आयोग को भले ही सिफारिश करने का अधिकार, लेकिन ये भी हैं प्रभावशाली : मूलचंदानी
कोई भी मामला सामने आने पर उस पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी
मूलचंदानी ने कहा कि आयोग अध्यक्ष के रूप में उनका पहला कर्तव्य मानव अधिकारों की रक्षा करने का है।
जयपुर। राज्य मानवाधिकार आयोग के नव नियुक्ति अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी और सदस्य पूर्व आईपीएस अशोक गुप्ता ने अपना पदभार संभाल लिया। इस मौके पर जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने कहा कि आयोग अध्यक्ष के रूप में उनका पहला कर्तव्य मानव अधिकारों की रक्षा करने का है। उनके संज्ञान में मानव अधिकार के हनन का कोई भी मामला सामने आने पर उस पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आ सामाजिक स्तर पर जीवन गिरने लगा है। लोग मोटिवेशनल स्पीकर और प्रवचन सुनने जाते हैं, लेकिन घर में उनके वरिष्ठजन किस हालत में हैं, इस ओर ध्यान नहीं देते। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आयोग का काम स्वछंद न होकर विधिक दायरे में रहकर अधिकारों की रक्षा करना होता है। उन्होंने कहा कि हालांकि आयोग को संबंधित मामले में सिर्फ सिफारिश करने का अधिकार होता है, लेकिन फिर भी उनके आदेशों को सरकार गंभीरता से लेती है और आयोग की सिफारिश का बडा महत्व होता है। वहीं यदि आयोग किसी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी करता है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होती है। दूसरी ओर आयोग के सदस्य अशोक गुप्ता ने कहा कि बतौर सदस्य यह देखा जाएगा कि मानव अधिकारों के हनन की शिकायत सबसे अधिक कहां से आ रही है और उसके बाद वहां कैंप लगाकर शिकायतों का शीघ्र निस्तारण का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रताडना के काफी मामले सामने आते हैं। यदि जनता जागरूक रहे और अपने अधिकारों का हनन होने पर उसका प्रतिकार करते तो धीरे-धीरे समाज में इसका सकारात्मक प्रभाव पडेगा।
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