभाग कहता है कि मुकुंदरा वन क्षेत्र में बने इन तीन ब्लैक स्पॉट का समाधान एनएचएआई को ही करना है। दोनों के बीच जनता और वाहन चालक दुर्घटना और जाम से परेशान हैं।

खतरनाक हैं तीन ब्लैक स्पॉट
एनएच-52 पर मुकुंदरा वन्यजीव क्षेत्र की 8 किलोमीटर सड़क में अमझार नदी पर संकरी पुलिया,  रेलवे लाइन के नीचे दरा की नाल, जिसे संकड़ी सुरंग भी कहते हैं, दरा वायडक्ट ऊंची पुलिया के नीचे की संकड़ी सिंगल रोड़। यहां 500 मीटर की दूरी पर ही वाहन चालकों को दो बार रेलवे लाइन के नीचे से जहां सिंगल रोड बना हुआ है, निकलना पड़ता है। दोनों स्थानों पर दोनों साइड में सड़क 90 डिग्री पर घूमती है। जिससे सामने से आने वाले वाहन नजर नहीं आते। यह तीन ब्लैक स्पॉट हंै, जहां आए दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। यहां लगने वाले रोज-रोज के जाम से मरीजों यात्रियों एवं वाहन चालकों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

एनएच के अधिकारियों ने ली जिम्मेदारी
अब एनएच के अधिकारियों ने इस सड़क की जिम्मेदारी ली है। देखना है कि वह कब और किस तरह इन तीन ब्लैक स्पॉट का समाधान कर इस सड़क को सुरक्षित बनाकर यात्रियों और वाहन चालकों को राहत प्रदान करते हैं।

स्थायी समाधान का दिया आश्वासन
भाजपा प्रदेश कार्य समिति के पूर्व सदस्य वीरेंद्र जैन ने एनएच चीफ इंजीनियर डीआर मेघवाल से समस्या को लेकर बात की। जिस पर चीफ इंजीनियर ने  एनएच के अधीक्षण अभियंता राजीव अग्रवाल को  समस्या के समाधान की दिशा में काम करने के निर्देश जारी किए।

पनप रहा है जनाक्रोश
यातायात को सुचारू रूप से चलवाना, जाम खुलवाने से लेकर सड़क के गड्ढे भरवाने तक का काम पुलिस कर रही है। जिम्मेदार निर्माण विभाग लंबे समय से इस सड़क की उपेक्षा कर रहे हैं।  आज यह सड़क चार लेन के रूप में विकसित हो चुकी है। इसके पूर्व यह टू लेन और इससे पूर्व एक लेन सड़क हुआ करती थी। चार लेन होने से इस पर वाहनों की रफ्तार और संख्या बढ़ गई है। तेजी से आते वाहन तीन जगह सिंगल रोड होने से फंसते और आपस में टकराते हैं।

इनका कहना है......

एक लाइन से फोरलेन तक का सफर पूरा करने के बाद भी मुकुंदरा वन क्षेत्र के यह तीन ब्लैक स्पॉट नहीं सुधारे गए हैं। निर्माण विभाग की लापरवाही से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है।
-वीरेन्द्र जैन, पूर्व सदस्य, प्रदेश कार्यसमिति, भाजपा

दरा की नाल, अमझार पुलिया व रेल ब्रिज ये तीन ब्लैक स्पॉट हमारे अधीन हैं। जहां रिपेयरिंग, साइन बोर्ड वगैरह लगाकर सुरक्षित यात्रा के इंतजाम किए हुए हैं। इनमें निर्माण करने में मुकन्दरा वन क्षेत्र की इजाजत नहीं मिल रही है। क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पीडीआर बनाई थी, जिसमें वन क्षेत्र ने अनुमति दी थी। बाद में पुरात्तव विभाग ने सहमति नहीं दी। अब इसका विकल्प तलाश किया जा रहा है।
-राजीव अग्रवाल, अधीक्षण अभियन्ता, एनएच, कोटा

8 किलोमीटर वन क्षेत्र का मार्ग एनएच के पास है। इस पर उन्हें ही कार्यवाही करनी है। चार लेन सड़क मार्ग के साथ इस 8 किलोमीटर क्षेत्र की सड़क के प्रस्ताव भी हमने बनाए थे। लेकिन उसमें बहुत सारी बाधाएं हैं। जिससे वह काम आगे नहीं बढ़ पाया। अब हम वैकल्पिक मार्ग पर विचार कर रहे हैं। लेकिन मुकुंदरा वन क्षेत्र में बने इन तीन ब्लैक स्पॉट का समाधान एनएच को ही करना है।
-जेपी गुप्ता, परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

एनएच-52 पर मकुंदरा वन्य जीव क्षेत्र की 8 किमी की सड़क हमारे पजेशन में है। सुदृढ़ सड़कों से वाहन चालक शीघ्र एवं सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंचें, यह हमारी जवाबदेही है। इसमें किसी भी स्तर पर कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
-डीआर मेघवाल, चीफ इंजीनियर, एनएच, जयपुर

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