पेस्टीसाइड्स का बेतहाशा इस्तेमाल दे रहा है जानलेवा बीमारियों को न्योता
खतरनाक रसायनों से बनाया जाता है सब्जी को चमकदार
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसानो को लगभग हर प्रशिक्षण कार्यक्रम में और अन्य माध्यमों से कीटाणुनाशक दवाओं के उचित इस्तेमाल और जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाता है मगर कुछ निरंकुश रासायनिक दवा विक्रेता अधिक मुनाफा कमाने की गरज से खतरनाक रासायनिक दवाएं डालने के लिये किसानों को उकसाते है।
हमीरपुर। फसलों और सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिये पेस्टीसाइड्स का अत्यधिक इस्तेमाल कैंसर, किडनी और लीवर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारक बन रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि किसानो को लगभग हर प्रशिक्षण कार्यक्रम में और अन्य माध्यमों से कीटाणुनाशक दवाओं के उचित इस्तेमाल और जैविक खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाता है मगर कुछ निरंकुश रासायनिक दवा विक्रेता अधिक मुनाफा कमाने की गरज से खतरनाक रासायनिक दवाएं डालने के लिये किसानों को उकसाते है।
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के कृषि वैज्ञानिक डा.प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को बताया कि हर प्रशिक्षण में किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। यदि पौधों में कोई बीमारी है तो पेस्टीसाइड (कीटाणुनाशक) दवा मानक के अनुरुप डालने को कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि कीटाणुनाशक दवा के लिये लाल,पीला,नीला.हरा रंग के डिब्बे चिन्हित किये गये है जिसमे लाल रंग के डिब्बे की दवा का प्रयोग कभी भी सब्जी में प्रयोग नही करना चाहिये। यह दवा सबसे ज्यादा घातक होती है। जब नीले रंग के डिब्बे की दवा सब्जियों के पौधे मे डालते है तो उस सब्जी को कम से कम दो सप्ताह तक बाजार मे बिक्री नहीं करना चाहिये मगर किसान कीटाणुनाशक दवा डालने के लिये सीधे बाजार में दवा विक्रेता के यहा जाकर उससे सलाह लेता है और वह घातक दवा देकर फसलो में छिड़काव करता है जिससे व्यक्ति के सेहत के लिये बहुत खतरनाक साबित होती है।
कृषि वैज्ञानिक डा. चंचल सिंह का मानना है कि किसान ओवरडोज दवा फसलों में डालता है जिससे मधुमक्खियां जिस फूल में बैठती है उसी समय वह कमजोर हो जाती है या तो मर जाती है यदि कोई मधुमक्खी फूल का रस लेकर वापस भी आ जाती है तो शहद की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है और यह शायद मानव के लिये बेहद खतरनाक साबित होता है।
कृषि वैज्ञानिक डा.एसपी सोनकर का कहना है कि खतरनाक रासायनिक दवा को बिक्री को रोकने का काम कृषि अधिकारियों का है। जिला चिकित्सालय के फिजीशियन डा. आरएस प्रजापति का कहना है कि रासायनिक दवा युक्त सब्जियां व अनाज खाने से लीवर,किडनी तो खराब होती है वहीं कैंसर जैसी प्राणघातक बीमारी का जन्म होता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि दवा कोराजैन,इन्फलारोपिट,प्रोफोनाफास्ट,साइफरकेथिना, मैलाथियान ये सभी खतरनाक दवाएं है। फसल में अधिक डोज डालने से मानव की ङ्क्षजदगी बर्बाद कर देती है। उपकृषि निदेशक हरीशंकर भार्गव का कहना है कि किसानों को खतरनाक दवाएं डालने के लिये मना किया जाता है मगर किसान दूसरे से जब सलाह लेता है तो वह भटक जाता है। इसके लिये प्रयास किया जायेगा।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहीत अधिकारी(डीओ) रामअवतार यादव ने कहा कि सब्जी को चमकदार और आकर्षित बनाने के लिये उसका खतरनाक रसायनों से रंग रोगन किये जाने की सूचना मिलती है मगर उसके लिए सैम्पल भरने का कोई प्रावधान नही है।
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