पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से की फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने की मांग, व्यवहार में असमानता की ओर किया इशारा 

महासभा में चर्चा का केंद्र बिंदु था

पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से की फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने की मांग, व्यवहार में असमानता की ओर किया इशारा 

संयुक्त राष्ट्र महासभा को 10 दिन के भीतर बैठक करनी होगी। फिलिस्तीन का संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने का हालिया प्रयास महासभा में चर्चा का केंद्र बिंदु था।

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने सुरक्षा परिषद से विश्व की बहुसंख्यक आबादी की राय के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन के आवेदन पर पुनर्विचार करने और उसका समर्थन करने की मांग की है। पाकिस्तानी संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि यह कदम फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ऐतिहासिक अन्याय को सही करेगा और द्विराष्ट्र समाधान की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा। 
अमेरिका ने परिषद की एक बैठक के दौरान उस मसौदा प्रस्ताव पर वीटो किया, जिसमें कहा गया था कि महासभा फिलिस्तीन को पूर्ण संयुक्त राष्ट्र सदस्यता की अनुमति देने के लिए मतदान करवाये। वर्ष 2022 की पहल, संकल्प 76/262 के अनुसार यदि सुरक्षा परिषद में इसके स्थायी सदस्यों -चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका में से किसी एक द्वारा वीटो का उपयोग किया जाता है, तो संयुक्त राष्ट्र महासभा को 10 दिन के भीतर बैठक करनी होगी। फिलिस्तीन का संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने का हालिया प्रयास महासभा में चर्चा का केंद्र बिंदु था।

अकरम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच व्यवहार में असमानता की ओर इशारा किया और कहा कि 1947 में विभाजित देशों में से एक इजरायल अब संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है लेकिन सदस्यता के लिए सभी मानदंड पूरा करने के बावजूद फिलिस्तीन को सदस्यता से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने पिछले सात दशकों में फिलिस्तीनी लोगों के सामने आयी कठिनाइयों का भी विवरण दिया, जिसमें आत्मनिर्णय से इनकार, अपनी मातृभूमि से निष्कासन और लंबे समय तक क्रूर विदेशी कब्जे को सहन करना शामिल है।

इजरायली प्रधानमंत्री के हालिया बयानों के साथ-साथ गाजा में इजरायल की हालिया कार्रवाइयों की आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप 35,000 से अधिक नागरिकों की मौत हुई, अंधाधुंध बमबारी हुई और मानवीय सहायता को पहुंचने से रोका गया। इन कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने स्पष्ट नरसंहार करार दिया है। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर इजरायल राफा पर हमला करने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

 

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