आईआईएस यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का हुआ आगाज
शिक्षा व राजनीति में मौजूदा मानविकी की संभावनाओं को किया फोकस
जयपुर। आईआईएस (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) मानसरोवर, जयपुर के डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लिटरेचर एंड लैंन्गुएज, स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज की ओर से आज शनिवार सुबह यूनिवर्सिटी कैंपस में द ह्यूमैनिटीज टुडे : ग्लोबल एंड सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटीज विषयक दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आगाज हुआ। रजिस्ट्रार डॉ.राखी गुप्ता, स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज की डीन डॉ. इला जोशी व डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लिटरेचर एंड लैंगुएज की हैड डॉ. रिमिका सिंघवी और अशोका यूनिवर्सिटी, सोनीपत के नॉवलिस्ट व क्रिटिक सैकत मजूमदार ने दीप-प्रज्वलन किया।
मुख्य सत्र के वक्ता अशोका यूनिवर्सिटी, सोनीपत के नॉवलिस्ट व क्रिटिक सैकत मजूमदार ने व्यवहार में मानविकी, लोक एवं शिक्षाशास्त्र विषय पर चर्चा की। उन्होंने मौजूदा मानविकी की संभावनाओं समेत सीमाओं, शिक्षा, राजनीति के बीच जटिल संबंधों को फोकस किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तेजी से हो रहे मानविकी और विज्ञान में विषयों का मिश्रण सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक वास्तविकता बनता जा रहा है। प्रारंभ में रजिस्ट्रार डॉ.राखी गुप्ता ने कॉन्फ्रेंस के लक्ष्य और उदेद्श्य की जानकारी दी। आईसीएसएसआर के सहयोग से हो रही इस कॉन्फ्रेंस में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, यूएसए की पूर्व ग्लोबल प्रतिष्ठित प्रो.राजेश्वरी सुंदर रंजन ने ह्यमैनिटीज को मुनासिब मानते हुए भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूके तीन अलग-अलग राष्ट्रीय संदर्भों में उच्च शिक्षण संस्थानों में ह्यूमैनिटीज की तुलना के बारे में बात की। सत्र के दौरान सार तत्वों की पुस्तक का विमोचन और जर्नल ऑफ आर्ट्स यूजीसी केयर लिस्टेड जर्नल, संस्करण जनवरी 2024 का विमोचन हुआ। सत्र के दौरान कुल 15 पेपर प्रेजेंट किए गए।
सत्र में वक्ता डॉ. बी.आर.अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के राधा चक्रवर्ती ने परिवर्तनकारी प्रतिमान : तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद और मानविकी विषय पर विचार रखे। यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन, आयरलैंड में इंग्लिश के एसो.प्रो. एडम केली ने हाल के वर्षों में जलवायु बदलाव के मद्देनजर विकास की सीमाओं और गिरावट की संभावनाओं के बारे में सोचने में मानविकी की अहम भूमिका पर रोशनी डाली। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यूके के मार्टिन ओलिवर ने शिक्षा और प्रौद्योगिकी के पतन पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकियों को प्रासंगिक बनाने के बारे में फिर से सोचने की जरूरत है। कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर से प्रतिष्ठित स्कॉलर्स और एक्सपर्ट्स और 15 स्पीकर्स समेत करीब 130 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस का अहम मकसद मौजूदा वैश्विक समाज में मानविकी की भूमिका पर चर्चा से इसे समृद्ध बनाना है। अंत में सम्मेलन की संयोजक और आयोजन सचिव डॉ. रिमिका सिंघवी ने सभी आगंतुकों का आभार जताया।
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