बाल विवाह के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है राजस्थान
केएससीएफ द्वारा आयोजित किया गया बाल विवाह मुक्त भारत अभियान
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़ो के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के अनुसार प्रदेश में साल 2019, 2020, 2021 में क्रमशः 20, 3 और 11 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए।
जयपुर। भारत सरकार की 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 12,91,700 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह देश के बाल विवाह का 11 प्रतिशत है। बाल विवाह के मामले में देश में राजस्थान दूसरे नंबर पर है। राजस्थान के लिए यह आंकड़े गंभीर चिंता का विषय है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) द्वारा आयोजित बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की। सरकार से अपील की है कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का पालन कराया जाए। बाल विवाह के पूर्ण खात्मे को लेकर गहन विचार-विमर्श के लिए केएससीएफ ने राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और बाल अधिकार विभाग के साथ मिलकर जयपुर में सम्मेलन आयोजित किया।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़ो के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के अनुसार प्रदेश में साल 2019, 2020, 2021 में क्रमशः 20, 3 और 11 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए। सम्मेलन में इन बातों पर चर्चा हुई और चिंता जताई गई। सरकार से बाल विवाह के मामलों पर सख्त कदम उठाने की अपील की गई ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो सके।
हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग की गई। अधिकारियों के दायित्वों की भी बात की गई जिसमें बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्साहन देने की भी बात भी शामिल थी। सम्मेलन में बाल विवाह रोकने के विभिन्न कानूनी पहलुओं पर चर्चा हुई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट से जोड़ने पर गहन विमर्श हुआ।
सम्मेलन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा, पुलिस विभाग से डीसीपी देशमुख, राज्य के बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य नुसरत नकवी, बाल आश्रम ट्रस्ट की यूथ लीडर पायल जांगिड़, बाल आश्रम ट्रस्ट की ही यूथ लीडर तारा बंजारा, एकीकृत बाल विकास योजना के निदेशक रामअवतार मीणा और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजीव भारद्वाज समेत अनेक मौजूद रहें।
पायल जांगिड़ को स्वच्छ भारत अभियान के लिए ‘गोलकीपर्स ग्लोबल चेंजमेकर अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। पायल भारत सरकार की तरफ से प्रदेश के अलवर जिले में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेस्डर के तौर पर काम कर रही हैं। पायल जब खुद महज 11 साल की थीं तब उन्होंने परिजनों का विरोध कर अपना बाल विवाह रुकवाया था।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य नुसरत नकवी ने कहा कि यह हम सबके लिए खुशी की बात है कि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने बाल विवाह की इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का बीड़ा उठाया है क्योंकि कैलाश जी ने जब भी समाज सुधार की कोई जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है तो उसे पूरा करके दिखाया है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजीव भारद्वाज ने कहा कि बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्म कर देता है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।
Comment List