सुख सुविधाओं में कुलपति मंत्रियों से भी आगे : धोबी, नाई, माली, कुक मर्जी से रख सकते हैं वीसी: मंत्री सरकारी नियमों की बंदिशों में

कुछ कुलपतियों के बंगले तो मंत्रियों के बंगलों से काफी बड़े हैं।

 सुख सुविधाओं में कुलपति मंत्रियों से भी आगे : धोबी, नाई, माली, कुक मर्जी से रख सकते हैं वीसी: मंत्री सरकारी नियमों की बंदिशों में

राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को समाज में सार्वजनिक रूप से भले ही उच्च शिक्षा मंत्री जैसा रुतबा नहीं मिल पाता है, लेकिन इन्हें मिलने वाले बंगले, वेतन और अन्य सुविधाएं मंत्रियों की सुविधाओं पर भी भारी है।

 जयपुर। राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को समाज में सार्वजनिक रूप से भले ही उच्च शिक्षा मंत्री जैसा रुतबा नहीं मिल पाता है, लेकिन इन्हें मिलने वाले बंगले, वेतन और अन्य सुविधाएं मंत्रियों की सुविधाओं पर भी भारी है। कुछ कुलपतियों के बंगले तो मंत्रियों के बंगलों से काफी बड़े हैं। इस मामले में कई जिलों में तो कलक्टर और एसपी के पास भी मंत्रियों से ज्यादा सुख सुविधाएं हैं।  कई विश्वविद्यालयों में अधिकांश कुलपतियों को शासकीय निवास वाले बंगले मिले हुए हैं, जिनमें उनका ऑफिस और गेस्ट हाउस भी होता है। आगन्तुकों और अतिथियों की वजह से रसोइया, धोबी, माली, नाई, नौकर जैसी सुविधाएं भी कई कुलपतियों के पास होती हैं। वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री को भी बंगले, वेतन और नौकर जैसी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन कुलपति निवास की तुलना में कर्मचारी नहीं मिलते। राज्यपाल विश्वविद्यालय से ऑर्डिनेस पास कर धोबी, नाई, कुक, माली और गार्ड अपनी मर्जी के हिसाब से रख सकते हैं, वहीं मंत्री को तय स्टाफ से ज्यादा रखने पर सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति को सबसे ज्यादा 2.60 लाख रुपए वेतन मिलता है, वहीं अन्य कुलपतियों को भी करीब 2.25 लाख रुपए वेतन मिलता है। मंत्री को भी शासकीय निवास वाले बंगले ही मिलते हैं, लेकिन बंगले, वेतन और नौकर की सुविधाएं कुलपति की तुलना में कम है।

मंत्री को ये सुविधाएं
उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र यादव को 62 हजार रुपए वेतन और 80 हजार रुपए सत्कार भत्ता मिलता है। इसके अलावा अन्य मंत्रियों की तरह सरकारी गाड़ी और बंगला, पीए, गनमैन, गार्ड और अन्य स्टाफ की सुविधाएं मिलती हैं। सरकारी बंगला शासकीय आवास होने के कारण चार लोगों का स्टाफ मिलता है।

हां कुलपतियों को मिलती है अधिक छूट
हां, यह बात सही है कि कुलपतियों को मिलने वाली सुविधाएं मंत्रियों की तुलना में कहीं ज्यादा  हैं। कुलपतियों को सुविधाएं यूनिवर्सिटी एक्ट के हिसाब से मिलती हैं। हालांकि मंत्री और कुलपति की सुविधाओं की तुलना कई मायनों में उचित नहीं है, लेकिन कुलपतियों को अपनी सुविधाएं बढ़ाने में मंत्रियों से ज्यादा छूट होती है। - कैलाश सोढ़ानी, पूर्व कुलपति, एमडीएस विवि,अजमेर

शिक्षाविदों का तर्क: कुलपति का ओहदा बड़ा
हालांकि उच्च शिक्षामंत्री और कुलपति के ओहदे की तुलना में शिक्षाविद् अलग नजरिया रखते हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि कुलपति सीधे तौर पर राज्यपाल के अधीन होते हैं। उनके अधीन यूनिवर्सिटी में कई राज्यों के विद्यार्थी रहते हैं। लिहाजा विद्वत्ता के मानकों के हिसाब से कुलपति का ओहदा उच्च शिक्षा मंत्री से बड़ा होता है। अधिकांश उच्च शिक्षा मंत्री कुलपतियों के योग्यता और अनुभव के सामने कहीं नहीं टिकते।


नजरिया बदलने के लिए ये कारण जिम्मेदार

बड़ा ओहदा होने के बावजूद मंत्रियों की तुलना में समाज में कम आंकने की प्रवृत्ति के लिए कुलपतियों की भूमिका भी काफी हद तक जिम्मेदार है। किसी जमाने में बीएचयू के कुलपति से मिलने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे लोग पहुंचते थे। पॉलिटिकल पहुंच से पद हासिल करने वाले कुलपति कई मौकों पर मंत्रियों के पास पहुंचकर या उन्हें रिसीव करने पहुंचते हैं तो लोग उन्हें छोटा आंकने लगते हैं। अपने व्यक्तित्व और शख्यिसत के विपरीत आचरण दिखाने में कई कुलपतियों की घटनाएं रही हैं। अजमेर के एक कुलपति निजी कॉलेज संचालक से रिश्वत लेकर जेल गए।

कुलपतियों को मिलने वाली सुविधाएं
आरयू के कुलपति का बंगला सभी बंगलों में बड़ा माना जाता है, वहीं यूनिवर्सिटी एक्ट के हिसाब से उनको सबसे ज्यादा वेतन-भत्ते मिलते हैं। अन्य सुविधाएं तकरीबन सभी कुलपतियों की समान सी होती हैं। कुलपति कम से कम 10 से 12 कर्मचारियों का स्टाफ रख सकता है और अधिकतम की कोई संख्या तय नहीं है। सुविधाओं में गाड़ी, वीसी लॉज के लिए गार्ड, कुक, माली, नाई, धोबी, आदि। वीसी ऑफिस के लिए तीन चौकादीर, तीन गार्ड, आठ चपरासी और मंत्रालय कर्मचारियों में एक पीए, एक पीएस, एक स्टेनो, दो बाबू मिलते हैं। कुलपति चाहे तो अध्यादेश के माध्यम से अपनी मर्जी से स्टाफ की संख्या में बढ़ोतरी कर सकता है। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन दो लाख दस हजार बेसिक है। टीए, 31 प्रतिशत डीए और अलाउंस सहित 2,60,000 रुपए है। अन्य कुलपतियों को कुल वेतन करीब 2.25 लाख रुपए तक मिलता है।

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