कोटा से मुंबई तक एक्सप्रेस रफ्तार में अभी दरा टनल और गुजरात की बाधा
दरा टनल का कार्य हुआ धीमा, गुजरात के दो पैकेज का कार्य पूरा होने में लगेगा एक से डेढ़ साल
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे देश के छ राज्यों से गुजर रहा है।
कोटा। कोटा से मुंबई तेज रफ्तार से जाने के लिए अभी और लंबा इंतजार करना होगा। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के पूरा होने में दरा के पास बन रही टनल का कार्य धीमा होना बाधा बन गया है। जिसका कार्य अगले साल अक्टूबर तक पूरा हो पाएगा। इसके अलावा एक्सप्रेस वे के गुजरात में चल रहे कार्य को भी पूरा होने में एक से डेढ़ साल का समय लग सकता है। जिसके बाद ही एक्सप्रेस वे पूरी तरह से चालू हो पाएगा। हालांकि इस दौरान वाहनों को अन्य वैकल्पिक मार्गों से निकाला जाएगा। जिससे वाहनों को एक्सप्रेस वे से बार बार चढ़ना और उतरना पड़ेगा। जिसमें समय के साथ ईधन भी ज्यादा लगेगा। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार जल्द ही बचे हुए कार्यों को पूरा करके एक्सप्रेस वे को पूरी तरह से खोला जाएगा।
एनएचएआई ने बदली टनल खोदने की प्रक्रिया
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर दरा में मुकुंदरा हिल्स के नीचे बन रही टनल का कार्य अभी धीमा हो गया है। जिसकी वजह टनल के सबसे कमजोर भाग में खुदाई का कार्य चलना है। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि टनल की खुदाई का लगभग 50 फीसदी कार्य हो चुका है। वहीं ये कार्य टनल के सबसे कमजोर भाग में पहुंच गया है जहां से इसके उपर 500 मीटर तक एक प्राकृतिक नाला गुजर रहा है। ऐसे में टनल की खुदाई के लिए तरीका भी बदना पड़ा है जिसमें पहले टनल की खुदाई मशीनों से ड्रिल एवं ब्लास्ट करके की जा रही थी, लेकिन अब इसके लिए पाइप रूफिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके तहत पहले टनल में पाइप रूफिंग की जाती है जिससे उपरी भाग सुरक्षित हो जाए। टनल के इस हिस्से में 8 गुणा 7 मीटर का पायलट हॉल बनाकर उसे धीरे-धीरे गहरा किया जा रहा है, जिससे पहाड़ का कमजोर हिस्से में किसी प्रकार का क्रेक न आए और जमीन धंसे नहीं। इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल का समय लग सकता है जिसके अनुसार टनल अब अगले साल अक्टूबर तक ही चालू हो पाएगी।
एक बार में टनल की 1.2 मीटर खुदाई होती है
पाइप रूफिंग तकनी के माध्यम से टनल की एक बार में 1.2 मीटर की खुदाई हो पाती है। एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि इस नई तकनीक के द्वारा टनल की एक बार खुदाई करने पर 8 मीटर चौड़ा और 7 मीटर उंचा का एक पायलट हॉल बनाया जाता है, जिसमें 300 एमएम का पाइप 15 मीटर गहराई में डालकर उसी से टनल में कांक्रीट डाला जाता है। इस प्रक्रिया से पहाड़ जिस हिस्से में खुदाई हो रही है उसके ऊपरी हिस्से में खोखलापन या कमजोरी नहीं आती है और वो सुरक्षित रहता है। इस तरह से एक बार में केवल 1.2 मीटर टनल आगे बढ़ती है, जिसके बाद फिर से पाइप रूफिंग की जाती है। टनल की कुल लंबाई 4900 मीटर होगी, जिसमें से 3300 मीटर की टनल पहाड़ के नीचे से बनाई जाएगी और बाहर की ओर दोनों तरफ 500-500 मीटर के हिस्से को बफर बनाया जाएगा। वहीं पहाड़ के नीचे वाले हिस्से में टनल की अभी तक 2855 मीटर की खुदाई हो चुकी है।
गुजरात में दो पैकेज का कार्य भी अधूरा
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे देश के छ राज्यों से गुजर रहा है। जिसमें इसका कार्य केवल गुजरात को छोड़कर वहीं बाकि राज्यों में लगभग पूरा हो चुका है। एक्सप्रेस वे का गुजरात के वलसाड जिले में 35 किलोमीटर और नवसारी जिले में 27 किलोमीटर का कार्य अधूरा है। इसमें भी वलसाड सेक्शन का कार्य अप्रैल और नवसारी सेक्शन का कार्य इसी माह शुरू हुआ है। जिन्हें पूरा होने में लगभग एक साल का समय लगेगा जिसके बाद ही एक्सप्रेस वे पूरी तरह से चालू हो पाएगा।
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