अस्वस्थता में बढ़ोतरी
समय देना भूल गए
उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई तथा अस्वस्थता में बढ़ोतरी हुई। बात करने जा रहा हूं स्वास्थ्य का खराब पहलू मानसिक स्वास्थ्य की।
लोग अपने काम और इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में अग्रसर होने के चक्कर में स्वयं को समय देना भूल गए। इससे उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई तथा अस्वस्थता में बढ़ोतरी हुई। बात करने जा रहा हूं स्वास्थ्य का खराब पहलू मानसिक स्वास्थ्य की। विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ की पहल पर प्रति वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के समर्थन में प्रयास करना है। 2022 मानसिक स्वास्थ्य दिवस सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं थीम पर केंद्रित है डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में 8 में से एक व्यक्ति किसी ना किसी प्रकार के मानसिक विकार से पीड़ित है। वह अपने मानसिक विकारों को बिना किसी को बताए अकेलेपन का शिकार हो जाते है। स्वास्थ्य का मतलब केवल शारीरिक रूप से निरोग होना नहीं है शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक रूप से भी पूर्ण रुपेण स्वस्थ होना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप की स्थिति को स्वास्थ्य कहते है। इसमें से ज्यादातर लोग शारीरिक स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हैं और शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर उसका उपचार भी तत्काल करवाते हैं। पिछले एक दशक में मानसिक विकारों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन की एक स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास रहता है। वह जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है। अपने जीवन में उपयोगी रूप से काम कर सकता है और अपने समाज के प्रति योगदान में सक्षम होता है। मानसिक स्वास्थ्य की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है, क्योंकि मानव जीवन में हर तरह के सोच-विचार परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तित होते रहते है। मानसिक रोगों में चिंता और अवसाद सामान्य है। प्रमुख मानसिक रोगों में तनाव, एंग्जायटी, पर्सनलिटी डिसॉर्डर, डिप्रेशन, बाइपोलर डिसॉर्डर, ऑब्सेसिव- कम्पल्सिव डिस ऑर्डर और भी विकार है।
भारत में मानसिक रोगों पर नजर डालें तो एक बहुत बड़ा जनसंख्या वर्ग इससे ग्रसित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार करीब 7.5 प्रतिशत जनसंख्या मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। इनमें से लगभग 5.6 करोड़ लोग डिप्रेशन व करीब 3.8 करोड़ एंग्जायटी से ग्रस्त हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मानसिक विशेषज्ञों (मनोचिकित्सक) की स्थिति कुछ इस तरह है कि प्रति एक लाख जनसंख्या पर 0.3 प्रतिशत साइकिट्रीस्ट 0.12 प्रतिशत नर्सेज और 0.07 प्रतिशत साइकोलोजिस्ट है यानी लगभग 4 हजार हेल्थकेयर हैं।
- रघुवीर चारण
(ये लेखक के अपने विचार है)
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