बांधों को रखरखाव की दरकार, कंपनियां खींच रही हाथ
चंबल के बांधों का अभी तक नहीं हो पाया जीर्णोद्धार
विभागीय अधिकारी अब बड़ी कंपनियों से कर रहे सम्पर्क।
कोटा। मानसून का दौर चल रहा है, लेकिन चंबल नदी पर बने तीनों बांधों के रखरखाव का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। एक साल से निविदा की तैयारी चल रही है। अभी तक निविदा नहीं हो पाई है। संसद में तीन साल पहले बांध सुरक्षा कानून पारित हो चुका है, जिसमें बांध की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसके बावजूद बांधों के रखरखाव का कार्य नहीं हो पा रहा है। चंबल के तीनों बांधों के रखरखाव के लिए विश्व बैंक ने 183 करोड़ का बजट मंजूर कर रखा है। बजट उपलब्ध होने के बावजूद अभी तक किसी भी कम्पनी ने इस कार्य कोे करने में रुचि नहीं दिखाई है। अब जल संसाधन विभाग के अधिकारी राजस्थान से बाहर की कंपनियों से सम्पर्क कर रहे हैं। तीन बार निविदा निकाली, फिर भी हाथ खाली: जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चंबल के तीनों बांध कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणाप्रताप सागर बांध के लिए जीर्णोद्धार के लिए 183 करोड़ का प्रोजेक्ट विश्व बैंक से मंजूर हो चुका है। इसके बाद जीर्णोद्धार कार्य के लिए पिछले साल निविदा प्रक्रिया शुरू की गई थी। 12 सितम्बर 2023 को तकनीकी स्वीकृति जारी कर तीनों बांधों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थी, लेकिन किसी भी कंपनी और ठेकेदार ने निविदा नहीं भरी। दूसरी बार 10 अक्टूबर 2023 और तीसरी बार 20 जनवरी 2024 को निविदा आमंत्रित की गई। इस बार भी विभाग को निराशा हाथ लगी। इस कार्य को करने से कंपनियों ने अपने हाथ खींच रखे हैं।
तीनों बांधों के लिए इतना बजट स्वीकृत
डैम रिहेबिलिटेशन इक्वमेंट प्रोजेक्ट (डीआरआईपी) के तहत चम्बल के तीनों बांधों का जीर्णोद्धार कार्य होना था। राज्य सरकार ने साल 2020-21 में अपने बजट में जीर्णोद्धार की घोषणा की थी। वर्ल्ड बैंक से राशि जारी होने के बाद राज्य सरकार ने 22 जून को राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर व कोटा बैराज के जीर्णोद्धार के लिए 183करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी की थी। इससे हाइड्रो मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिफिकेशन के कार्य होने थे। विश्व बैंक ने कोटा बैराज के लिए 45.86 करोड़, जवाहर सागर के लिए 72.02 करोड़ और राणाप्रताप सागर बांध के लिए 65.72 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है।
चंबल के बांधों रखरखाव के लिए तीन बार निविदा आमंत्रित की जा चुकी है। अब इस सम्बंध में विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। वहीं साउथ के कंपनी और ठेकेदारों से बातचीत की जा रही है। तीनों बांधों का काम एक ही कंपनी को देने का प्रयास किया जा रहा है।
- भारतरत्न गौड़, अधिशासी अभियंता, चम्बल परियोजना खण्ड कोटा
अब विशेषज्ञों से जानेंगे कि कैसे बदलेंगे गेट
जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बांधों के गेट पानी के अन्दर ही बदले जाएंगे। इस कारण कंपनियां जीर्णोद्धार को लेकर रुचि नहीं ले रही है। पानी के अन्दर गेट बदलने का काम मुश्किल भरा है। जीर्णोद्धार के साथ ही कंपनी को इस कार्य को करना होगा। अन्य काम अलग-अलग नहीं किए जा सकते हैं। इसलिए अब इस सम्बंध में विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। वहीं अब साउथ के कंपनी और ठेकेदारों से बातचीत की जा रही है। अब कोशिश यह की जा रही है कि तीनों बांधों का काम एक ही कंपनी को दे दिया जाए। इसके लिए अब निविदा में बदलावा करने पर विचार किया जा रहा है।
ऐसे तो कम हो जाएगी बांधों की लाइफ
चम्बल नदी पर तीनों ही बांध 1960 के दशक बने हुए हैं। बांध की मशीनों और हाइड्रों उपकरणों की उम्र 40 साल होती है। जबकि बांध के सिविल वर्क की उम्र 100 साल मानाी जाती है। अब लगभग 65 वर्ष गुजरने वाले हैं। ऐसे में यदि इनका समय पर जीर्णोद्धार नहीं हुआ तो बांध की लाइफ और कम हो जाएगी। स्थिति यह है कि राणाप्रताप सागर बांध के स्लूज गेट 37 सालों से नहीं खुले हैं। गेटों से रिसाव हो रहा है। जवाहर सागर बांध का एक गेट अटका हुआ है। कोटा बैराज के गेटों की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसके बाद जीर्णोद्धार का कार्य बार-बार टल रहा है।
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