देव शयनी कल, नहीं हुआ दशहरा मेले का श्रीगणेश
महापौर के दो यू ओ नोट के बाद भी तय नहीं हुई पूजन की तारीख
देव शयनी से पहले गणेश पूजन की टूट सकती है बरसों पुरानी परम्परा।
कोटा। नगर निगम की ओर से हर साल देव शयनी एकादगी से पहले दशहरा मेले की गणेश स्थापना व पूजन करवाने की बरसों पुरानी परम्परा इस बार टूटती नजर आ रही है। बुधवार को देव शयनी एकादशी है लेकिन कोटा उत्तर महापौर व मेला समिति अध्यक्ष के दो-दो यू ओ नोट के बाद भी एक दिन पहले तक गणेश पूजन की तारीख तक तय नहीं की जा सकी। नगर निगम की ओर से हर साल दशहरा मेले का आयोजन किया जाता है। पहले एक ही नगर निगम होने से इसमें कोई विवाद नहीं था। लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार में दो नगर निगम बनाने और मेला समिति में कोटा उत्तर की महापौर को अध्यक्ष बनाने के बाद से आयोजन को लेकर विवाद की शुरुआत हो गई थी। हालांकि पिछले साल काफी खींचतान के बाद भी मेले का आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया था। इस बार भी अक्टूबर में दशहरा मेला भरवाया जाना है। जिसके लिए हर साल देव शयनी एकादशी से पहले बुधवार को निगम की ओर से गणेश स्थापना व पूजन का कार्यक्रम कराया जाता है। जिससे देव शयन के दौरान भी 4 माह में मेले से संबंधित बैठकें व तैयारी की जा सके।
पिछली बार श्रीराम रंगमंच पर हुई थी स्थापना
पहले गणेश स्थापना व पूजन का कार्यक्रम निगम भवन स्थित मेला प्रकोष्ठ में होता था। पिछले साल भी इस परम्परा का निर्वहन करते हुए दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर पूजन किया गया था। लेकिन इस बार बुधवार को देव शयनी एकादगी है और सोमवार रात तक इस पूजन की तैयारी से संबंधित कोई जानकारी मेला समिति अध्यक्ष से लेकर किसी भी सदस्य को नहीं थी।
मेला अध्यक्ष होने के नाते महापौर से की बात
कोटा दक्षिण के कांग्रेस पार्षद व मेला समिति के सदस्य इसरार मोहम्मद ने बताया कि मेला समिति का सदस्य होने के नाते उन्होंने कोटा उत्तर महापौर व मेला समिति की अध्यक्ष को इस संबंध में कई बार कहा। सोमवार को भी उनसे फोन पर बात की। जिसमें गणेश पूजन व स्थापना की परम्परा का निर्वचन करने को कहा गया। उनकी तरफ से यही जवाब मिला कि उन्होंने यू ओ नोट लिख दिया। तारीख अधिकारियों को तय करनी है।
अधिकारियों से नहीं हो सका सम्पर्क
मेले की गणेश स्थापना व पूजन के संबंध में जब नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण के आयुक्तों से बात करने का प्रयास किया तो उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किए।
मेला समिति की बैठक बुलाते तो नहीं होती समस्या
नगर निगम कोटा दक्षिण के नेता प्रतिपक्ष और मेला समिति के सदस्य विवेक राजवंशी ने बताया कि मेले से पहले गणेश पूजन की परम्परा का निर्वबन होना चाहिए। अधिकारियों को समय पर इसकी तैयारी करनी चाहिए। मेला समिति की अध्यक्ष को इस संबंध में समिति सदस्यों की बैठक आयोजित करनी चाहिए थी। जिससे सभी मिलकर अधिकारियों पर दबाव बनाते तो समय रहते अधिकारी इसके प्रति गम्भीर होते। लेकिन सिर्फ यू ओ नोट लिखना ही पर्याप्त नहीं है। राजवंशी ने कहा कि दशहरा मेले का आयोजन शहर का बड़ा आयोजन हैं। दोनों निगम मिलकर काम करें लेकिन मेला भरवाने का अधिकारी कोटा दक्षिण को है।
परम्परा टूटी तो परिणाम भुगतना पड़ेगा
नगर निगम कोटा दक्षिण के उप महापौर व मेला समिति के सदस्य पवन मीणा का कहना है कि देव शयनी एकादशी से पहले हर साल गणेश स्थापना व पूजन किया जाता है। उस परम्परा का निर्वचन किया जाना चाहिए। लेकिन एक दिन पहले तक उसकी तैयारी व तारीख के संबंध में मेला समिति सदस्यों को कोई जानकारी नहीं दी गई है। यदि अधिकारी व सरकार के जनप्रतिनिधि भगवान से जुड़ी परम्परा का निर्वचन नहीं करते हैं तो उन्हें परिणाम भुगताना पड़ सकता है।
दो-दो यू ओ नोट लिखे, मौखिक भी कहा
नगर निगम कोटा उत्तर की महापौर व मेला उत्सव आयोजन समिति की अध्यक्ष मंजू मेहरा ने बताया कि देव शयनी एकादशी से पहले गणेश पूजन की परम्परा बनी हुई है। इस परम्परा को बनाए रखने के लिए कोटा उत्तर व दक्षिण आयुक्त को दो -दो यू ओ नोट लिखे जा चुके हैं। पहले यू ओ नोट पर कोई कार्रवाई नहीं होने से सोमवार को फिर से यू ओ नोट लिखा है। साथ ही आयुक्त को कई बार मौखिक भी कहा जा चुका है। वहां से यही जवाब मिलता है कि पूजन करेंगे लेकिन एक दिन पहले तक पूजन से संबंधित कोई जानकारी आयुक्त की तरफ से नहीं दी गई है। जबकि पहले सी तैयारी कर तारीख का आदेश जारी किया जाता है। संबंधित अधिकारियों व मेला समिति सदस्यों को जानकारी देकर सभी को आमंत्रित किया जाता है। देव शयनी एकादशी से पहले गणेश स्थापना व पूजन नहीं कर बरसो पुरानी परम्परा को खत्म किया जा रहा है। महापौर ने कहा कि अभी तक सरकार ने समितियां भंग नहीं की है। समिति भंग हो भी जाए तो मेला शहर का आयोजन है। अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इसका आयोजन करें।
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