पैरेन्ट्स की छोटी सी लापरवाही बच्चे पर पड़ सकती है भारी

बच्चें की फोटो या रील ऑनलाइन पोस्ट करने से बचें

पैरेन्ट्स की छोटी सी लापरवाही बच्चे पर पड़ सकती है भारी

बच्चों को अजनबियों से सावधान रखने की बचपन से दें ट्रेनिंग।

कोटा। इटावा में बुधवार को ही  माता पिता की थोड़ी सी लापरवाही से एक मासूम बच्ची कार में दम घुटने से मर गई। वह कब कार में जा बैठी माता पिता को पता ही नहीं चला। इस बीच पीछे से कार लॉक हो गई और दम घुटने से बच्ची की जान चली गई। इसी तरह कोटा रेलवे स्टेशन से अपहरण हुए बच्चे के साथ भी पिता की छोटी सी गलती ने उस नन्ही जान को जोखिम में डाल दिया।  ऐसी अनगितन घटनाएं प्रतिदिन होती जिससे बचपन असुरक्षित हो रहा है।  हर साल, 2 लाख से अधिक बच्चों का परिवार के किसी सदस्य द्वारा अपहरण कर लिया जाता है, जो अजनबियों द्वारा अपहरण किए गए बच्चों से कहीं अधिक है। अच्छी खबर यह है कि पारिवारिक अपहरण को  रोका जा सकता है। कई संरक्षक  या माता-पिता को पता नहीं है कि बच्चों अपहरण हो सकता है। जरा सी सावधानी  बच्चों को सुरक्षित रखने में  मदद कर सकती है। दैनिक नवज्योति ने बच्चों को ऐसी घटनाओं से बचाने के लिए शहर के कुछ एक्सपर्ट से बात की। प्रस्तुत हैं उसके अंश...

किसी अजनबी से कभी भी कैंडी या उपहार स्वीकार न करें
बच्चों की देखभाल करने वालों और आयाओं को सावधानीपूर्वक चुनें और उनके बारे में पूरी जांच करें। यदि आपने अपने बच्चों को स्कूल या डेकेयर से लेने के लिए किसी की व्यवस्था की है, तो पहले से ही अपने बच्चों और स्कूल या चाइल्ड केयर केंद्र के साथ व्यवस्था पर चर्चा करें। अपने बच्चों को उनके नाम वाले कपड़े पहनाने से बचें - बच्चे उन वयस्कों पर भरोसा करते हैं जो उनके नाम जानते हैं। माता-पिता होने की चुनौतियों में से एक है ,अपने बच्चों को डर या चिंता से भरे बिना सतर्क रहना सिखाना। अपने बच्चों से अक्सर सुरक्षा के बारे में बात करें और उन्हें संभावित खतरनाक स्थितियों से बचने और बचने के बारे में बुनियादी बातें बताएं। उन्हें यह सिखाएं किसी अजनबी से कभी भी कैंडी या उपहार स्वीकार न करें। कभी भी किसी अजनबी के साथ कहीं न जाएं भले ही यह मजेदार लगे। 
- हरप्रीत कौर राणा, पूर्व न्यायपीठ सदस्य किशोर न्याय बोर्ड व न्यायपीठ सदस्य बाल कल्याण समिति कोटा

बच्चों की तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करने से बचेंं
अपने बच्चों की पहचान संबंधी जानकारी या तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करने से बचें । आपके बच्चे जिन स्थानों पर जाते हैं, उनके बारे में सीमाएं निर्धारित करें। मॉल, मूवी थिएटर, पार्क, सार्वजनिक बाथरूम जैसी जगहों परउनकी निगरानी करें। बच्चों को कार या घुमक्कड़ी में एक मिनट के लिए भी अकेला न छोड़ें। प्रत्येक बच्चे के लिए पूर्ण बाल आईडी दस्तावेज रखने चाहिए। हर छह माह में रंगीन फोटो अपडेट करें। आपका पूरा नाम, पता और फोन नंबर मदद के लिए कॉल करने के लिए सेल, होम और पे फोन का उपयोग कैसे करें। उन्हें इन कॉलों का अभ्यास कराएं। हर दिन, अपने बच्चों को आश्वस्त करें। आप उनसे हमेशा प्यार करते रहेंगे। यदि वे घर नहीं आते हैं तो आप हमेशा उनकी तलाश करेंगे। बच्चों को सिखाएं  अगर कोई आपका पीछा करता है या उन्हें जबरदस्ती कार में बिठाने की कोशिश करता है तो भाग जाएं और चिल्लाएं।   
 - विमल जैन, पूर्व सदस्य बाल कल्याण समिति कोटा

अपने बच्चों को सिखाएं उनका पूरा नाम पता
वैदिक दृष्टि से संतान, माता-पिता की जीवंत संपदा है, परमात्मा का रूप होते है। खासकर बच्चे जब छोटे हों और नासमझ हों, तो अभिभावकों को उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा सजग रहना बहुत जरूरी है।  जरा सी लापरवाही बच्चे को बड़े संकट में डाल सकती है । बालक जिज्ञासु होते हैं, एक स्थान पर चुपचाप नहीं बैठ सकते, इसलिए माता पिता प्रेमपूर्वक बालक में सही और गलत को पहचानने की समझदारी भी विकसित करते रहे। । सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे जानते हैं कि वे किसकी कार में बैठ सकते हैं और किसकी नहीं। उन्हें ऐसी किसी भी कार से दूर जाना सिखाएं जो उनके बगल में आती हो और जिसे कोई अजनबी चला रहा हो, भले ही वह व्यक्ति खोया हुआ या भ्रमित दिखे। मां या पिता के अलावा देखभाल करने वालों के लिए कोड शब्द विकसित करें, और अपने बच्चों को याद दिलाएं कि कभी भी किसी को कोड शब्द न बताएं। यदि आपके बच्चे इतने बड़े हो गए हैं कि घर पर अकेले रह सकते हैं , तो सुनिश्चित करें कि वे दरवाजा बंद रखें और किसी को भी न बताएं  कि वे घर पर अकेले हैं।     
- प्रतिभा दीक्षित एडवोकेट व सदस्य स्थाई लोक अदालत

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ऑनलाइन सुरक्षा को प्राथमिकता बनाएं
कई बार माता पिता रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सावर्जनिक स्थानों, शादी समारोह में मोबाइल पर व्यस्त हो जाते  और बच्चा कहीं निकल जाता है। इस बात का लोग फायदा उठाकर उसे किडनेप कर लेते है। आज इंटरनेट एक बेहतरीन उपकरण है, लेकिन यह शिकारियों के लिए बच्चों का पीछा करने की जगह भी है। अपने बच्चों की इंटरनेट गतिविधियों और चैट रूम के दोस्तों से सावधान रहें और उन्हें याद दिलाएं कि वे कभी भी व्यक्तिगत जानकारी न दें। अपने बच्चों की पहचान संबंधी जानकारी या तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करने से बचें। आपके बच्चे जिन स्थानों पर जाते हैं, उनके बारे में सीमाएं निर्धारित करें। हर 6 महीने में अपने बच्चों की आईडी जैसी तस्वीरें लें और उन पर फिंगरप्रिंट लें। कई स्थानीय पुलिस विभाग फिंगर प्रिंटिंग कार्यक्रम प्रायोजित करते हैं। उसमें अपने बच्चों फिंगर प्रिंट ले। अपने बच्चों के मेडिकल और डेंटल रिकॉर्ड को अपडेट रखें। ऑनलाइन सुरक्षा को प्राथमिकता से  अपनाएं। 
- सुमन भंडारी, ममता भवन संयोजिका 

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