सदन में गूंजे भ्रष्टाचार के मामले
विधायक नरपत सिंह राजवी ने राजस्थान लेखा सेवा अधिकारियों के खिलाफ अनियमितताओं के मामले को लेकर सवाल पूछा।
जवाब में मंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि लेखा सेवा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के कुल 10 मामले सामने आये हैं, जिनमें से 9 अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है।
जयपुर। विधानसभा में गुरुवार को राजस्थान लेखा सेवा अधिकारियों के विरुद्ध अनियमितताओं के मामले उठे। दरअसल, विधायक नरपत सिंह राजवी ने राजस्थान लेखा सेवा अधिकारियों के खिलाफ अनियमितताओं के मामले को लेकर सवाल पूछा। जवाब में मंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि लेखा सेवा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के कुल 10 मामले सामने आये हैं, जिनमें से 9 अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। कुछ प्रकरणों में विभागीय जांच, कुछ में कार्मिक विभाग की जांच, कुछ प्रकरणों में एसीबी जांच, तो कुछ प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है। ऐसे में इन प्रकरणों के जांच नतीजे आने पर ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ नियम अनुसार बर्खास्तगी से लेकर वसूली की कार्रवाई की जायेगी।
प्रश्नकर्ता विधायक राजवी ने कहा कि लेखा सेवा के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ दर्ज़ कुछ प्रकरणों की एफएसएल और पुलिस जांच में ये साबित हो गया है कि भ्रष्टाचार हुआ है। ऐसे अधीकारियों को तुरंत गिरफ्तार करवाना चाहिए, जबकि ऐसे अधिकारियों को संवेदनशील पदों पर पदस्थापित किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष कटारिया की आपत्ति
मंत्री के जवाब के बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ये प्रकरण बेहद गंभीर है। एक अधिकारी 56 लाख रूपए का गबन करते हुए सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाता है और सरकार प्रकरण की अग्रिम जांच के लिए स्वीकृति नहीं देती, ये कार्य खड़े करता है। इस पर मंत्री धारीवाल ने कहा कि गबन के प्रकरण 56 लाख के नहीं बल्कि 10 करोड़ रूपए तक के हैं। कई मामलों में एसीबी को जांच में तीन से चार साल का वक्त लग जाता है।
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