मोदी ने सामाजिक समरसता के लिए वीर सावरकर और संत कबीर को किया याद
मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 101 वीं कड़ी
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक समरसता के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर और संत कबीर का स्मरण करते हुए कहा है कि उनके दिखाए गए मार्ग मौजूदा समय में भी प्रासंगिक है।
मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 101 वीं कड़ी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा ''आज 28 मई को, महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है। उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है।
उन्होंने अपनी अंडमान की यात्रा को याद करते हुए कहा, ''मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं, अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहाँ वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी। संत कबीर को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चार जून को संत कबीरदास जी की भी जयंती है। कबीरदास जी ने जो मार्ग हमें दिखाया है, वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
मोदी ने संत कबीरदास के एक दोहे - ''कबीरा कुआँ एक है, पानी भरे अनेक। बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक।- का उल्लेख करते हुए कहा कि संत कबीर ने समाज को बांटने वाली हर कुप्रथा का विरोध किया और समाज को जागृत करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि आज जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें संत कबीर से प्रेरणा लेते हुए समाज को सशक्त करने के अपने प्रयास और बढ़ाने चाहिए।
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