भाजपा का अभेद्य किला : 4 सीटों पर 20 साल से नहीं हारी चुनाव
सभी सीटों को जीतकर हैट्रिक बनाने की तैयारी में है
भाजपा ने अपने चुनावी चक्रव्यूह से पिछले दो चुनावों में 25 की 25 सीटों पर जीत हासिल की है। इस बार फिर से सभी सीटों को जीतकर हैट्रिक बनाने की तैयारी में है।
जयपुर। राजस्थान में चार सीटें बीकानेर, चूरू, झालावाड़-बारां और जालौर ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां भाजपा पिछले बीस साल यानी बीते चार चुनावों में लगातार जीत रही है। भले ही इन सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी बदल दिए हों, लेकिन जनता का साथ हमेशा इन सीटों पर भाजपा को ही मिला है।
हालांकि भाजपा ने अपने चुनावी चक्रव्यूह से पिछले दो चुनावों में 25 की 25 सीटों पर जीत हासिल की है। इस बार फिर से सभी सीटों को जीतकर हैट्रिक बनाने की तैयारी में है।
बीकानेर : हीरो धर्मेन्द्र भी जीते, अर्जुनराम मार चुके हैट्रिक अब चौथी बार मैदान में
भाजपा ने 2004 में बीकानेर लोकसभा सीट पर मुंबई से बॉलीवुड के मेगास्टर धर्मेन्द्र को लाकर चौंकाने वाला चेहरा मैदान में उतारा। जनता का साथ मिला और वे चुनाव जीत गए। इसके बाद यहां लगातार तीन बार 2009, 2014 और 2019 में अर्जुनराम मेघवाल को टिकट मिला और उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई।
चूरू : कस्वां परिवार जीता, इस बार राहुल कांग्रेस के पाले से
बीते चार चुनावों से इस सीट पर कस्वां परिवार पर भाजपा ने भरोसा जताया है। 2004 और 2009 में चूरू लोकसभा सीट से रामसिंह कस्वां और फिर 2014 और 2019 में राहुल कस्वां सांसद बने। इस बार राहुल की जगह भाजपा ने नए चेहरे खिलाड़ी देवेंद्र झांझड़िया को टिकट दिया है। राहुल कांग्रेस में चले गए। वे कांग्रेस के पाले से मैदान में हैं।
झालावाड़-बारां : दुष्यंत चार बार जीत चुके
इस लोकसभा सीट पर 2004 से बीते 2019 तक के चार चुनावों में लगातार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह जीतकर आए हैं। कांग्रेस ने चार चुनावों में तीन चेहरे उनके सामने उतारे, सभी को उन्होंने पटकनी दी। इस बार दुष्यंत पांचवी बार मैदान में हैं। कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
जालौर : सुशीला-पटेल भरोसे पर खरे उतरे, इस बार लुंबाराम पर दांव
भाजपा ने जालौर में 2003 में बी. सुशीला को टिकट दिया और वे जीतकर आई। पिछले तीन चुनावों में भाजपा ने देव पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया और वे हर बार भरोसे पर खरे उतरे और जीतकर आए। विधानसभा चुनावों में देवजी पटेल को सांचौर से टिकट दिया, लेकिन वे हार गए। पटेल की खराब परर्फोमेंस के चलते इस बार लोकसभा में उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया गया। नए चेहरे लुंबाराम चौधरी पर दांव खेला गया है।
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