पैलेस ऑफ़ वरशिप के साथ किसी तरह की छेड़-छाड़ नहीं हो: चिदम्बरम
चिदंबरम ने कश्मीर मुद्दे पर भी बड़ा बयान दिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने देश में चल रहे पूजा के अधिकार मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि पैलेस ऑफ वरशिप एक्ट में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
जयपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने देश में चल रहे पूजा के अधिकार मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि पैलेस ऑफ वरशिप एक्ट में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। चिदंबरम ने कश्मीर मुद्दे पर भी बड़ा बयान दिया है।
चिंतन शिविर के दौरान मीडिया से बात करते हुए चिदंबरम ने कहा कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्या की हम भी निंदा करते हैं। उनके दुख में हम उनके साथ खड़े हैं, लेकिन कश्मीर में हालातों को ठीक करने के लिए वहां के लोगों से संवाद करना होगा। केंद्र सरकार कश्मीर के हालातों को ठीक नहीं कर पाई है। धारा 370 हटाने के बाद हुए दावे पर सरकार खरी नहीं उतरी है। ज्ञानव्यापी मस्जिद के मुद्दे के बीच देश मे उठ रहे पूजा का अधिकार विवाद पर चिदंबरम ने कहा कि नरसिम्हा राव की सरकार में पूजा का अधिकार (पैलेस ऑफ वरशिप एक्ट) आया था। देश में फ़िलहाल इसकी पालना नहीं हो रही है।पैलेस ऑफ़ वरशिप के साथ किसी तरह की छेड़-छाड़ नहीं की जानी चाहिए। इस तरह के प्रयासों से विरोधाभास की स्थिति पैदा होती है।
ये है वरशिप एक्ट:
अगर 15 अगस्त 1947 को कहीं मंदिर है तो वो मंदिर ही रहेगा और कहीं मस्जिद है तो वो मस्जिद ही रहेगी। अयोध्या विवाद को इस कानून के तहत नहीं लाया गया। जून 2020 में इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इन दिनों यह एक चर्चा में हैं। इस एक्ट के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि विवाद के दौरान भी चर्चा की थी। पांच जजों की बेंच ने 1045 पेजों के फैसले में इसके बारे में कहा था कि ये भारत के सेक्यूलर चरित्र को मजबूत करता है, 30 सितंबर 2020 को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सटी ईदगाह को हटाने के केस को खारिज करते हुए। सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट ने भी इस कानून का जिक्र किया था। कोर्ट का कहना था कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत सभी धर्मस्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली रखी जानी है। इस कानून में सिर्फ अयोध्या मामले को अपवाद रखा गया था।
इसलिए बना यह एक्ट:
बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद के बाद उस वक्त की पीवी नरसिंहा राव की सरकार ने सिंतबर 1991 में एक कानून बनाया, जिसके मुताबिक हर धार्मिक स्थल को 15 अगस्त 1947 की स्थिति में बनाये रखने की व्यवस्था की गयी। इस कानून से अयोध्या मंदिर मस्जिद विवाद को अलग रखा गया था, क्योंकि ये केस लंबे वक्त से कोर्ट में था और दोनों पक्षों को मिटाने की कोशिश हो रही थी।
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