ऑनलाइन गेम खेलने की बढ़ती लत 

ऑनलाइन गेम खेलने की बढ़ती लत 

कुछ वर्षों पहले जब इंटरनेट की इतनी उपलब्धता नहीं थी, बच्चे पार्कों में जाकर दोस्तों के साथ आउटडोर गेम खेला करते थे। जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता था, लेकिन धीरे-धीरे इंटरनेट सस्ता हो गया और कई ऑनलाइन गेम्स और उनकी ऐप्स आ जाने से बच्चों का रुझान आउटडोर और इनडोर गेमों से हटकर इन वर्चुअली गेमों की ओर बढ़ गया।

कुछ वर्षों पहले जब इंटरनेट की इतनी उपलब्धता नहीं थी, बच्चे पार्कों में जाकर दोस्तों के साथ आउटडोर गेम खेला करते थे। जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता था, लेकिन धीरे-धीरे इंटरनेट सस्ता हो गया और कई ऑनलाइन गेम्स और उनकी ऐप्स आ जाने से बच्चों का रुझान आउटडोर और इनडोर गेमों से हटकर इन वर्चुअली गेमों की ओर बढ़ गया।

हमारे देश में बच्चों, किशोरों और युवाओं में ऑनलाइन गेम खेलने की प्रवृत्ति अब इस कदर बढ़ती जा रही है कि ये एक महामारी का रूप लेती जा रही है। इसके शिकार लोग चौबीसों घंटे बिना रुके ऑनलाइन गेम खेलना पसंद करते हैं। भारत में 23 वर्ष तक के 88 प्रतिशत युवा समय बिताने के लिए ऑनलाइन गेम खेलते हैं। शौक के लिए या समय बिताने के लिए कुछ देर को ऑनलाइन गेम खेलना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन समस्या तो तब पैदा होती है जब ये एक बुरी आदत बन जाती है, जिसे गेमिंग एडिक्शन कहते हैं। ये समस्या आज भारत के हर राज्य, हर शहर में फैलती जा रही है और करोड़ों मां-बाप अपने बच्चों की इस लत से बहुत परेशान हैं। ऑनलाइन गेम्स खेलने से हिंसा की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है ये गेम अक्सर हिंसक घटनाओं से भरे होते हैं। ऑनलाइन गेम की दुनिया ही बिल्कुल अलग है उसमें मरने- मारने की बातें होती हैं। यह गेम बच्चों और युवाओं में हिंसक प्रवृति को बढ़ा रहे हैं। लॉक डाउन के बाद से भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, इसमें बच्चों के साथ- साथ बड़े भी शामिल हैं। वर्ष 2018 में भारत में ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले यूजर्स की संख्या करीब 26 करोड़ 90 लाख थी, वर्ष 2020 में ये संख्या बढ़कर करीब 36 करोड़ 50 लाख हो गई। अनुमान है कि वर्ष 2022 में लगभग 55 करोड़ से ज्यादा की आबादी यानी लगभग आधी आबादी ऑनलाइन गेम्स खेलने में व्यस्त होगी। भारत के लोग अब 1 दिन में औसतन 218 मिनट ऑनलाइन गेम खेलते हुए बिता रहे हैं। पहले ये औसत 151 मिनट था। वर्ष 2020 में जब पहली बार लॉकडाउन लगा था, तब इसके शुरूआती कुछ महीनों में भारत  में 700 करोड़ से ज्यादा बार ऑनलाइन गेम्स अलग- अलग डिजिटल डिवाइस पर इनस्टॉल किए गए थे। बच्चे, किशोर और युवा सभी आउटडोर गेम्स और इनडोर गेम्स खेलना छोड़कर, ऑनलाइन गेम्स में व्यस्त हो गए हैं। जीतने की होड़ में बच्चे लगातार डिवाइस से चिपके रहते हैं और इस खेल में कब घंटों बीत जाते हैं, उन्हें पता तक नहीं चलता, यहीं से शुरू होता है गेमिंग एडिक्शन। पिछले साल ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में हर छह में से एक बच्चे ने माना था कि गेम खेलने के लिए उन्होंने माता- पिता का पैसा चोरी किया है इसके लिए ज्यादातर बच्चों ने अपने माता- पिता के डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उन्हें बिना बताए इस्तेमाल किया था। यहीं से बच्चों में चोरी की बुरी आदत पड़नी शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे करके ये उनके चरित्र और भविष्य को चौपट कर देती है। कुछ ऑनलाइन गेम्स फ्री होते हैं, कुछ में पैसा देना होता है। बच्चे अगला स्टेप पार करने के लिए अभिभावकों की जमा पूंजी से चोरी करते हैं। कई गेम्स जीतने पर रिवॉर्ड भी मिलता है, इससे लालच बढ़ता जाता है। हार जाने पर डूबा पैसा वापस पाने की जिद होती है। बच्चे लगातार झूठ बोलने और लोन लेने जैसी आदतों के शिकार हो जाते हैं। ऑनलाइन गेम्स जरूरत से ज्यादा खेलने से बच्चों के मन मस्तिष्क पर बहुत बुरा असर पड़ता है,वे चिड़चिड़े और हिंसक बन रहे हैं। दुनिया भर में 15 प्रतिशत गेमर्स इसकी लत के शिकार हो जाते हैं और मानसिक तौर पर बीमार हो जाते हैं। इस बीमारी के कुछ लक्षण होते हैं, जिन्हें समय पर पहचान लेना बहुत जरूरी है जैसे, गेम के अलावा हर काम से खुद को अलग कर लेना, भूख कम हो जाना, आंखों और कलाइयों में दर्द होना, सिर में दर्द, नींद कम आनाए न खेल पाने पर चिड़चिड़ापन आदि।

इसके अलावा खीज, भूलने की बीमारी, निराशा, टेंशन और डिप्रेशन जैसी बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं। लंबे समय तक एक ही जगह बैठकर गेम्स खेलने के कारण मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज सहित अन्य शारीरिक समस्याएं भी बच्चों और युवाओं में देखी गई हैं। बच्चे अब देश- दुनिया और परिवार की बातों से अनभिज्ञ,एकांत में इन गेमों में गुम रहना चाहते हैं। लेकिन माता- पिता का फर्ज बनता है कि उन्हें इस ओर ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे आखिर कितना समय ये गेम खेलने में बिता रहे हैं, उन्हें बच्चों को प्यार से और कुछ कड़ाई के साथ भी, ज्यादा देर गेम खेलने से रोकना चाहिए। ज्यादा देर गेम खेलने की वजह से बच्चों की आंखें भी कमजोर हो रही है और उनका पढ़ाई से भी मन उचट जाता है। यह समस्या हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में घातक रूप लेती जा रही है, जिस पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।  
-रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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