पेयजल संकट : समराई में ग्रामीणों के कंठ सूखे
प्राचीन पेयजल स्त्रोत में सभी जगह पानी खारा
2 साल से सिर्फ 1500 नल कनेक्शन का दिया आश्वासन ।
झालावाड़। झालावाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। झालावाड़ जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर मोतीपुरा और समराई गांव में लोगों के हाल बेहाल है, लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में कुओं में मोटर लगाकर लोग अपना काम चला रहे हैं। लेकिन वहां भी पीने का पानी नहीं है सिर्फ रोजमर्रा की जरूरते ही पूरी की जा सकती है। लोगों ने बताया कि मोतीपुरा गांव में 2 वर्ष पहले घर-घर में नल लग गए थे किंतु पानी आज तक नहीं आया है। वही समराई गांव के लोगों ने बताया कि कुछ लोगों द्वारा प्रत्येक घर से 1500 नल लगवाने के लिए गए थे, लेकिन एक भी घर में नल नहीं लगा है। दोनों ही गांव में कुछ सरकारी नल लगे हुए हैं जिनमें पेयजल आता है लेकिन वह जनसंख्या के हिसाब से नाकाफी है और लोग पानी नहीं भर पाते। ऐसे में उन्हें दूर के क्षेत्र से जाकर पानी लाना पड़ता है। गांव के महिला बुजुर्ग बच्चें एवं युवा सभी अपने-अपने स्तर पर पानी का इंतजाम करने में लगे रहते हैं। मोतीपुरा गांव कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना के बिल्कुल नजदीक स्थित है, यहां लगभग 1000 लोगों की आबादी है। यहां के जितने भी प्राचीन पेयजल स्रोत हैं सभी में पानी खारा हो चुका है और वह अब नहाने के काम भी नहीं आता है। उस पानी से कपड़े भी धोते हैं तो साबुन फट जाता है और कपड़े की धुलाई भी नहीं हो पाती। इसी प्रकार से आसपास के इलाके में भी पुराने जल स्रोतों की यही हालत हो चुकी है।
गांव के मध्य एक कुआं बना हुआ है जहां लोगों ने अपने स्तर से पानी की मोटर लगाकर पाइप अपने घरों तक डाल रखे हैं। अपनी रोजमर्रा की जरूरत का पानी लोग यहीं से भरते हैं जिसमें भी नंबर लगाने पड़ते हैं। पीने के पानी के लिए गांव में दो-दो पॉइंट वाले तीन नल लगे हुए हैं जिनमें एक घंटा पानी आता है। इन्हीं तीन नलों के 6 पॉइंट इस गांव के 1000 लोगों के लिए पीने का पानी उपलब्ध करवाते हैं जो पूरा नहीं पड़ता। कभी-कभी नल नहीं भी आता, ऐसे में दिक्कत और भी ज्यादा हो जाती है। गांव वाले बताते हैं कि सार्वजनिक नल में रोजाना एक घंटा पानी आता है जो काफी नहीं है ऐसे में जो लोग पीने के पानी से वंचित रह जाते हैं वह गांव के बाहर बनी हुई सरकारी टंकी या अन्य स्थानों से पानी भरकर लेकर आते हैं और अपना काम चलाते हैं। इसी प्रकार से समराई गांव में भी सार्वजनिक कुएं में मोटर के तारों और पाइपों का जंजाल नजर आता है। पास ही पानी की टंकी बनी हुई है जिस पर दिनभर पानी भरने वाले लोगों की कतारें लगी रहती हैं। यहां के लोगों के लिए घरों में नल अभी सपना ही बने हुए हैं। लोगों ने बताया कि पूर्व में यहां कुछ लोगों द्वारा प्रत्येक घर से 1500 लिए गए थे तथा घरों में लगाने की बात कही गई थी, किंतु दो-तीन साल बीत जाने के उपरांत भी कुछ नहीं हुआ है।
कहां जाएं किससे करें शिकायत
गांव के लोगों ने बताया कि दर्जनों दफा वह इस समस्या को लेकर शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा। अभी लोकसभा चुनाव से पूर्व भी जब भाजपा कार्यकर्ता वोट मांगने आए तब भी उनको इस समस्या से अवगत कराया गया था तो झालरापाटन प्रधान ने तुरंत इस समस्या का समाधान करवाने की बात कही थी, किंतु अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। लोग बताते हैं कि वह शिकायतें कर करके थक गए हैं लेकिन उनकी पेयजल समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
गांव में चार-पांच सरकारी नल लगे हुए हैं, जिनमें मात्र एक घंटा पानी आता है। लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पाता।
- प्रकाश चंद्र पाटीदार, मोतीपुरा
पीने के पानी की समस्या गंभीर है, गांव के पुराने हैंडपंप और कुएं सब खारे हो चुके हैं। ऐसे में पीने का पानी का इंतजाम करना बेहद मुश्किल हो गया है।
- महेश कुमार, मोतीपुरा
घरों में नल नहीं है, नलों के लिए कुछ लोगों ने पैसे इकट्ठा किए थे किंतु फिर भी नल नहीं लगे। टंकी में भी पानी खत्म हो जाता है। इसलिए दोपहर में ही पानी भरना पड़ता है।
- मोहनलाल, समराई
इनका कहना है
ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल पाइपलाइनों के सुधारणीकरण का कार्य चल रहा है, पानी की सप्लाई अभी भी सरकारी नालों के माध्यम से की जाती है, जो थोड़ी बहुत समस्या है वह भी जल्दी ही खत्म हो जाएगी
- दीपक झा, अधीक्षण अभियंता, प्रोजेक्ट
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