दैनिक नवज्योति स्पेशल : राज्य की पहली चार सरकारों में ना महिला, ना एससी-एसटी

दैनिक नवज्योति स्पेशल : राज्य की पहली चार सरकारों में ना महिला, ना एससी-एसटी

राजनीतिक बदलाव : अब मंत्रिमंडल में इनकी संख्या ज्यादा विभाग भी जिम्मेदारी वाले

 जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नए मंत्रिमंडल में महिला, आदिवासी और अनुसूचित जाति के मामले में बड़ा शिफ्ट किया है। इस मंत्रिमंडल में संख्या और विभागों के हिसाब से पहली बार ये वर्ग ताकतवर होकर उभरे हैं। इसकी तुलना राज्य के और कांग्रेस के भी शुरू के चार मंत्रिमंडलों से करें तो बदलाव सुखद है।  शुरू के तीनों मंत्रिमंडलों में न तो कोई महिला थी और न ही एससी-एसटी के किसी प्रतिनिधि को मंत्री बनाया गया था।  राजस्थान में बनी पहली अन्तरिम सरकार में मात्र 10 मंत्री थे, इस सरकार का कार्यकाल 30 मार्च, 1949 से 5 जनवरी, 1951 तक रहा। इस सरकार के मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री थे। इसके बाद गठित अन्तरिम सरकार में 11 मंत्री शामिल किए गए थे और जयनारायण व्यास को मुख्यमंत्री बनाया गया था। दूसरी अन्तरिम सरकार का कार्यकाल 26 अप्रैल,1951 से 3 मार्च,1952 रहा। इसके बाद राजस्थान में पहली लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ जिसमें टीकाराम पालीवाल मुख्यमंत्री थे। पहली लोकतांत्रिक (निर्वाचित) सरकार का कार्यकाल 3 मार्च, 1952 से 01 नवम्बर, 1952 रहा। पहली अन्तरिम सरकार के मुख्यमंत्री शास्त्री के पास सामान्य प्रशासन, राजनीतिक, वित्त और राजस्व विभाग थे। उनके मंत्रिमण्डल के सदस्य नृसिंह कछवाहा के पास श्रम,हकार, ग्रामीण पुनर्गठन, प्रेमनारायण माथुर के पास पुलिस, शिक्षा, प्रचार, कारखंजाब, भ्रष्टाचार निरोधक तथा फूलचन्द बाफना के पास स्वायत्त शासन, भूरेलाल बया के पास यातायात, सार्वजनिक निर्माण,रघुवर दयाल गोयल के पास कृषि, वन, नागरिक आपूर्ति, वेदपाल त्यागी के पास न्याय, विधि, शरणार्थी सहायता पुननर्वास, शेभाराम के पास राजस्व, भू-प्रबन्ध, सिद्धराज ढढ्ढा के पास वाणिज्य,उद्योग, राजस्व और हनुवन्त सिंह के पास जेल, चिकित्सा, जन स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा था। इसके बाद गठित दूसरी अन्तरिम सरकार में मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के पास सामान्य  प्रशासन, राजनीतिक, गृह, नियुक्ति और कुम्भाराम आर्य के पास स्वायत्त शासन, श्रम,जसवन्त सिंह के पास पृथक राजस्व, वित्त (ग्रुप-ाा),टीकाराम पालीवाल के पास राजस्व, मुद्रण लेखन सामग्री,नरोत्तमलाल जोशी के पास न्याय विधि, विधि परामर्शी,निर्वाचन, बलवंत सिंह मेहता के पास वाणिज्य, उद्योग,बृजसुन्दर शर्मा के पास वित्त (ग्रुप-Þ1),मथुरादास माथुर के पास शिक्षा, चिकित्सा, जन स्वास्थ्य, मोहनलाल सुखाडिया के पास नागरिक आपूर्ति, कृषि, युगलकिशोर चतुर्वेदी के पास सार्वजनिक निर्माण, शरणार्थी सहायता निर्वास और अमृतलाल यादव के पास अजा,अजजा व पिछडा वर्ग कल्याण विभाग का जिम्मा था। पहली लोकतांत्रिक सरकार में टीकाराम पालीवाल  मुख्यमंत्री बने थे। इस सरकार का कार्यकाल 3 मार्च, 1952 से 1 नवम्बर, 1952 रहा। पालीवाल के मंत्रिमण्डल में कुल आठ सदस्य थे। मुख्यमंत्री पालीवाल के पास गृह, नियुक्ति,सामान्य प्रशासन (देवस्थान रहित) राजनीतिक, आयोजना,अमृतलाल यादव के पास वन, सहकार, श्रम, शरणार्थी सहायता, पुनर्वास,नाथूराम मिर्धा के पास वित्त, शिक्षा, स्वायत्त शासन,भोगीलाल पाण्ड्या के पास खाद्य, नागरिक आपूर्ति, सिंचाई, अजा,अजजा व पिछडा वर्ग कल्याण, देवस्थान, भोलानाथ के पास सार्वजनिक निर्माण,पृथक राजस्व, शरणार्थी सहायता, पुनर्वास, यातायात, मोहनलाल सुखाडिया के पास कृषि, राजस्व (वन व सहकार रहित), अकाल राहत, रामकरण जोशी के पास स्वायत्त शासन, श्रम और रामकिशोर व्यास के पासउद्योग, चिकित्सा, जन  स्वास्थ्य, न्याय,विधि, विधि परामर्शी, विधानसभा, निर्वाचन, नगरीय विकास एवं वाणिज्य विभाग की जिम्मेदारी थी। चौथा मंत्रिमंडल जयनारायण व्यास का (1-11-52 से 13-11-54) था। इसमें भी एससी-एसटी और महिला को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। महिला को मौका मिला मोहनलाल सुखाड़िया मंत्रिमंडल (13-11-54 से 11-4-57) में। इसमें कमला को लिया गया था।
 

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