सर्दियों में ना करें ज्यादा आराम, हो सकते हैं फ्रोजन शॉल्डर का शिकार
ज्यादा आराम करने से कंधे हो सकते हैं जाम, डायबिटिक मरीजों में रिस्क ज्यादा
ठंड के कारण लोग ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी भी नहीं करते जिससे शोल्डर का पूरा मूवमेंट नहीं हो पाता। ऐसे में कंधे के जोड़ के आस.पास बनी झिल्ली सूज जाती है जिससे कंधा जकड़ जाता है।
जयपुर। सर्दियों के मौसम में आमतौर पर शरीर सुस्त हो जाता है और आराम करने का मन करता है। ऐसे में सर्दियों में सेहत का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। बीमारियों का खतरा इस मौसम में बहुत अधिक रहता है। खांसी-जुकाम के अलावा हड्डी और जोड़ों में दर्द की शिकायतें भी बढ़ जाती हैं। ठंड के मौसम में फिजिकल एक्टिविटी की कमी से कंधों में जकड़न और दर्द के मामले भी बहुत बढ़ जाते हैं। डॉक्टरी भाषा में इसे फ्रोजन शोल्डर कहते हैं। कंधे को पूरा उठाने में दर्द होना, ऊंचाई से सामान न उतार पाना इत्यादि में कंधे का जकड़ जाना इसके लक्षण हो सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों को फ्रोजन शोल्डर का खतरा अधिक रहता है।
झिल्ली में आ जाती है सूजन
ओर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आशीष राणा गोयल ने बताया कि सर्दियों में शरीर का तापमान कम रहता है। ठंड के कारण लोग ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी भी नहीं करते जिससे शोल्डर का पूरा मूवमेंट नहीं हो पाता। ऐसे में कंधे के जोड़ के आस.पास बनी झिल्ली सूज जाती है जिससे कंधा जकड़ जाता है। यह सर्दियों में फ्रोजन शोल्डर का मुख्य कारण है। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ मांसपेशियों के फटने, कंधे में चोट लगने या बहुत ज्यादा समय तक कंधे को न उठाने से भी फ्रोजन शोल्डर हो सकता है।
ये है इलाज
डॉ. गोयल ने बताया कि यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एक स्थिति है जो हमारे फिजिकल एक्टिविटी न करने से होती है। इसके लक्षणों में कंधे को किसी भी दिशा में पूरी तरह न ले जा पाना और दर्द होना शामिल है। इलाज के तौर पर फिजियोथेरेपी की जाती है व अत्यंत दर्द के लिए पेन किलर्स भी दी जाती है। लेकिन नियमित एक्सरसाइज और कंधे का मूवमेंट ही इसका परमानेंट इलाज होता है। जिन लोगों में शोल्डर मसल टीयर हो जाता है उनकी शोल्डर रिपेयर सर्जरी की जाती है। डायबिटीज के मरीजों को ठंड में खास खयाल रखने की जरूरत है। नियमित वॉक और एक्सरसाइज न करने से उन्हें फ्रोजन शोल्डर होने का रिस्क बाकी लोगों से ज्यादा होता है।
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