पूर्वोत्तर ... 370 की राह!

पूर्वोत्तर के राज्यों को लेकर एक साहसिक निर्णय

पूर्वोत्तर ... 370 की राह!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के राज्यों को लेकर एक साहसिक निर्णय कर डाला। उन्होंने साठ के दशक से लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के दायरे को कम कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के राज्यों को लेकर एक साहसिक निर्णय कर डाला। उन्होंने साठ के दशक से लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के दायरे को कम कर दिया। यह एक बहुप्रतिक्षित निर्णय। जिसके लिए इस क्षेत्र के नागरिकों की लंबे समय से मांग थी। यह कदम वैसा ही। जैसे अगस्त 2019 में केन्द्र ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 को खत्म किया। लेकिन इसके मायने बिल्कुल साफ। अफस्पा को सिमित करने का मतलब पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो रही। यानी जो क्षेत्र दशकों तक अलगाववाद एवं उग्रवाद के लिए जाना जाता रहा। वहां सरकार उसे काबू करने में सफल। यह मोदी सरकार के लिए भी एक उपलब्धि। पूर्वोत्तर के राज्य वैसे भी बाकी देश से एक तरह से कटा हुआ ही महसूस करते रहे। पीएम मोदी ने पद संभालने के बाद इसमें बदलाव किए। अपने हर मंत्री को वहां जाकर समस्याओं को समझने की मानो ड्यूटी ही लगा दी। फिर वहां के ढांचागत क्षेत्र पर गौर किया। परिणाम सामने।

मुलाकातों का दौर!
वसुंधरा राजे का दिल्ली में पीएम मोदी समेत अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं से मुलाकातों का दौर। इस बीच, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का प्रदेश में दौरा भी हो गया। यह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का संकेत। इस बीच, नेतृत्व स्पष्ट संकेत दे रहा। इस बार सीएम फेस को चुनाव से पहले आगे नहीं किया जाएगा। सो, राजे की नई दिल्ली में सक्रियता का यही बड़ा कारण। राजे समर्थक मांग कर रहे। उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए। लेकिन आलाकमान अपनी तरह से सोच रहा। संकेतों की मानें तो राजस्थान को लेकर फैसला गुजरात विधानसभा चुनाव बाद। तब तक सभी संभावितों की महत्वाकांक्षाएं भी सामने आ जाएंगी। आलाकमान यह देख, सुन रहा। लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी का ससंदीय बार्ड करेगा। यह प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कई बार कह चुके। फिर गफलत किस बात की? लेकिन यही राजनीति। लोकतंत्र में सभी को अपनी इच्छा जाहिर करने का हक। अब किसी को दिक्कत हो रही तो यह उसकी बला से!

टॉप गियर में डिप्लोमेसी!
भारत की डिप्लोमेसी इन दिनों मानो टॉप गियर में। रूसी और अमरीकी अधिकारी भारत आ रहे। नेपाली पीएम भी भारत दौरे पर। तो श्रीलंका की ऐन वक्त पर भारत ने ही मदद की। वहीं, पाक पीएम भारत की विदेश नीति की सराहना कर चुके। इस बीच, रूस-यूक्रेन युद्ध जारी। रूस ने तो झगड़ा सुलझाने के लिए भी भारत से आग्रह भी कर डाला। तो अमरीका, यूरोप एवं नाटो तरह-तरह से भारत को रूस से दूर रहने के लिए अनुनय-विनय कर रहे। साथ में चेतावनी भी। लेकिन इन दिनों भारत का अपना सुर ताल। यहां तक कि ओआईसी के सम्मेलन से चीनी विदेश मंत्री बिन बुलाए अचानक भारत आ पहुंचे। उनसे भारत की ओर से दो टूक। बहुत हुआ। सीमा से सेना की तादात कम करें। तभी तनाव कम होने की उम्मीद करें। पीएम मोदी भारत को मैन्यूफेक्चरिंग हब बनाने पर आमादा। आबादी के लिहाज से दुनिया के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार। इससे कौन इनकार करेगा। असल में, यही भारत की ताकत भी।

तैयारी 2024 की!
उत्तर प्रदेश में भले ही विधानसभा चुनाव निपटकर नई सरकार का गठन हो गया हो। लेकिन भाजपा ने आम चुनाव 2024 की तैयारी शुरू भी कर दी। भाजपा का टारगेट 80 में से 75 सीटों का। सो, बसपा के बजाए अब फोकस सपा पर। इस बार सपा की सीटें ढाई गुना हो गईं। भाजपा भी चुनावी आंकड़ों को खंगाल रही। इसीलिए शिवपाल यादव के बागी तेवर अखिलेश यादव को परेशान कर रहे। राज्यसभा की होने वाली 11 सीटों के चुनाव पर इसका असर संभव। बसपा का 13 फीसदी वोट अभी भी मायावती के साथ। जबकि भाजपा का थोड़ा बढ़ा। वह कहां से प्लस हुआ। यह देखने वाली बात। सो, सपा के यादव वोट बैंक में सेंध की अभी से भाजपा द्वारा कोशिश। अखिलेश अपनी ही बिरादरी के नेताओं को भाजपा का समर्थन करने के आरोप में सपा से निकाल रहे। यह भाजपा के सफल होने का संकेत। चर्चा यहां तक। कहीं, शिवपाल उपचुनाव वाली आजमगढ़ सीट से ही सपा के खिलाफ न उतर जाएं!

Read More इंडिया समूह को पहले चरण में लोगों ने पूरी तरह किया खारिज : मोदी

फिर खटपट की आशंका?
राजस्थान कांग्रेस में फिर से खटपट की आशंका। आखिर खाली हो रही राज्यसभा की चार में से तीन सीटें पार्टी के खाते में जाने की उम्मीद। इनमें से एक सीट सचिन पायलट अपने समर्थक के लिए मांग रहे। जिस पर सीएम गहलोत कतई राजी नहीं। हालांकि राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थक कुछ नेता कुर्सी पा गए। लेकिन अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम, खासकर यूपी के बाद हालात बदले हुए। कांग्रेस नेतृत्व कमजोर नजर आ रहा। राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में अच्छी खासी खटपट हो चुकी। जिसे मुश्किल से संभाला गया। वहीं, महाराष्ट्र में दो दर्जन कांग्रेस विधायक सोनिया गांधी से मिलने का समय मांग रहे। वहां, एमवीए सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। शिवसेना एवं एनसपी के नेता केन्द्रीय एजेंसिंयों के रडार पर। भाजपा हमलावर। कांग्रेस यह सब चुपचाप देख रही। ऐसे में यदि राजस्थान में कुछ भी हुआ। तो पार्टी का नुकसान होना संभव। जबकि यूपी में भाजपा की वापसी से कई के अरमान ठंडे बस्ते में चले गए।

Read More सतरंगी सियासत

शतकवीर भाजपा!
तो उच्च सदन में भाजपा सांसदों का आंकड़ा सौ तक पहुंच गया। करीब तीन दशक बाद राज्यसभा में यह स्थिति बनी। साल 1989 में कांग्रेस के 108 सांसद हुआ करते थे। उसके बाद से उसका ग्राफ गिरना शुरू हुआ। तो अब 33 के आसपास आ गई। जबकि भाजपा के 2014 में 55 सांसद थे। जो अब सौ से पार हो गए। असल में, विपक्ष, खासतौर से कांग्रेस इससे काफी असहज। क्योंकि अनुच्छेद-370 और राम मंदिर पर कोर्ट का निर्णय। काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निमाण। सरकार सीएए तक आ गई। अब आगे कॉमन सिविल कोड की संभावना। जिसे कांग्रेस के लिए रोक पाना मुश्किल। साल के अंत तक एनडीए एवं यूपीए के आंकड़ों में बदलाव संभव। हां, क्षेत्रीय दल ज्यादा ताकतवर होंगे। लेकिन कांग्रेस के और नीचे जाने की संभावना। वहीं, क्षेत्रीय दल भाजपा का कितना विरोध कर पाएंगे? इसमें संदेह! क्योंकि कई बार क्षत्रपों ने सरकार का साथ दिया। ऐसे में कांग्रेस का हर वक्त विपक्ष के नाम पर यह दल साथ देंगे?

Read More वोट बैंक के लिए आस्था को खारिज कर रहा है इंडिया गठबंधन : मोदी

- दिल्ली डेस्क



Post Comment

Comment List

Latest News

इंडिया समूह को पहले चरण में लोगों ने पूरी तरह किया खारिज : मोदी इंडिया समूह को पहले चरण में लोगों ने पूरी तरह किया खारिज : मोदी
पीएम-किसान के माध्यम से आय सहायता और प्रचार के माध्यम से हमारे किसानों के सशक्तिकरण की सुविधा प्रदान करना तथा...
प्रतिबंध के बावजूद नौलाइयों में आग लगा रहे किसान
लाइसेंस मामले में झालावाड़, अवैध हथियार रखने में कोटा है अव्वल
जघन्य अपराधों को फाइलों में किया बंद
इराक में अर्धसैनिक बल के मुख्यालय पर ड्रोन हमला
भ्रष्टाचार का स्कूल चला रहे हैं मोदी, इंडिया गठबंधन की सरकार लगाएगी ताला : राहुल
वाहनों में बिना अनुमति के मोडिफिकेशन करा कर दे रहे हादसों को न्यौता