राष्ट्रीय खेल नियामक बोर्ड बनेगा, विवाद सुलझाएगा न्यायाधिकरण, बिना मान्यता राष्ट्रीय ध्वज और नाम के उपयोग पर जेल और जुर्माने का प्रावधान

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2024 का मसौदा तैयार, सरकार ने 25 तक मांगे आमजन से सुझाव

राष्ट्रीय खेल नियामक बोर्ड बनेगा, विवाद सुलझाएगा न्यायाधिकरण, बिना मान्यता राष्ट्रीय ध्वज और नाम के उपयोग पर जेल और जुर्माने का प्रावधान

अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसलों के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकेगी।

जयपुर। केन्द्र सरकार के प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2024 का मसौदा केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने सार्वजनिक डोमेन में डाला है और सभी से इस पर सुझाव आमंत्रित किए हैं। मंत्रालय ने 25 अक्टूबर तक सुझाव मांगे हैं। इस खेल विधेयक का उद्देश्य सुशासन के साथ खेलों का विकास और संवर्धन, खिलाड़ियों के लिए कल्याणकारी उपाय, खेल संघों के गठन और संचालन में सुशासन तथा खेल संबंधी शिकायतों और खेल संघों में विवादों के समाधान के लिए न्यायसंगत और प्रभावी व्यवस्था स्थापित करना है। 

इसके लिए विधेयक में खेल नियामक बोर्ड बनाने, एथलीट आयोग के गठन, खेल संघों के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए खेल चुनाव पैनल और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन जैसे प्रावधान किए गए हैं। वहीं बगैर मान्यता हासिल किए खेल संघों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज और चिन्ह का उपयोग किए जाने पर जेल सजा और जुर्माना का प्रावधान भी किया गया है।
अपीलीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना की जाएगी। इसकी स्थापना, न्यायाधिकरण और उसकी पीठों की संरचना, सदस्यों के चयन का तरीका, योग्यताएं और कार्यकाल तथा न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार केन्द्र सरकार निर्धारित करेगी। अपीलीय खेल न्यायाधिकरण का चयन सरकार चयन समिति की सिफारिशों पर करेगी। चयन समिति में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे, जबकि खेल सचिव और विधि सचिव पदेन सदस्य होंगे। अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसलों के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकेगी।

भारतीय खेल नियामक बोर्ड 
विधेयक में भारतीय खेल नियामक बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है। बोर्ड का गठन, नियुक्ति प्रक्रिया, सदस्यों की पात्रता मानदंड और कार्यकाल केन्द्र सरकार निर्धारित करेगी। खेल नियामक बोर्ड नेशनल ओलंपिक, नेशनल पैरालंपिक, नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन और रीजनल स्पोर्ट्स फेडरेशनों और उनकी संबद्ध इकाइयों के प्रशासन को विनियमित करेगा ताकि देश में खेल प्रबंधन और प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता सुनिश्चित हो सके।

बोर्ड को इन संस्थाओं को आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार होगा। साथ ही बोर्ड द्वारा निर्धारित शासन, वित्तीय और नैतिक मानकों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड राष्ट्रीय ओलंपिक संघ समेत सभी राष्ट्रीय और रीजनल खेल महासंघों और उनकी संबद्ध इकाइयों को मान्यता प्रदान करेगा। बोर्ड के पास लेखा परीक्षा और जांच के अधिकार होंगे और वह ऐसा स्वप्रेरणा से या तीसरे पक्ष की शिकायत पर भी कर सकता है। उचित कारण पर बोर्ड को राष्ट्रीय ओलंपिक, पैरालंपिक, राष्ट्रीय और रीजनल खेल संघों की मान्यता को निलंबित या रद्द करने का अधिकार होगा। 

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नैतिक आयोग 
भ्रष्टाचार, हितों के टकराव और अन्य नैतिक मुद्दों के समाधान के लिए सात सदस्यीय राष्ट्रीय ओलंपिक समिति नैतिक आयोग का गठन किया जाएगा। इनमें चार सदस्य कानूनी पृष्ठभूमि के होंगे, जबकि तीन पुरुष और तीन महिला सदस्य होंगे। नैतिक आयोग के निर्णय के खिलाफ अपीलीय खेल न्यायाधिकरण में अपील का अधिकार होगा। 

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