पहले कृषि बजट में मिल सकता है किसानों को कमर्शियल बैंकों का ऋण माफी का तोहफा

2500 करोड़ हो सकता है प्रावधान

पहले कृषि बजट में मिल सकता है किसानों को कमर्शियल बैंकों का ऋण माफी का तोहफा

कृषि बजट भी 23 फरवरी को ही पेश किया जाएगा।

 जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पहले कृषि बजट में प्रदेश के किसानों को कमर्शियल बैंकों का ऋण माफी का तोहफा दे सकते हैं। कृषि बजट भी 23 फरवरी को ही पेश किया जाएगा। बजट में मुख्यमंत्री राज्य के किसानों को दिल खोलकर फायदा देना चाहते हैं। उन्होंने कृषि बजट बनाने में जुटे अफसरों को संकेत भी दे दिए हैं। राज्य सरकार की तरफ  योजना विभाग विभिन्न बैकों से को-आॅर्डिनेट करने में जुट गया है। किसानों द्वारा कमर्शियल बैंकों से लिए गए कुल कर्ज की रिपोर्ट भी वित्त विभाग को दी गई है। कमर्शियल बैंकों का ऋण माफी के लिए राज्य सरकार कृषि बजट में करीब ढाई हजार करोड़ रुपए का प्रावधान कर सकती है। किसानों को बड़ी राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों उनकी जमीनों की नीलामी पर रोक भी लगाई थी। इस फैसले से प्रदेश के उन किसानों को राहत मिलेगी जिन्होंने कमर्शियल बैंकों से कर्ज लिया और कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से उन्हें नोटिस मिल चुका है।

सत्ता में आने से पहले ऋण माफी का किया था ऐलान
प्रदेश में सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने किसानों द्वारा सहकारी बैकों से लिए गए फसल ऋण माफ करने का ऐलान किया था। खुद राहुल गांधी ने कहा था कि राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में आ गई तो दस दिन में किसानों के कर्जें माफ कर देंगे। उस समय यह कर्ज करीब 14000 करोड़ रुपए था। लेकिन किसी कारणवश और राष्टÑीयकृत बैंकों के असहयोग रवैये की वजह कामिर्शियल बैंकों का कर्ज माफ नहीं किया जा सका। अब मुख्यमंत्री किसानों को बड़ी राहत देने के मूड में है।

एक लाख किसानों के खिलाफ जमीन कुर्क की प्रक्रिया चालू
मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को कहा है कि वो सभी जिलों में जमीन कुर्क किए जाने से संबंधित रिपोर्ट जुटाएं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग नौ हजार किसानों को नोटिस दिया गया, जबकि जमीन कुर्क करने की प्रक्रिया एक लाख से ज्यादा किसानों के खिलाफ  चल रही थी। कामर्शियल बैंकों ने लगभग तीन लाख किसानों के करीब 6018 करोड़ के लोन को बैंकों ने एनपीए घोषित कर दिया है। स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के साथ बैठक और राजस्थान स्टेट लेवल लोन सेमिनार में सीएम ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों को पार्टनशीप में कर्ज माफी का आॅफर दिया था। कहा गया था कि सरकार एनपीए बन चुके लोन का सरकार 10 फीसदी देगी जबकि 90 प्रतिशत बैंक देंगे। इस प्रस्ताव पर बैंकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।

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