क्वालिटी में कमजोर होने से औंधे मुंह गिरा लहसुन

बंपर पैदावार : पिछले वर्ष से आधे भी नहीं मिल रहे दाम, लागत निकालना भी मुश्किल

क्वालिटी में कमजोर होने से औंधे मुंह गिरा लहसुन

मनोहरथाना क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार लहसुन की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। पैदावार आते ही दाम औंधे मुंह गिर गए हैं। लहुसन के मौजूदा भाव में लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा।

मनोहरथाना। क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार लहसुन की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। पैदावार आते ही दाम औंधे मुंह गिर गए हैं। इससे किसान खासे परेशान हैं। लहुसन के मौजूदा भाव में लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा।  किसान ज्यादा समय तक इसका भंडारण भी नहीं कर सकते हैं। तेज गर्मी से खराब होने का डर बना रहता है। तहसील क्षेत्र में पिछले वर्षों से किसानों का रुझान लहसुन की फसल की तरफ बढ़ने लगा है। गत वर्ष लहसुन की फसल के अच्छे दाम मिलने से इस वर्ष तहसील क्षेत्र के किसानों ने अधिक रकबे में मोटा मुनाफा कमाने की आस में लहसुन की फसल को बोया था। जिस में देसी लहसुन के साथ ऊंटी किस्म की लहसुन को भी बोया था। जिसका बीज काफी महंगा आता है। पहले तो किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ी। ओलावृष्टि व तेज बारिश से किसानों की फसल में नुकसान हुआ एवं अब जब शेष रही फसल पक कर किसानों ने तैयार की तो मंडी में इसके भाव काफी कम मिल रहे हैं। जिससे किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है। लाभ कमाना तो दूर इसका खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है।

शुरूआत में अच्छे दाम मिल रहे थे। किंतु उस समय किसानों की फसल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाई थी। जैसे जैसे किसानों की फसल तैयार हो मंडी में पहुंचने लगी इसके भावों में गिरावट आती गई। पूर्व में जहां शुरूआत में 5 से 7 हजार रुपए क्विंटल तक भाव मिल रहे थे। किंतु घटकर अब 3 से चार हजार पांच सौ तक रह गए हैं। कुछ जगह वर्षा के कारण उत्पादन में गिरावट आई। क्वालिटी  भी हल्की है। जिससे दाम कम यिल रह हैं। लहसुन मंडी छीपाबड़ौद के व्यापारियों ने बताया कि इस वर्ष लहसुन का उत्पादन ज्यादा हुआ है एवं पहले जैसी क्वालिटी नहीं है। इसलिए इसके भाव किसानों को कम मिल रहे हैं। क्वालिटी का आधार पर लशन के भाव होते हैं। 

गर्मी बढ़ा रही चिंता
किसान खेती में लहसुन निकाल कर सुखा रहे है। लेकिन इस बार भीषण गर्मी का दौर जल्दी शुरू होने से लहसुन खराब होने का डर किसानों को सता रहा है। लहसुन के भंडारण के लिए न्यूनतम तापमान 30 से 35 डिग्री अनुकूल रहता है। लेकिन इस वक्त 40 से 45 डिग्री के ऊपर जाने की वजह से किसानों की चिंता बढ़ रही है। किसान अपने घरों पर पंखा कूलर लगाकर लहसुन रखने के बंदोबस्त करने में जुटे हुए हैं।

घरों में रखा, भाव आए तो बेचें
लहसुन उत्पादक किसानों ने बताया कि इस वक्त मंडियों में भाव नहीं मिलने की वजह से घरों गोदामों वे खुले आसमान के नीचे लहसुन को रख रखा है। जब अच्छा भाव आएगा तब लहसुन को बेचेंगे।

बड़ी मेहनत करके लहसुन की फसल के दाम पिछले साल अच्छे मिले थे। कुछ आशा में इस बार अधिक रकबे में लहसुन की फसल को बोया था। अब दाम काफी कम मिल रहे हैं।- बिरम चंद, किसान

 इस बार लहसुन के दामों से लागत भी नहीं निकल पा रही। मौजूदा भाव में लहसुन बेचना किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सरकार को लहसुन खरीद की घोषणा करना चाहिए। ताकि किसानों को संभल मिल सके। -मुकेश कुमार, चांदीपुर

लहसुन को बेचने के लिए छीपाबड़ौद मंडी में जाना पड़ता है। जिससे भाड़ा भी बहुत ज्यादा लग रहा है। ऐसे में मनोहरथाना क्षेत्र में मंडी खोली जाए और यहीं पर खरीद  की जाए तो किसानों का भाड़ा कम हो सकता है। -श्याम लोधा, किसान

 भाव में गिरावट से दाम कम मिल रहा है। जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों ने उधार लेकर फसल को बोई है। खाद बीज के रुपए भी नहीं  चुकता होंगे।  -गेंदीलाल, सागोनी 

 इस बार लहसुन का उत्पादन कुछ ग्राम पंचायतों में तो बारिश की भेंट चढ़ गया। कुछ ग्राम पंचायतों में उत्पादन को गत वर्ष अच्छा रहा। किंतु उसकी क्वालिटी हल्की है। गत वर्षों में अच्छा मुनाफा मिलने से इस बार अधिक रकबे में बोया गया। शुरूआत में भाव 7000 तक मिल रहे थे। किंतु धीरे-धीरे भाव कम होते गए एवं वर्तमान में लगभग 4 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है। जिससे किसानों को काफी घाटा है। -राजेंद्र वर्मा, जिला राजस्व प्रमुख

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