Rajasthan Assembly Election: सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड कैलाश मेघवाल के नाम

चौहान ने नाथद्वारा में एक वोट से जीतने का बनाया इतिहास

Rajasthan Assembly Election: सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड कैलाश मेघवाल के नाम

मेघवाल ने 2018 के चुनाव में भीलवाड़ा के शाहपुरा विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 74 हजार 542 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था। मेघवाल को एक लाख एक हजार 451 वोट हासिल हुए थे।

ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। राजस्थान में अब तक विधानसभा के लिए 15 चुनाव हो चुके हैं। 16वीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत में होने जा रहे हैं। चुनाव की गर्माहट परवान पर है। कांग्रेस और भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल जहां सत्ता पाने के मकसद से मिशन मोड पर हैं। वहीं भारत निर्वाचन आयोग के टॉप तीन अफसरों की टीम ने तीन तक राजधानी जयपुर में डेरा डालकर अपनी तैयारियों को अंजाम दे दिया है। अब तक चुनावों में सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड कैलाश मेघवाल के नाम है, जबकि सबसे कम मात्र एक मत से जीत दर्ज कराने का इतिहास कल्याण सिंह चौहान के नाम दर्ज है। ये दोनों ही रिकॉर्ड 2008 से 2018 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में दर्ज हुए हैं। मेघवाल ने 2018 के चुनाव में भीलवाड़ा के शाहपुरा विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 74 हजार 542 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था। मेघवाल को एक लाख एक हजार 451 वोट हासिल हुए थे।

वहीं निकटतम प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के महावीर प्रसाद को मात्र 26 हजार 909 मत मिले थे। वर्ष 2008 में हुए चुनावों में नाथद्वारा विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान ने कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. सीपी जोशी को मात्र एक वोट से हरा कर देशभर में चर्चा में आए थे। डॉ. जोशी को 62215 और चौहान को 62216 वोट मिले थे। उस समय डॉ. जोशी मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में से एक थे।

ये भी करा चुके हैं बड़ी जीत दर्ज
विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत दर्ज कराने वालों में घनश्याम तिवाड़ी भी शामिल है। भाजपा प्रत्याशी तिवाड़ी ने 2013 के चुनाव में जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के संजय बापना को 65 हजार 350 वोट के अंतर से हराया था। इस चुनाव में जहां घनश्याम तिवाड़ी को एक लाख 12 हजार 465 वोट मिले थे, जबकि बापना को मात्र 47 हजार 112 वोट मिले। कांग्रेस के हेमाराम चौधरी भी 52 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 25 वर्ष पहले 1998 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गुढ़ामलानी से चुनाव लड़ा था। उन्होंने लोकदल से भाजपा में आए कैलाश बेनीवाल को 52 हजार 537 वोट से हराया था। इस चुनाव में हेमाराम चौधरी को 69 हजार 819 और बेनीवाल को सिर्फ 17 हजार 282 मत मिले थे।  

इन नेताओं की कम मतों से हुई जीत
वर्ष 2008 में लालसोट विधानसभा सीट पर राजपा के टिकट पर किरोड़ीलाल मीणा कांग्रेस के परसादी लाल से मात्र 491 वोटों से विजयी रहे थे। तब डॉ. किरोड़ी को 43 हजार 887 वोट मिले थे और परसादी लाल को 43 हजार 396 वोट प्राप्त हुए थे। उस समय लालसोट में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। वहीं चौमूं सीट पर कांग्रेस के भगवान सहाय सैनी भाजपा के रामलाल शर्मा को 135 वोटों से जीत गए थे। पोकरण सीट पर भी कांग्रेस के सालेह मोहम्मद ने भाजपा के शैतान सिंह को मात्र 339 वोटों से हराया था। हनुमानगढ़ में कांग्रेस के विनोद कुमार ने भाजपा के रामप्रताप को 386 वोटों से हराया था। मंडावा सीट पर कांग्रेस की रीटा चौधरी ने निर्दलीय नरेंद्र कुमार से 405 वोटों से हराया था। इसी तरह नसीराबाद सीट पर कांग्रेस के महेंद्र सिंह भाजपा के सांवर लाल से 71 वोटों से जीते थे। लक्ष्मणगढ़ में भी कांग्रेस के गोविंदसिंह डोटासरा ने निर्दलीय उम्मीदवार को मात्र 34 वोटों से मात दी थी। विधानसभा चुनाव 2003 की बात करें तो करौली सीट पर बसपा के सुरेश मीणा ने भाजपा के कृष्णचंद्र को मात्र 155 वोटों से हराया था। खंडार सीट पर कांग्रेस के अशोक ने भाजपा के हरिनारायण को 172 वोटों से मात दी थी। नीमका थाना सीट पर भाजपा के प्रेमसिंह बाजौर ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल के रमेशचंद खंडेलवाल को 205 वोटों से हराया था। नसीराबाद सीट पर कांग्रेस के गोविंद सिंह भाजपा के मदन सिंह से 453 वोटों से जीते थे। इसी प्रकार पीपल्दा सीट पर भाजपा के प्रभुलाल ने कांग्रेस के रामगोपाल को 415 वोटों से हराया था।

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