संपत्ति टैक्स बोर्ड बने तो स्थानीय निकायों की सुधरे आर्थिक बदहाली, 2017 के बाद से ठंडे बस्ते में बोर्ड गठन का प्रस्ताव
प्रदेश में स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए संपत्ति टैक्स बोर्ड का गठन बेहद जरूरी है, लेकिन वित्त आयोग की ओर से ग्रांट प्राप्त करने के लिए स्थानीय निकायों में राजस्व स्रोत विकसित करने की दिशा में की गई सिफारिश के बाद भी राज्य में संपत्ति टैक्स बोर्ड का गठन नहीं हो सका है।
जयपुर। प्रदेश में स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए संपत्ति टैक्स बोर्ड का गठन बेहद जरूरी है, लेकिन वित्त आयोग की ओर से ग्रांट प्राप्त करने के लिए स्थानीय निकायों में राजस्व स्रोत विकसित करने की दिशा में की गई सिफारिश के बाद भी राज्य में संपत्ति टैक्स बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। 2017 में बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने के बाद फिर से पुनर्गठन की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है। इन हालातों के चलते स्थानीय निकायों में आय के स्थायी स्रोत विकसित नहीं हो सके और निकायों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।
क्या है मामला
13वें वित्त आयोग की सिफारिश पर राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय संपत्ति कर बोर्ड का गठन फरवरी 2011 में किया और निदेशक स्थानीय निकाय को बोर्ड के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। अप्रैल 2017 में इसका कार्यकाल पूरा होने तक बोर्ड की महज 28 अप्रैल 2011 को पहली बैठक हुई। उसके बाद से बोर्ड का राज्य सरकार ने पुनर्गठन नहीं किया है।
बोर्ड क्यों जरूरी
स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए राजस्व प्राप्ति का प्रमुख स्रोत प्रॉपर्टी टैक्स है, ऐसे में निकायों को टैक्स वसूली के लिए मजबूती प्रदान करने और पारदर्शिता की प्रक्रिया का सरलीकरण करने के लिए संपत्ति बोर्ड का होना जरूरी है। वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार बोर्ड को राज्य में स्थानीय निकायों की समस्त संपत्तियों की गणना करने वा गणना करवाने तथा संपत्ति कर तंत्र की समीक्षा करने एवं संपत्तियों के उचित मूल्यांकन एवं निर्धारण के लिए उपयुक्त सुझाव देने चाहिए।
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