सर्वेक्षण में जिन कामों के अधिक अंक, उनमें नहीं हुआ सुधार

दोनों नगर निगम शहर में सफाई करवाने में जुटे

सर्वेक्षण में जिन कामों के अधिक अंक, उनमें नहीं हुआ सुधार

शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से नियमित सफाई करवाई जाती है।

कोटा ।  स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर साल केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से करवाए जाने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केन्द्र की टीम के इस बार जनवरी में आने की संभावना है। टीम के आने से पहले हालांकि दोनों नगर निगमों ने  शहर में साफ सफाई करवाना शुरु कर दी है।  लेकिन सर्वेक्षण में जिन कामों के अधिक अंक मिलते हैं उनमें नगर निगम अभी तक भी सुधार नहीं कर पाए हैं।  शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से नियमित सफाई करवाई जाती है। सफाई की शुरुआत दोनों निगमों द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण के माध्यम से की जा रही है। कोटा उत्तर के सभी 70 वार्डों में पहले जहां नगर निगम के माध्यम से टिपरों का संचालन किया जा रहा था। वहीं अब यह काम निगम द्वारा संवेदक के माध्यम से कराया जा रहा है। हर वार्ड में दो-दो टिपर चलाए जा रहे है।जबकि पूर्व में यह काम तीन-तीन टिपरों से किया जा रहा था। हालांकि कोटा दक्षिण निगम के 80 वार्डों में अभी यह  घर-घर कचरा संग्रहण का काम नगर निगम द्वारा ही किया जा रहा है।  दोनों नगर निगमों की ओर से नियमित सफाई के अलावा विशेष अभियान चलाकर भी सफाई करवाई जा रही है। जिससे दो माह बाद आने वाली टीम को शहर साफ सुधरा नजर आ सके। 

गीला-सूखा कचरा नहीं हो सका अलग-अलग
नगर निगम की ओर से हर साल सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी घरों से एकत्र किए जा रहे गीले-सूखे कचरे को अभी तक भी अलग-अलग नहीं किया जा सका है। हालांकि ट्रेचिंग ग्राउंड में उस कचरे की छटनी की जा रही है। बाजारों में भी कचरा पात्र तो रखवाए गए हैं लेकिन उनमें भी एक साथ ही कचरा डाला जा रहा है। जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण में गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करने(सेग्रीगेशन) के अंक निर्धारित हैं। कोटा के दोनों नगर निगम इस श्रेणी में हमेशा पिछड़ते हैं। 

ट्रेचिंग ग्राउंड का कचरा बड़ी समस्या
नगर निगम के लिए नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड का कचरा बड़ी समस्या बना हुआ है। यहां शहर से रोजाना निकलने वाले करीब 450 टन से अधिक  कचरा आने से कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ लग रहे है। हालांकि निगम कीओर से पूर्व में करीब 16 करोड़ रुपए का टेंडर कर 5 लाख क्यूविक मेट्रिक टन कचरे का निस्तारण कर उसे साफ कराया जा चुका है। लेकिन उसके बाद बजट के अभाव में शेष कचरे का समाधान नहीं हो सका है। जबकि ट्रेचिंग ग्राउंड के साफ होने के भी अंक सर्वेक्षण में शामिल होते है। कोटा नगर निगम इसमें भी हमेशा पिछड़ता रहा है। 

सिटीजन फीडबैक के भी अंक
सर्वेक्षण में जहां केन्द्रीय टीम द्वारा मौके पर आकर शहर की सफाई व्तवस्था, सार्वजनिक शौचालयों कीसफाई, मार्केट कीसफाई, रात्रि कालीन सफाई व कचरे का निस्तारण संबंधी काम देखे जाते है। वहीं सिटीजन फीड बैक भी सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण भाग है। इसमें शहर के लोगों से आॅनलाइन कई सवाल पूछे जाते हैं। जिनके आधार पर अंक मिलते है और रैकिंग में उपयोगी रहते हैं। शुरुआती सर्वेक्षण में तो कोटा नगर निगम को इस श्रेणी में सबसे अधिक अंक मिले थे लेकिन उसके बाद लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होने व निगम कीओर से प्रचार-प्रसार का अभाव रहने से इस श्रेणी में भीनिगम  को अपेक्षा अनुरूप अंक नहीं मिल पा रहेहैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में हर नगर निगम को 9500 में से अंक दिए जाते हैं। लेकिन पिछले कई सालों से दोनों नगर निगम रैकिंग में ऊपर बढ़ने की जगह नीचे हीजाते जा रहे हैं। हालांकि निगम अधिकारी व महापौर दावा तो करतेहैं कि रैकिंग में सुधार होगा लेकिन हो नहीं पा रहा है। 

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पूरे साल सही तरीके से हो सफाई
लोगों का कहना है कि केवल टीम को दिखाने और नम्बर बढ़ाने के लिए ही नहीं नगर निगम  पूरे साल इसी तरह से सफाई करवाए।  बल्लभबाड़ी निवासी गिरधारी लाल मालव का कहना है कि शहर की पॉश कॉलोनियों में ही जगह-जगहपर कचरे के ढेर दिनभर पड़े रहतेहैं। नगर निगम सही ढंग सेसफाई करवाए तो शहर साफ दिख सकता है। हालांकि लोगों को भीइस बारे में जागरूक होना पड़ेगा। गुमानपुरा निवासी रमेश खत्री का कहना है कि नगर निगम की ओर से विशेष अवसरों पर तो सफाई के लिए अभियान चलाकर पूरे संसाधन लगा दिए जाते हैं। या किसी वीआईपी केआने पर तो शहर में सफाई दिखने लगतीहै। लेकिन सामान्य दिनों में उतनीसफाई नजर नहीं आती। जबकि सफाई का काम नियमित हो तो अभियान चलाने  की जरूरत हीनहीं रहेगी।

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दस्तावेज अपलोड में तकनीकी टीम का अभाव
नगर निगम को ओर से शहर को स्वच्छ बनाने संबंधी जो भीकाम व प्रयास किए जा रहे है। उनसे संबंधित दस्तावेजों को स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइड पर अपलोड करना होता है। नगर निगम  के पास तकनीकीटीम का अभाव होनेसे इस बार कोटा दक्षिण द्वारा यह काम निजी फर्म के माध्यम से कराया जाएगा।जिसके लिए करीब 5 लाख रुपए का टेंडर भी  जारी किया जाना है।  दस्तावेज अपलोड होने के बाद केन्द्रीय टीम द्वाार उसका भौतिक सत्यापन किया जाता है। 

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इनका  कहना है
नगर निगम की ओर से सफाई नियमित रूप से करवाईजा रही है। जहां शिकायत आतीहै वहां विशेष रूप से  जन स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से स्वास्व्य निरीक्षक व जमादारों को कहकर सफाई करवा रहे हैं। सेक्टर दो को मॉडल सेक्टर के रूप में लेकर इसके 11 वार्डों में विशेष सफाई करवाई जाएगी। उसके बाद उसे पूरे क्षेत्र में लागू किया जाएगा। निगम केवल रैकिंग सुधार के लिए हीनहीं शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने केलिए सफाई करवाता है। 
- राजीव अग्रवााल, महापौर नगर निगम कोटा दक्षिण

शहर में नगर निगम की ओर से नियमित सफाई करवाई जा रहीहै। गत दिनों दस दिन का विशेष अभियान भी चलाया गया था। वर्तमान में भी सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहाहै।जहां भी गंदगी होने व कचरा नहीं उठने कीशिकायतें आ रहीहैं तो उनका स्वयं मौके पर जाकर समाधान कराया जा रहा है। गीला सूखे कचरे को अलग करने केभी प्रयास जारीहै। नए आने वाले कचरे के निस्तारण के लिए ट्रेचिंग ग्राउंड में काम शुरू कर दिया है।  जिससे  रोजाना निकलने वाले कचरे को एकत्र ही नहीं होने दिया जाए। हालांकि लीगेसी वेस्ट के लिए बजट नहीं होने से  वह काम अटका हुआ है। 
-अशोक त्यागी, आयुक्त, नगर निगम कोटा उत्तर 

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