जवाहरलाल नेहरू ने लाइब्रेरी में किताबें नहीं मिलने पर उद्घाटन से किया था इंकार, लोग रह गए हैरान
पुस्तक में इस घटना का विस्तार से उल्लेख किया है
ये कोई पुस्तकालय नहीं है और वह वहां से चले गए। ये वाकया भारत में तत्कालीन स्वीडिश राजदूत अल्वा मिर्डल ने इतिहासकार बी. आर. नंदा को बताया था।
जयपुर। राजस्थान के लोगों के लिए यह जानना हैरानीजनक है कि एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जोधपुर में एक सार्वजनिक पुस्तकालय का फीता काटने से ठीक पहले उद्घाटन करने से मना कर दिया था। उनके ऐसा करने से प्रदेश के मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्री और वहां मौजूद बहुत सारे लोग हैरान रह गए थे। पंडित नेहरू एक पुस्तकालय का उद्घाटन करने के लिए बुला लिए गए थे। पुस्तकालय के लिए रिबन आदि लगा दिए गए थे। पूरा भवन सजा हुआ था और उस समय लोग गुलदस्ते लेकर खड़े हुए थे।
नेहरू के गले में फूलमालाएं और हाथ में कैंची थी। नेहरू खुद भी किताबों के बहुत शौकीन थे। लेकिन जैसे ही उन्हें रिबन काटने को कहा गया तो नेहरू ने कहा, आइए पहले पुस्तकें देखते हैं। उनका यह कहना था कि सभी अवाक रह गए। नेहरू तेजी से भीतर गए, तो उन्होंने पाया कि सिर्फ इमारत तैयार थी, वहां कोई किताबें नहीं थीं। उन्होंने कहा, बिना पुस्तकों के कोई पुस्तकालय कैसे हो सकता है। ये कोई पुस्तकालय नहीं है और वह वहां से चले गए। ये वाकया भारत में तत्कालीन स्वीडिश राजदूत अल्वा मिर्डल ने इतिहासकार बी. आर. नंदा को बताया था। मिर्डल उस दिन पंडित नेहरू के साथ राजस्थान आई थीं। नंदा ने जवाहरलाल नेहरू : रेबेल एंड स्टेट्समैन पुस्तक में इस घटना का विस्तार से उल्लेख किया है, लेकिन शहर का नाम नहीं लिखा है। इसके इलावा भी नेहरूजी ने राजस्थान में कई दौरे किए।
जब व्यास को रिहा करवाया जेल से
वे 1945 में राजस्थान आए थे। उस समय जोधपुर के ब्रिटिश दीवान को हटाने का आंदोलन चल रहा था और इस मामले में जय नारायण व्यास को जोधपुर रियासत ने जेल में डाल दिया था। नेहरूजी के समझाने पर जोधपुर महाराज उम्मेद सिंहजी ने अपने दीवान को हटाया और जय नारायण व्यास को रिहा करवाया।
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