गुलाम नबी आजाद ने बनाई नई पार्टी
डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा नई पार्टी का नाम
उन्होंने कहा कि यह एक स्वतंत्र पार्टी होगी और इसमें आजाद शब्द को उनके व्यक्तिगत नाम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह दर्शाता है कि पार्टी स्वतंत्र होगी।
जम्मू। वरिष्ठ राजनेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को अपनी नयी पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) घोषित करते हुए कहा कि यह एक स्वतंत्र पार्टी होगी और इसमें आजाद शब्द को उनके व्यक्तिगत नाम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह दर्शाता है कि पार्टी स्वतंत्र होगी। उन्होंने पार्टी के झंडे को भी तीन रंगों-सरसों, सफेद और गहरे नीले रंग में प्रदर्शित किया।
आजाद ने तीन रंगों पील, सफेद और गहरे नीले रंग में समाहित पार्टी के झंडे को भी प्रदर्शित किया। अपनी पाटी में कोई निरंकुशता नहीं होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि इंतजार खत्म हुआ, मेरी पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) है। पार्टी के नाम में आजाद शब्द को मेरे व्यक्तिगत नाम से गलत न समझें या न जोड़ें। इस मौके पर आजाद के साथ कांग्रेस के पूर्व नेता और मंत्री तारा चंद, जी एम सरूरी, आर एस चिब और अन्य नेता भी मौजूद थे।
आजाद ने कहा कि डीएपी का मतलब है कि पार्टी प्रकृति में लोकतांत्रिक होगी और लोकतांत्रिक नियमों का पालन करेगी। आजाद का मतलब मेरे नाम से नहीं है बल्कि इसका मतलब है कि पार्टी स्वतंत्र प्रकृति की होगी और उस पर कोई दबाव नहीं होगा। झंडे और उसके रंगों के बारे में आजाद ने कहा कि पीले रंग का मतलब रचनात्मकता और विविधता भी है। उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत और जम्मू-कश्मीर विविधता से भरा है। सफेद का अर्थ है शांति। हम गांधी जी के अनुयायी हैं और शांति के मार्ग पर चलेंगे। गहरे नीले रंग का अर्थ है गहरा समुद्र, बल्कि गहरे समुद्र से आसमान तक की गहराई। हमारे पास गहराई होनी चाहिए।
आजाद ने पार्टी में जमीनी स्तर से चुनाव होने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम यहां अपने स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए हैं। मेरा किसी पार्टी से कोई मुकाबला नहीं है। प्रतिस्पर्धा करेंगे जैसे छात्र कक्षा में एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। हमारा कोई दुश्मन या दुश्मन नहीं है। जनता सर्वोच्च है और उन्हें हमारे भाग्य के बारे में फैसला करना है। मेरे लिए, हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई मानव हृदय के सिर्फ चार कक्ष हैं। युवाओं को 50 फीसदी टिकट देने का भी एलान किया। अनुच्छेद 370 के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि इसे बहाल नहीं किया जाएगा। अगर कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी या गृह मंत्री अमित शाह जी को मना सकता है। सच कहूं तो मेरा इतना प्रभाव नहीं है। अगर कोई मोदीजी या शाह को मना सकता है, तो उनका स्वागत है। मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि वर्तमान में मेरे पास ऐसी कोई ताकत नहीं है।
आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 को वापस लेने की मांग वाले विधेयक पर गृह मंत्री को 86 फीसदी वोट मिले जबकि नौ पार्टियों को महज 14 फीसदी वोट मिले। उन्होंने जोर दिया कि 86 प्रतिशत मायने रखता है। एक सवाल के जवाब में आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 विलय की संतान था जो 70 साल लंबे समय तक लागू रहा। उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई पर विचार करने का फैसला किया है, देखते हैं। कांग्रेस के पूर्व नेता ने कांग्रेस के बारे में कहा कि वह लंबे समय तक पार्टी से जुड़े रहे लेकिन कॉलेज के दिनों से ही वह हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुयायी थे।
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