सतरंगी सियासत

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अब टूट का खतरा!: यही अंतर!: अब क्या होगा?: गले की हड्डी!: बैगानी शादी में...: संसद का शीत सत्र

अब टूट का खतरा!
पंजाब कांग्रेस में अब टूट का खतरा। कैप्टन साहब कितने विधायक, सांसद और पार्टी पधाधिकारी तोड़ेंगे। विधानसभा चुनाव से पहले इसका अंदेशा। संकेत मिल रहे। चरणजीत सिंह चन्नी सीएम तो बना दिए गए। लेकिन बीते माह वह नई दिल्ली में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले कैप्टन साहब से मिल आए। जिससे पीसीसी चीफ नवजोत सिद्धू की भौंहे तन गईं। खुसर-फुसर शुरु हो गई। बची-खुची कसर कैप्टन साहब ने ‘पजाब लोक कांग्रेस’ बनाकर कर दी। साथ में, जले पर नमक छिड़कने वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया। कहा, भाजपा और अलग हुए अकाली धड़े से सीट शेयरिंग करेंगे। बस किसान आंदोलन का कोई समाधान निकल आए। अब कैप्टन साहब पंजाब में कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाएंगे। यह भविष्य के गर्भ में। लेकिन अब यह तय हो गया। कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। वहीं, भाजपा भले ही सत्ता में आने की स्थिति में नहीं। लेकिन उसके सत्ता समीकरणों में केन्द्रीय भूमिका में आने की संभावना।


यही अंतर!

देशभर में दीपावली पर सुरक्षा को लेकर चाक चौंबद इंतजाम। कहीं से कोई सांप्रदायिक दंगे, सामाजिक तनाव या बम विस्फोट की खबर नहीं। देशभर से पांच दिवसीय दीपोत्सव में कोई अप्रिय घटना का समाचार नहीं। सुरक्षा को लेकर एजेंसिंयों ने कोई सार्वजनिक चेतावनी जारी नहीं की। हां, अंदरखाने पूरी तरह से सतर्कता एवं चौकसी रखी गई। त्यौहारी सीजन में आम जनता में भय जैसा वातावरण नहीं दिखा। मतलब भाजपा एवं पीएम मोदी ने देश की आम जनता से सुरक्षा को लेकर जो चुनावी वादा किया था। उसे साकार कर दिखाया। राजधानी दिल्ली में पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने स्पष्ट कर दिया। गड़बड़ी करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। कोई भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की हिमाकत नहीं करे। मोदी सरकार ने सुरक्षा को लेकर आम आदमी में भरोसा पैदा किया। कोविड-19 प्रोटाकॉल को ध्यान में रखते हुए बाजार पूरी तरह से खुले। आम जनता ने दिल खोलकर भरपूर खरीददारी की। मतलब इस बार दीपावली पर बीते दशक की तुलना में अंतर साफ दिखा।


अब क्या होगा?

मरुधरा की दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव के परिणाम आ गए। जादूगरजी इस परीक्षा में पास। तो भगवा खेमे के एक धड़े को मानो इसी का इंतजार। हाड़ौती के नेताजी ने कहा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को आगे करो। वरना बात नहीं बनेगी। कहीं यह आलाकमान को भावी इशारा तो नहीं? वैसे पूर्व सीएम समेत कुछ नेताओं ने पूरे चुनावी अभियान से दूरी बनाए रखी। मानो परिणाम की पहले से जानकारी हो। खैर.. अब आगे क्या? फिलहाल कांगे्रस में तो सीएम गहलोत का पलड़ा भारी। क्योंकि विधानसभा में संख्या गणित ऐसा। एक-एक विधायक कीमती। वहीं, भगवा खेमे के प्रदेश अध्यक्ष को यह झटका सा। हालांकि उनकी सदारत पर इसका असर नहीं होगा। लेकिन वह विरोधियों के निशााने पर जरुर आ गए। ज्यों-ज्यों उनका पॉलिटिकल ग्राफ बढ़ रहा। साथ में विरोधी भी तैयार हो रहे। यानी वह संगठन में लगातार पकड़ मजबूत कर रहे। दिसंबर में वह अपना दमखम दिखाने की तैयारी में जुटे हुए। अपने जन्मदिन के बहाने वह ट्रेलर दे चुके। यह चौंकाने वाला।


गले की हड्डी!
क्या नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस नेतृत्व के लिए गले की हड्डी बन गए? उनका रवैया अभी भी अड़ियल। जबकि उन्हें बताया गया कि राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी पर रहते हुए अड़ियल रवैया ठीक नहीं। सोनिया गांधी की नसीहत। मीडिया के जरिए नहीं, उनसे सीधे बात करें। सिद्धू ने इसके दो दिन बाद ही उन्हें चिट्ठी लिख सार्वजनिक कर दी। जिसमें पंजाब से संबंधित करीब एक दर्जन मांगे थीं। हालांकि सिद्धू यह बात सीएम सीएस चन्नी से सकते थे। लेकिन उन्होंने सीधे अध्यक्ष को पत्र लिख डाला। जिससे आलाकमान फिर से असहज। जबकि सिद्धू अपनी चिंताओं को लेकर राहुल गांधी से मिले चुके। उन्हें पीसीसी चीफ के रुप में काम करने को कहा गया। असल में, सिद्धू सीएम चन्नी और अमरिन्दर सिंह की मुलाकात से परेशान। असल में, उन्हें आभास हो गया। अगले साल उनका सीएम बनाना कठिन। सो, नेतृत्व के गले की हड्डी बने हुए। जबकि पार्टी नेतृत्व के सामने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की समसयाएं। वहीं, यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक।

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बेगानी शादी में...
तीन लोकसभा और 29 विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से कांग्रेस खुश हो रही। प्रमुख विपक्षी दल का मानो, ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ जैसा हाल। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में उसकी आशा के अनरुप परिणाम। लेकिन पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, हरियाणा एवं मध्यप्रदेश में नतीजे विपरीत। उसके बावजूद खुश। कम से कम भाजपा हार गई। तेलंगाना में भाजपा प्रत्याशी की जीत चौंकाने वाली। मानो उसे इस राज्य में बूस्टर डोज मिल गई हो। वहीं, दादरा नगर हवेली के लोकसभा उपचुनाव में शिवसेना ने बाजी मार ली। हां, मंडी में कांग्रेस की जीत उत्साहित करने वाली। असम में कांग्रेस के लिए परिणाम बेहद निराश करने वाले। तो बिहार में तो लालूजी के साथ चल रहे गठबंधन में दरार पड़ गई। हां, चर्चा यह भी। भाजपा नेतृत्व ने इस बार एक जोखिम लिया। कहीं, भी दवंगत हुए सांसद या विधायक के रिश्तेदार को टिकट से नहीं नवाजा। मतलब नजीर पेश करने की कोशिश। सो, परिणाम आशा के विपरीत आने में यह भी एक बड़ा कारण।


संसद का शीतसत्र..
इस माह के अंत में संसद का शीतकालीन सत्र प्रस्तावित। महंगाई, बेरोजगारी, देश की सीमाओं पर सुरक्षा एवं राजनीतिक हालात, गैस, पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें, कृषि कानून जैसे विषयों पर सदन में हंगामा संभव। हो सकता है पेगासस संसद बाधित करने का जरिया बने। लेकिन रॉफेल गायब! सो, आगे क्या? हां, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की छाया इस सत्र पर रहेगी। प्रतिद्वंदी नेताओं एवं दलों के बीच सदन के भीतर एवं बाहर तीखे बयानों के तरकश चलने वाले। फिर सरकार का प्लान क्या? पीएम मोदी विश्व फलक पर भारत की साख एवं धाक जमा रहे। भारत की कूटनीति असर दिखा रही। तो अमित शाह परदे के पीछे से भाजपा को सर्वव्यापी एवं सर्वस्पर्शी बनाने में जुटे हुए। ऊपर से लेकर नीचे तक पार्टी वर्कर को पूरे रोडमैप के साथ खूब काम दिया हुआ। वहीं, कांग्रेस अपने सदस्यता अभियान को शुरु कर चुकी। अगले साल सितंबर तक नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव। फिर भाजपा-कांग्रेस के बीच पेंडूलम की तरह झूलते तीसरे मोर्चे का क्या?    -दिल्ली डेस्क

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