कृषि में ड्रोन का प्रयोग होगा क्रांतिकारी कदम

कृषि में ड्रोन का प्रयोग होगा क्रांतिकारी कदम

सरकार अब मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट की तरह ही ड्रोन के प्रयोग को भी आधुनिक जीवन का एक अंग बनाने की कोशिश कर रही है। ड्रोन को मिशन की तरह बढ़ावा दिया जाएगा।

सरकार अब मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट की तरह ही ड्रोन के प्रयोग को भी आधुनिक जीवन का एक अंग बनाने की कोशिश कर रही है। ड्रोन को मिशन की तरह बढ़ावा दिया जाएगा। जैसे जल शक्ति मिशन के तहत घर-घर पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। वैसे ही ड्रोन शक्ति मिशन बनाया जाएगा। ड्रोन का इस्तेमाल अब सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में हर जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसका इस्तेमाल जवान से लेकर किसान तक करेंगे। यानी ड्रोन सीमाओं की सुरक्षा करने के साथ-साथ, खेतों में फसलों की भी सुरक्षा करेगा। यह लोगों की जरूरत की चीज बन जाएगा। इंडस्ट्री से लेकर आपदा प्रबंधन में इसका प्रयोग किया जा सकेगा। ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए अलग आॅफिस बनाया जाएगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इसकी तैयारी कर ली है। अभी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान बनाई गई है, अब फिजिकल प्रक्रिया को भी आसान बनाया जाएगा।


आगामी वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिए ड्रोन के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार काफी फोकस कर रही है। ड्रोन के जरिए खेती की कई महत्वपूर्ण समस्याओं, जैसे-फसलों में कहां रोग लगा है, कहां कीट लगे हैं, फसल में किस पोषक तत्व की कमी है आदि का पता लगाया जा सकता है। समय पर बीमारियों का पता चलने से किसानों की इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ सकेगा। ड्रोन में सेंसर और कैमरा जैसी महत्वपूर्ण तकनीकी विशेषताएं होती हैं। ड्रोन का प्रयोग फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, पौधों की वृद्धि की निगरानी, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए भी किया जाएगा, जिससे किसानों को काफी मदद मिलेगी। इससे एक बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ घंटों में ही कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है। जिससे किसानों की लागत में कमी आएगी, समय की बचत होगी और सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सही समय पर खेती में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा। देश के विभिन्न राज्यों में पिछले साल टिड्डियों के हमले को रोकने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। केंद्र की मोदी सरकार ने ड्रोन तकनीक को नवीनतम स्तर तक ले जाने के लिए कई प्रयास शुरू किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में ड्रोन तकनीक से दक्ष कामगार तैयार करना एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। इसके लिए केंद्र सरकार इस साल ड्रोन सेक्टर में स्टार्टअप को बढ़ावा देगी। देश के युवा अगर ड्रोन उद्योग में शुरुआत करना चाहते हैं, तो केंद्र उनकी मदद करेगा। ऐसा अनुमान है कि देश में करीब 600 से 700 एग्रीटेक स्टार्टअप हैं, जो एग्री वैल्यू चेन के अलग-अलग स्तर पर काम कर रहे हैं। ड्रोन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजट में कई मोर्चों को कवर किया गया है। जैसे कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन, स्टार्टअप को नाबार्ड के फण्ड के जरिए सहायता प्रदान करना आदि। इससे ड्रोन इंडस्ट्री नई ऊंचाइयों को छू सकेगी। बजट में ड्रोन टेक्नोलॉजी की क्षमता को पहचाना गया है। ड्रोन नियम 2021, ड्रोन इंडस्ट्री के लिए पीएलआई योजना और कृषि क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले ड्रोन के लिए अनुदान जैसे उपायों से क्षेत्र को तेजी मिली है।


हाल ही में अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि सरकार पहले चरण में गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर चौड़े गलियारों में किसानों की भूमि पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे देश में प्राकृतिक जैविक खेती को बढ़ावा देगी। किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए सरकार निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियों और कृषि मूल्य श्रंखला के अंशधारको के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थानों की भागीदारी में पीपीपी आधार पर एक योजना शुरू करेगी। प्राकृतिक शून्य बजट और जैविक खेती, आधुनिक कृषि मूल्य संवर्धन और प्रबंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। अग्रणी कृषि अनुसंधान और कृषि प्रशिक्षण संस्थानों को 8 से 10 लाख रुपए मूल्य के कृषि ड्रोन मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बदले में ये संस्थान देशभर में ड्रोन के छिड़काव का प्रशिक्षण करेंगे। किसान जल्द से जल्द कृषि ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति जागरूक हों, इसके लिए एफपीओ और कृषि इंटरप्रेन्योर्स सब्सिडाइज्ड दरों पर कृषि ड्रोन दिए जाएंगे, ताकि इसका इस्तेमाल बढ़ सके। साथ ही देश का हर एक किसान इसका इस्तेमाल कर सकें।


देश की ड्रोन इंडस्ट्री को आईआईटी कानपुर बढ़ावा देगा। ड्रोन से जुड़े सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में भी आईआईटी कानपुर का सुझाव शामिल रहेगा। इसको लेकर वार्ता भी चल रही है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने सेना से लेकर कृषि तक में प्रयुक्त होने वाले अनेक ड्रोन तैयार भी कर लिए हैं। अब इन ड्रोन को पूरी तरह देशी तकनीक पर तैयार करना है। अभी तक ड्रोन से जुड़े कई उपकरण विदेशों से खरीदने पड़ते हैं। सरकार ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी में भी बदलाव कर रही है। अब ड्रोन से संबंधी नियमों को आसान किया गया है। इसमें अधिक पेपर वर्क भी नहीं है। अगले 5 वर्षों में ड्रोन इंडस्ट्री आत्मनिर्भर हो जाएगी। जब ड्रोन की मांग बढ़ेगी तो उसमें लगने वाले उपकरणों का निर्माण भी शुरू हो जाएगा। वर्तमान में 60 फीसदी उपकरण देश में तैयार होने लगे हैं। डिजाइन का काम पूरी तरह देश के वैज्ञानिक कर रहे हैं।
    
देश में ड्रोन के क्षेत्र में सबसे अधिक काम आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक कर रहे हैं। वैसे आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास में भी वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। ड्रोन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही आईआईटी व अन्य तकनीकी संस्थानों में ड्रोन से संबंधित कोर्स भी शुरू किए जा सकते हैं। इसको लेकर कई प्रस्ताव तैयार हुए हैं। कृषि कार्यों के लिए श्रमिकों की बहुत बड़ी समस्या रहती है। अगर कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा तो खाद और कीटनाशक के छिड़काव में किसानों को मदद मिलेगी। उन्हें इस काम के लिए श्रमिकों को नहीं ढूंढ़ना पड़ेगा। हालांकि शुरुआत में इसका लाभ सिर्फ  बड़े किसान ही ले पाएंगे। हाथ से खाद का छिड़काव करने पर ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है, जिससे लागत में भी इजाफा होता है। ड्रोन से छिड़काव करने पर इससे राहत मिलेगी। वहीं कीटनाशक का छिड़काव करने वाले के स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ता है। जब यह काम ड्रोन के द्वारा होगा, तो इस समस्या से भी निजात मिलेगी।
     -रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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