World Red Cross Day Special :  मानवता की सेवा का दूसरा नाम है रेडक्रॉस

मानव सेवा के लिए हेनरी डयूनेंट को वर्ष 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया

World Red Cross Day Special :  मानवता की सेवा का दूसरा नाम है रेडक्रॉस

वर्ष 1864 में जीन हेनरी डयूनेंट के सतत् प्रयासों के चलते जेनेवा समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस मूवमेंट की स्थापना हुई थी।

वर्ष 1864 में जीन हेनरी डयूनेंट के सतत् प्रयासों के चलते जेनेवा समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस मूवमेंट की स्थापना हुई थी। मानव सेवा के लिए हेनरी डयूनेंट को वर्ष 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था। 8 मई 1828 को जेनेवा में जन्मे डयूनेंट एक स्विस व्यापारी तथा समाज सेवक थे, जो 1859 में हुई सालफिरोनो (इटली) की लड़ाई में घायल सैनिकों की दुर्दशा और रक्तपात का भयानक मंजर देखकर बहुत आहत हुए थे। युद्ध मैदान में पड़े हृदय विदारक कष्टों से तड़पते इन्हीं सैनिकों के दर्दनाक हालातों पर अपने कड़वे अनुभवों के आधार  पर  उन्होंने  मेमोरी और सालफिरोनो पुस्तक भी लिखी और 1863 में रेडक्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति आईसीआरआई  का गठन किया।  

जेनेवा में 26 से 29 अक्टूबर 1863 तक एक अंतरराष्ट्रीय बैठक हुई, जिसमें रेडक्रॉस के आधारभूत सिद्धांत निर्धारित किए गए तथा रेडक्रॉस आन्दोलन का विकास करते हुए आहत सैनिकों और युद्ध पीड़ितों की सहायता संगठित करने के लिए दुनियाभर के सभी देशों में राष्ट्रीय समितियां बनाने पर जोर दिया गया। 8 अगस्त 1864 को हुए जेनेवा अधिवेशन में सुरक्षा के प्रतीक रेडक्रॉस वाले सफेद झंडे पर स्वीकृति की मोहर लगाई गई, जो आज समस्त विश्व में रेडक्रॉस का प्रतीक चिन्ह बना हुआ है। 1863 में हुई रेडक्रॉस की स्थापना में चूंकि महान मानवता प्रेमी हेनरी डयूनेंट का सबसे बड़ा योगदान था, इसीलिए उनके जन्मदिन के अवसर पर ही प्रतिवर्ष विश्वभर में 8 मई का दिन अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस के रूप में मनाया जाता है। रेडक्रॉस एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के अलावा आकस्मिक दुर्घटनाओं में घायलों, रोगियों, आपातकाल तथा युद्धकालीन बंदियों की देखरेख करती है। मानव सेवा को समर्पित रेडक्रॉस के उल्लेखनीय कार्यों की बदौलत इस संस्था को वर्ष 1917 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। रेडक्रॉस को अब तक कुल तीन बार 1917, 1944 तथा 1963 में शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। रेडक्रॉस ने प्रथम तथा द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अनेक घायल सैनिकों तथा नागरिकों की सहायता कर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया था। 1914 के प्रथम विश्वयुद्ध के समय रेडक्रॉस के करीब दो हजार स्वयंसेवकों ने न केवल विभिन्न सेनाओं तथा जहाजी बेड़ों के हजारों लापता सैनिकों का पता लगाया बल्कि 500 विभिन्न बंदी-शिविरों की नियमित देखरेख करते हुए हजारों युद्धबंदियों को सहायता भी मुहैया कराई। अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी दुनिया के सभी देशों में रेडक्रॉस आन्दोलन का प्रसार करने के साथ-साथ रेडक्रॉस के आधारभूत सिद्धांतों के संरक्षक के रूप में भी कार्य कर रही है।
रेडक्रॉस की भूमिका शुरूआती दौर में युद्ध के दौरान बीमार और घायल सैनिकों, युद्ध करने वालों और युद्धबंदियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने तथा उन्हें उचित उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराने तक ही सीमित थी किन्तु अब इस संस्था के दायित्वों का दायरा लगातार विस्तृत होता जा रहा है। दुनिया के किसी भी भाग में जब भूकम्प, बाढ़, भू-स्खलन या अन्य किसी भी प्रकार की प्राकृतिक अथवा मानवीय आपदा सामने आती है तो सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी की टीमें वहां पहुंचकर राहत कार्यों में जुट जाती हैं। कहना गलत न होगा कि शांति और सौहार्द के प्रतीक के रूप में जानी जाने वाली इस संस्था ने अपने कर्मठ, समर्पित और कर्त्तव्यनिष्ठ स्वयंसेवकों के माध्यम से न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। रेडक्रॉस फिलहाल 190 से भी ज्यादा देशों में सक्रिय है। विश्वभर में रेडक्रॉस के करीब 1.7 करोड़ स्वयंसेवक हैं। यही कारण है कि रेडक्रॉस दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस भी कहा जाता है। यह संस्था लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करती है और अपनी विभिन्न शाखाओं के जरिये में जगह-जगह रक्तदान शिविर लगाकर प्रतिवर्ष बहुत बड़ी मात्रा में रक्त एकत्रित करती है। वास्तव में रक्त इकट्ठा करने वाली यह विश्व की एकमात्र सबसे बड़ी संस्था है, जिससे कैंसर, थैलेसीमिया, एनीमिया जैसी प्राणघातक बीमारियों से जूझ रहे हजारों लोगों की भी जान बचाई जाती हैं। रेडक्रॉस की पहल पर ही दुनिया का पहला ब्लड बैंक अमेरिका में 1937 में स्थापित हुआ था और वर्तमान में दुनियाभर के अधिकांश ब्लड बैंकों की देखरेख रेडक्रॉस तथा उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा ही की जाती है। भारत में भी रक्त एकत्रित करने तथा वही रक्त जरूरतमंद लोगों के लिए सही समय पर उपलब्ध कराने का कार्य यह संस्था कई दशकों से लगातार कर रही है। भारत में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी अधिनियम के तहत वर्ष 1920 में रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ था और स्थापना के 9 वर्ष बाद इसकी सराहनीय गतिविधियों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी ने भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी को मान्यता प्रदान की थी। वर्ष 1994 में रेडक्रॉस एक्ट में संशोधन करते हुए सोसायटी का पदेन अध्यक्ष महामहिम राष्ट्रपति को तथा सचिव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बनाया गया।

- योगेश कुमार गोयल
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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