लाखेरी का जिग जेग बांध प्रशासन की अनदेखी के चलते खाली हुआ
12 साल में पहली बार उगड़ा बांध का पैंदा
लाखेरी का एक मात्र प्रमुख पर्यटन स्थल का अस्तित्व खतरे में।
लाखेरी। प्रशासन की अनदेखी के चलते लाखेरी का एक मात्र जलस्त्रोत जिग जेग बांध पूरी तरह खाली हो गया है। बारह साल में ऐसा पहली बार हुआ है। बांध के सूखने से आसपास के घूमने का गार्डन भी खाली पड़े रहते है। यहां पर प्रतिदिन सुबह और शाम परिवार सहित सैर करने वाले क्षेत्रवासी भी बांध के खाली होने पर मायूस हो रहे है। लाखेरी में 40 हजार की आबादी के इलाके में एक मात्र यह बांध ही प्रमुख पर्यटन स्थल है। वो ही सूखने से लोग आहत है और प्रशासन के प्रति लोगों में आक्रोश व्याप्त है। शहर में जानकारी के अनुसार आजादी के पूर्व लाखेरी एसीसी सीमेंट उद्योग ने अपने व्यवसाय को संचालित करने के लिए शहर के पास से निकल रही मेज नदी से पानी का उपयोग लेने के लिए लाखेरी शंकरपुरा के पास चार सौ बीघा जमीन पर जेड आकार का डेम बनाया गया। जहां पर मेज नदी से मोटर से पाइप लाइन से पानी लिफ्ट करते हुए डेम पर डाला जाता था। वहां से पानी को अपने उद्योग के उपयोग में लिया जाता था। लेकिन समय बदलते हुए उद्योग द्वारा नदी पर ही मिनी डेम बनाकर वहां से ही उद्योग में पानी लेने लगे और इस डेम का उपयोग नहीं होने से एसीसी सीमेंट प्रबंधन ने बांध को बूंदी प्रशासन के हवाले कर दिया। उसके बाद पालिका प्रशासन के सहयोग से लाखों रुपए खर्च कर डेम का सौन्दर्य करण कराया गया। जो शहर वासियों व क्षेत्र के लोगों के लिए एक पर्यटन स्थल बन गया। लेकिन वर्तमान में प्रशासन की उदासीनता के चलते बारह साल बाद यह बांध सूख गया जिससे लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
क्या कहते है क्षेत्रवासी
बांध पर प्रतिदिन अपना समय देकर वहां की सुन्दरता में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत्त केप्टन शान्ति लाल मीणा ने बताया कि यह बांध लाखेरी का एक मात्र पर्यटन स्थल हैं। जहां लोग परिवार सहित सुबह-शाम सैर करने आते है। लेकिन जब बांध ही पूरा सूख गया है तो ऐसे में लोग कैसे यहां पर घूमने आएंगे। बांध के खाली होने से यहां की खूबसूरती भी फिकी पड़ गई है।
देवकरण मीणा का कहना है कि प्रशासन को इस बांध को फिर से बरसात के पानी से भरने के लिए सुनियोजित योजना तैयार करने की जरूरत है। मानसून का सीजन जून माह के अंत तक आ जाएगा। ऐसे में बरसात के चार माह का पानी फिर से इसबांध को पानी से लबालब भरा जा सकता है। इसके लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए।
व्यापारी विनोद माहेश्वरी ने बताया कि जिग जेग बांध को प्राकृतिक बहाव क्षेत्र में जगह-जगह अवरोधक हो रहे है। पानी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर दिए गए है। जिससे बरसात का पानी अवरूद्ध हो जाता है। जिसके कारण बांध में बरसात का पानी नहीं पहुंच पाता है। कई स्थानों पर बहाव क्षेत्र जाम हो गए है। यह बहाव क्षेत्र जहां जहां पर बारिश का पानी पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
पूर्व सीमेंट कामगार नेता रमेश पारेता, पूर्व पार्षद हरिशंकर शर्मा, पूर्व सीएमएचओ रामनिवास मीणा, राजू रेवड़ियां , एसीसी उद्योग के पूर्व कैशियर विश्मंभर दयाल पारेता,सेवानिवृत बैंक आॅफिसर रमेश वर्मा, युवा नेता राजेश्वरी मीणा, धन सिंह जंगी ,कालु वर्मा , दिलीप चन्दानी ने बताया कि यहां उपयोगी मिट्टी एकत्रित करके हरा भरा बनाया गया है लेकिन यहां पर मिट्टी को सुरक्षित रखने के लिए ठोस उपाय नहीं होने से बारिश के पानी के साथ बह जाती है। आने वाले समय पर प्रभाव देखने को मिलेगा प्रशासन को मिट्टी के बहाव को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रशासन को इस ओर ध्यान तो यह बांध फिर खूबसूरत लगने लगेगा।
मछली पालन के लिए बांध का पानी छोड़ने से हुआ खाली
शहर वासियों ने बताया कि गत पांच छ: वर्ष से डेम पर मछली पालन किया जाता है। इस वजह से मछली पालन में जलस्तर को कम करने के लिए बांध के पानी निकासी की जाती थी। जिसकी शिकायत एसडीएम और तहसीलदार ई ओ करने बाद भी समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया। वर्तमान में डेम का पानी सूख गया। जिससे शहर का भूजल स्तर भी गिर गया है। बांध में पानी न होने से मवेशियों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। प्रशासन से मछली पालन करने वाले की जानकारी मांगने पर बताया जाता है कि टालमटोल किया जाता है। ईओ तहसीलदार को व तहसीलदार एसडीएम को किसी से भी जानकारी नहीं मिल पाती।
इनका कहना है
मैंने हालही में ज्वाइन किया है। बांध खाली होने के बारे में जानकारी नहीं है। इसका पता करवाता हूं।
- कैलाश गुर्जर, एसडीएम लाखेरी
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