सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं झ से छतरी, एस से पेड़, यू फॉर नेस्ट

शिक्षा अधिकारियों के निरीक्षण पर उठे सवाल : स्कूल में 10 शिक्षक फिर भी 2 साल से नहीं दिखी गलतियां

सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं झ से छतरी, एस से पेड़, यू फॉर नेस्ट

स्कूल में 10 शिक्षक फिर भी 2 साल से नहीं दिखी गलतियां बच्चों का भविष्य कर रहे बर्बाद, गलतियों से बच्चे हो रहे भ्रमित ।

कोटा। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय साजीदेहड़ा में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले एक साल से उन्हें झ से छतरी, स से पेड़, द से खिड़की और यू फॉर नेस्ट पढ़ाया जा रहा है। वहीं, कक्षाओं में दीवारों पर लिखे प्रेरणास्त्रोत स्लोगन में भारी शाब्दिक गलतियां हैं, जो बच्चों को प्रेरणा देने की जगह भ्रमित कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है, इस स्कूल में 10 शिक्षक तैनात हैं, इसके बावजूद उन्हें 2 साल से स्लोगन में हो रही गलतियां खुली आंखों से भी दिखाई नहीं दे रही।  शिक्षकों की लापरवाही का आलम यह है, कक्षाओं में पांच घंटे बिताने के बावजूद गलतियां नजर नहीं आ रही। जबकि, बच्चे रोजाना दीवारों पर उकेरे गए चित्रों को प्रदर्शित करते शब्दों को पढ़ रहे हैं। ऐसे सरकारी स्कूल का शैक्षणिक स्तर क्या होगा, इसका अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। ऐसे लापरवाह शिक्षकों की वजह से बुनियादी शिक्षा की नींव खोखली हो रही है। सरकार के क्वालिटी एजुकेशन के मंसूबों पर पानी फिर रहा है।  

 शिक्षाधिकारियों के निरीक्षण की खुली पोल
सरकार ने प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर सभी सरकारी विद्यालयों के एक कक्षा-कक्ष में छोटे बच्चों को रचनात्मक व खेल गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाने के लिए एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग क्लारूम बनवाए। इन एबीएल क्लासरूम की दीवारों पर दोहे, कविता, ककहरा, अंग्रेजी व हिंदी वर्णमाला, मात्रा ज्ञान, जोड़-बाकी, गुणा-भाग एवं सामान्य ज्ञान से संबंधित शिक्षण सामग्री को चित्रों के माध्यम से उकेरा गया। जिसमें पेंटर द्वारा गंभीर खामियां छोड़ दी गई। सवाल यह उठता है कि एक साल में न तो शिक्षकों की और न ही निरीक्षण करने आए शिक्षा अधिकारियों  की नजर पड़ी। जब नवज्योति ने फोटो क्लिक किए तो अधिकारियों के निरीक्षण की पोल खुल गई।

नवज्योति पहुंची तो नजर आए चौंकाने वाले हालात
दैनिक नवज्योति की टीम मंगलवार सुबह 11.45 बजे राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय साजीदेहड़ा में पहुंची। यहां कक्षा-2 की क्लास में दीवार पर बने अंगे्रजी व हिन्दी वर्णमाला बनी हुई थी। जिसमें शाब्दिक गलतियां थी। इसके बाद कक्षा तीन में ग्रीन बोर्ड के ऊपर लिखे स्लोगन शिक्षा को अपना हथियार बनाओ, ज्ञान का प्रकाश चारों और फलाओ लिखा हुआ था। इसमें फैलाओ की जगह फलाओ  लिखा हुआ था। जबकि, कक्षा में शिक्षिका बच्चों को पढ़ा रहीं थी। वहीं, बोर्ड के पास दीवार पर उकेरी गई मात्रा ज्ञान में भी गलतियां नजर आर्इं। इन गलतियों पर प्रधानाध्यापक व क्लास टीचर से पूछने पर वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। फोटो खींचे तो सकपका गए। इसी तरह कक्षा 4 व 5वीं कक्षा में भी स्लोगन में भारी गलतियां मिली। 

दो साल से भ्रमित हो रहे बच्चे
विद्यालय में शिक्षकों से बात करने पर पता चला की  कक्षा कक्ष की दीवारों पर पुताई कार्य गत दो साल पहले करवाया गया था। इसके बाद ही स्लोगन लिखवाए गए। पेंटर ने स्लोगन में कई गलतियां व खामियां छोड़ दी। जिस पर दो साल से किसी शिक्षक की नजर नहीं पड़ी। जबकि, स्कूल में 10 शिक्षक कार्यरत हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने कर्तव्य के प्रति कितने सजग हैं। हालात यह हैं, दो साल से बच्चे भ्रमित हो रहे हैं। 

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एक साल से पढ़ा रहे झ से छतरी और स से पेड़
साजीदेहड़ा सरकारी विद्यालय में बने एबीएल क्लास रूम में दीवार पर उकेरे गए हिन्दी व अंग्रेजी वर्णमाला में आधा दर्जन शब्द गलत हैं। यहां कक्षा एक व दो के विद्यार्थी एक साल से द से खिड़की, स से पेड़, झ से छतरी, छोटी इ से ईख (गन्ना) और अंगे्रजी वर्णमाला में यू फॉर नेस्ट (घौंसला) पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, मात्राओं में भी गंभीर गलतियां की गई हैं। चौकी को चॉकी तथा बौका को बॉका लिखा हुआ है। वहीं, त्योहार में क्रिसमस को क्रिसमिस लिखा गया, जिसे बाद में इ की छोटी मात्रा को व्हाइटनर से मिटाया गया। इसके अलावा वर्णमालाओं में एक दर्जन से अधिक गलतियां है।  इधर, कक्षा तीन में बोर्ड पर शिक्षिका ने हिन्दी के कुछ शब्द लिखे, जिसमें ऊर्दू को उर्दू लिखा हुआ था। जबकि, सही शब्द ऊर्दू है। इससे शिक्षकों के स्तर का भी पता लगता है। 

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स्लोगन में यह गलतियां
-सफलता उन्हीं को मिलती है,जो उसके लाभक होते हैं। यहां लायक को लाभक लिखा हुआ है।
-शिक्षा को अपना हथियार बनाओ, ज्ञान का प्रकाश चारों और फलाओ, यहां फैलाओ की जगह फलाओ लिखा हुआ है। 
-लगातार परिश्रम करना ही सफलता की कुजीं है। इसमें कुंजी को कुजीं है। ं

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 यह पेंटर की गलती है। इस पर नजर नहीं गई, स्लोगन में रही शाब्दिक गलतियां सही करवा रहे हैं। 
हंसराज मीणा, प्रधानाध्यापक, राउप्रावि साजीदेहड़ा

यह सही नहीं है, मामले की जांच करवा रहे हैं, जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
यतीश विजय, जिला शिक्षाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा 

 यह तो गलत है, सीबीईओ कोटा शहर से जांच करवा रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद विभागीय नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
तेज कंवर, संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा परिषद

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