बचाव है जरूरी
लगता है कोरोना की पहली और दूसरी लहर की त्रासदी से भारत की बड़ी आबादी सरकारों व राजनीतिक दलों ने कोई सबक नहीं लिया है।
लगता है कोरोना की पहली और दूसरी लहर की त्रासदी से भारत की बड़ी आबादी सरकारों व राजनीतिक दलों ने कोई सबक नहीं लिया है। जब से कोरोना के नए रूप ओमिक्रॉन का मामला सामने आया था, तभी हमारे कई विशेषज्ञों व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दे दी थी कि अगर समय रहते पर्याप्त इंतजाम नहीं किए और इस पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो यह खतरनाक रूप धारण कर सकता है। ओमिक्रॉन की जानकारी सामने आने के बाद भी देश की बड़ी आबादी सावधानी बरतना जरूरी नहीं समझ रही है। ऐसा होने से अब ओमिक्रॉन ने देश के विभिन्न भागों में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। शुरू में कर्नाटक सहित कुछ राज्यों में ओमिक्रॉन की मौजूदगी की जानकारी मिली थी लेकिन अब यह कई राज्यों में फैल गया है। अब तक इसके संक्रमितों की संख्या 39 तक के आंकड़े को पार कर गई है। कोरोना वायरस का हर रूप धीरे-धीरे ही पांव पसारत हुआ व्यापक रूप धारण कर लेता है, ऐसा हमारा पिछला अनुभव भी बताता है। ओमिक्रॉन के खतरे के संदर्भ में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों व नागरिकों को चेताया है कि मास्क के उपयोग को अनिवार्य बनाएं। जिनके दोनों टीके लग चुके हैं उन्हें भी मास्क लगाने की सख्त जरूरत है, क्योंकि ओमिक्रॉन से बचाव के लिए टीका नाकाफी साबित होता देखा जा रहा है। केन्द्र की चेतावनी उचित है लेकिन पर्याप्त नहीं है। कई राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार के दौरान होने वाली भीड़ में राजनीतिक रैलियों से संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ने की संभावना है। ऐसा पहले हो चुका है। केन्द्र, राज्य सरकारों व विशेषकर चुनाव आयोग को इसके लिए विशेष निर्देश व पाबंदियां लगा देने की सख्त जरूरत है। जो लोग मास्क नहीं लगाते हैं उनके खिलाफ भी सख्ती बरतने की जरूरत है। हमारे देश में 80 प्रतिशत लोग मास्क की उपेक्षा करते देखे जा रहे हैं जबकि जापान व दक्षिण कोरिया में 92 प्रतिशत लोग मास्क का उपयोग कर संक्रमण के फैलाव से अपने देशों को बचा रहे हैं। ओमिक्रॉन को हल्के में कहना खतरनाक है। इसे समय रहते नियंत्रण में रखना देश व समाज के हित में है।
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