पर्यावरण प्रेमी ने परिंदों के लिए बनाए दो हजार आशियानें

पक्षियों के संरक्षण के लिए उठाया सराहनीय कदम

पर्यावरण प्रेमी ने परिंदों के लिए बनाए दो हजार आशियानें

पर्यावरण प्रेमी हेमराज मीणा पक्षियों के रहवास के लिए पिछले 8 वर्षों में करीबन दो हजार से अधिक कृत्रिम घोंसला बना चुके हैं। इनके घर व खेत के कोने-कोने मे कृत्रिम घोंसले बना रखें है जहां से अब चिड़िया, कबूतर,मेना, तोता,कोयल सहित अन्य पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है।

करवर। नैनवां उपखंड में खजूरी पंचायत के पीपरवाला गांव निवासी पर्यावरण प्रेमी हेमराज मीणा ने खेत पर पक्षियों की सुरक्षा के लिए कृत्रिम घौंसला बना कर पक्षियों को आसरा दे रहे है। साथ ही इन परिंदों के आशियानों में दाना पानी का भी इंतजाम करते है। जिसके चलते अब चिड़ियां, कबूतर,तोता, मेना, कोयल सहित अन्य पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है। पर्यावरण प्रेमी मीणा ने पक्षियों के रहवास के लिए पिछले 8 वर्षों में करीबन दो हजार से अधिक कृत्रिम घोंसलें बना चुके हैं। अपने घर की पक्षियों से भावनात्मक रिश्ता परिवार व ग्रामीणों की पक्षियों की चहचहाहट से ही नींद खुलती है। परिंदों के लिए घोंसला बनाने का बीड़ा भले ही कई वर्षों पहले मीणा ने उठाया था लेकिन अब गांव के कुछ युवा विजेन्द्र,फोरु लाल, मनीष, मीठा लाल, दिलखुश उनके साथ इस दिशा पर कदम बढ़ा रहे हैं। आधुनिकीकरण की इस दौड़ में घर के आंगन में चिड़ियों की चहचहाहट कम हो गई है। कभी पक्षी हर घर में किसी न किसी कोने में घोंसला बनाकर रहते थे।अंडे देने के बाद जब बच्चे बड़े होते तो घोंसला छोड़कर चले जाते थे पर ऐसा नजारा अब बहुत कम देखने को मिलता है। पेड़ कट रहे हैं तो वहीं अब मकान पक्के बन चुके हैं ,जहां पर पक्षी रहवास के लिए घोंसला नहीं बना पा रहे हैं। गर्मी,सर्दी,बारिश में भी पेड़ों की कमी से पक्षियों को भटकना पड़ता है। इसलिए पर्यावरण प्रेमी हेमराज मीणा ने पक्षियों के रहवास के लिए पिछले 8 वर्षों में करीबन दो हजार से अधिक कृत्रिम घोंसला बना चुके हैं।

पक्षियों के संरक्षण के लिए परिवार का मिला सहयोग
पक्षियों के संरक्षण के लिए हेमराज मीणा अपने परिवार के सहयोग से कृत्रिम घोंसला बनाकर पक्षियों की मदद कर रहे हैं इनका परिवार अपने स्तर पर वेस्टेज सामान खाली पीपे,कूलर की बोड़ी, बोतलें आदि का कृत्रिम घोंसला बनाकर पक्षियों को इस भीषण गर्मी,सर्दी,बारिश के मौसम में राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं साथ ही पक्षियों का दाना -पानी का भी विशेष ध्यान रखते हैं। प्रतिदिन पक्षियों के लिए दाना के रूप में गेंहू, बाजरा,ज्वार,दलिया आदि डालते हैं।
 
घर व खेत के कोने-कोने में कृत्रिम घोंसला
इनके घर व खेत के कोने-कोने मे कृत्रिम घोंसले बना रखें है जहां से अब चिड़िया, कबूतर,मेना, तोता,कोयल सहित अन्य पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है। पक्षियों के संरक्षण से मीणा व उनका परिवार क्षेत्र में काफी बदलाव कर रहे हैं । लोगों को प्रकृति सहेजने के साथ पक्षियों के संरक्षण का संदेश दे रहें हैं। पर्यावरण प्रेमी हेमराज मीणा अपने पुत्र आचार्य पिंकुराम मीणा व राजेश,पत्नी कमला ,पुत्रवधु मीरा के सहयोग से अब तक करीबन दो हजार से ज्यादा घोंसला बनाकर अलग-अलग जगहों पर लगा चुके हैं। मीणा ने बताया कि वह छोटी उम्र में थे तब पक्षियों के घोंसलें की ओर जाते देखकर दिमाग में आया कि इनके लिए कृत्रिम घोंसला बनाया जाना चाहिए ताकि ये सुरक्षित रह सके। इस प्लानिंग के बाद मीणा कृषि कार्य के साथ परिवार में व्यस्त हो गए लेकिन इनका पक्षियों के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ आठ साल पहले अपने पुराने प्लान के मुताबिक कृत्रिम घोंसला बनाना शुरू किया।

इस तरह से करते हैं तैयार
पर्यावरण प्रेमी आचार्य पिंकुराम मीणा ने बताया कि घोंसला बनाने के लिए नारियल का छिलका, जूट की रस्सी, जूट, बोरा, बांस की पतली डंगाल,गत्ते का भी उपयोग करते हैं। प्लाईवुड से भी घोंसला बनाते हैं। वहीं खपरैल से भी घोंसला बनाते हैं।  इन घोंसलों को पेड़,घर के कोने,इनके खेत में या फिर अन्य सार्वजनिक जगहों पर रख देते हैं जहां पर चिड़ियां व अनेक प्रकार के पक्षी आते हैं। इसके आसपास किसी पात्र में दाना- पानी भी रख देते हैं। अपने खेत के कुछ हिस्से में तलाई के रुप में पानी भरा रहता है ताकि इस गर्मी में पानी के लिए पक्षियों के साथ बेजुबान जानवरों को पानी के लिए भटकना न पड़े।

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