बेरोजगार हुआ सांड अब आवारा होकर घूम रहा सड़कों पर

पकड़ने की जगह रोजगार दिलाने की जरुरत, तभी मिलगी समस्या से निजात

बेरोजगार हुआ सांड अब आवारा होकर घूम रहा सड़कों पर

सड़कों पर आवार घुमने वाले ये सांड अक्सर अपनी ताकत की आजमाइश करते नजर आ जाते हैं।

कोटा। गांवों से लेकर शहरों तक एक समय लगभग हर कार्य के लिए बैलों का उपयोग होता था। लेकिन यह बैल आज बेरोजगार होकर यूं ही सड़कों पर घूम रहा है। जिससे आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। शहर में हर महीने किसी ना किसी इलाके से सांड द्वारा लोगों पर हमले की खबर आती है। इन सांडों द्वारा किए गए हमलों में कई लोग अपनी जान तक गंवा चुके हैं। अगर इस सांड को फिर से काम मिल जाए तो ये सांड बैल बनकर लोगों को नुकसान पहुंंचाने के स्थान पर उनके काम आ सकता है। 

बेरोजगारी भी दूर करना जरूरी
बैल पहले खेत जोतने, बैलगाड़ी चलाने, माल ढोने और घाणी चलाने में काम आते थे। ये सब काम अब मोटर करने लगी, जिससे सांड बेरोजगार हो चुका है। वहीं इंसान की बेराजगारी उसकी जान ले रही है तो सांड की बेराजगारी भी इंसान की ही जान ले रही है। सांड को अब फिर से बैल बनाने की आवश्यकता है। ताकि वो अपनी ताकत का सही स्थान पर उपयोग कर सके। सांड का मालिक भी उसे किसी काम नहीं होने पर खुला छोड़ रहा है। इस पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है, ताकि सांड घर मिले और वो आवारा होकर सड़कों पर चिंघाड़ता ना घूमे।

सड़कों पर करते ताकत की आजमाइश
सड़कों पर आवार घुमने वाले ये सांड अक्सर अपनी ताकत की आजमाइश करते नजर आ जाते हैं। सड़कों पर होने वाले इनके दंगल की जनता दर्शक तो होती ही है। साथ ही अपनी जान को भी हथेली पर लिए चलती है कि पता नहीं कौनसा सांड कब अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए हमला कर दे। हालांकि ये भी स्वभाविक है कि सांड अपने आचरण का अनुसरण करता है। लेकिन जिनकी जान को वो खतरे में डालता है उनके लिए ये जीवन मरण का सवाल बन जाता है।  

लोगों का कहना है
सड़कों पर बड़े बड़े सांड सड़कों पर खुले घुमते रहते हैं, ये वाहनों के एकदम से सामने आ जाते हैं। हर समय इनके कारण हादसों की संभावना बनी रहती है। निगम भी इन्हें सड़कों से हटाने में बस खानापूर्ति करता है।
- ज्योति कुमारी, नयापुरा

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शहर के हर बड़े चौराहे पर सांडों का झुंड का झुंड बैठा रहता है, वाहनों को निकलने में परेशानी तो होती ही है। ये कभी भी वाहनों या लोगों पर हमला कर देते हैं। जिसके कई बार गंभीर परिणाम भी सामने आ चुके हैं।
- रूपेश जादौन, बोरखेड़ा

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इनका कहना है
सांडों को पकड़ने का लगातार कार्य लगातार किया जा रहा है आगे भी जारी रहेगा। गौशाला में जगह की कमी के चलते कभी कभी कार्य धीमा हो जाता है। जिसके लिए अधिकारियों से भी बोला हुआ है। आस पास के ग्रामीण इलाकों से आने वाले सांडों को रोकने जरूरत है तभी समस्या का समाधान हो सकेगा।
- जितेंद्र सिंह, चैयरमेन, गौशाला समिति, कोटा

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