बच्चों के साथ ही बड़ों में भी तेजी से फैल रहा मंप्स वायरस

जेके लोन सहित एसएमएस और निजी अस्पतालों में भी सामने आ रहे केस, खांसने, छींकने और एक-दूसरे से संपर्क में आने से फैल रहा यह वायरस

बच्चों के साथ ही बड़ों में भी तेजी से फैल रहा मंप्स वायरस

चौंकाने वाली बात यह कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इसका टीका ही नहीं है। खांसने-छींकने से फैलने वाली इस संक्रमक बीमारी के जितने मामले पूरे साल में आते थे अब उतने अब रोजाना आ रहे हैं।

जयपुर। प्रदेश में स्वाइन फ्लू, कोरोना, इंफ्लूएंजा के बाद अब एक और वायरस इन दिनों तेजी से फैल रहा है। हालांकि यह वायरस कोरोना, स्वाइन फ्लू सहित अन्य वायरस से भी काफी पुराना है, लेकिन इन दिनों इसका प्रकोप काफी देखा जा रहा है। यह वायरस है मंप्स वायरस। मंप्स वायरस वैसे तो बच्चों में ही आमतौर पर फैलता है लेकिन इन दिनों बड़ों में भी इसके लक्षण देखें जा रहे हैं। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल, जेके लोन हॉस्पिटल और निजी हॉस्पिटल में इस बीमारी के मरीज इन दिनों काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इसका टीका ही नहीं है। खांसने-छींकने से फैलने वाली इस संक्रमक बीमारी के जितने मामले पूरे साल में आते थे अब उतने अब रोजाना आ रहे हैं।

क्या है मंप्स, बच्चों में दिखता है ज्यादा असर
यह संक्रामक बीमारी है। जो खांसने और छींकने से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। अगर समय पर इलाज मिले तो मंप्स से संक्रमित बच्चे करीब दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। कुछ मामलों में गंभीरता के कारण अधिक समय भी लग सकता है। ऐसे में वायरस के कारण बच्चों के ब्रेन, किडनी और हार्ट पर भी असर पड़ता है। तेज बुखार, कान के आसपास सूजन और तेज दर्द होने पर इसे सामान्य मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मरीज को बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्ज होने पर डॉक्टर को दिखाएं और समय पर इलाज शुरू करें। इस बीमारी से संक्रमित मरीजों को मुंह खोलने में भी परेशानी होती है। जबड़ों के नीचे व आस पास सूजन आ जाती है, जिससे कानों पर इसका असर होता है।

अप्रैल तक रहता है प्रभाव
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉ. मोहनीश ग्रोवर के अनुसार अभी मंप्स का सीजन चल रहा है। इसका प्रभाव अप्रैल तक रहता है। जयपुर की बात करें तो शहर में सभी उम्र के लोग इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मंप्स के केसों की संख्या तेजी से बढ़ना चिंता का विषय है। पहले दो से तीन या कभी-कभी छह महीने में एक या दो मरीज एसएमएस हॉस्पिटल में आते थे। लेकिन अब हर महीने 40 से 50 मरीज आ रहे हैं। कई बच्चों में स्थिति गंभीर होने पर सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती है और कुछ केसेज में कॉकलियर इंप्लांट भी करने की जरूरत पड़ती है। 

नियमित टीकाकरण से हटाया
वैक्सीनेशन नहीं होने पर बड़ों को भी यह बीमारी हो रही है। बच्चों को जन्म के बाद राष्टÑीय टीकाकरण अभियान के तहत मीजल्स, रूबेला और मंप्स का टीका लगाया जाता था। लेकिन कुछ सालों से केवल मीजल्स और रूबेला का ही टीका लग रहा है। मंप्स का टीका नहीं लगाया जा रहा है। मंप्स के मामलों में आई तेजी ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में आ रहे बच्चों और बड़ों के रिकार्ड की जानकारी मांगी है। 

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