मौसम: अगले 5 वर्षों में टूट सकता है तापमान का बैरियर

भारत में कम नहीं होगी भयानक हीट वेव : मौसम विशेषज्ञ

मौसम: अगले 5 वर्षों में टूट सकता है तापमान का बैरियर

विश्व मौसम संगठन का आकलन है कि अगले पांच सालों में कोई एक साल ऐसा हो सकता है जिसमें धरती की तापमान वृद्धि का 1.5 डिग्री का बैरियर टूट जाये।

नई दिल्ली। विश्व मौसम संगठन का आकलन है कि अगले पांच सालों में कोई एक साल ऐसा हो सकता है जिसमें धरती की तापमान वृद्धि का 1.5 डिग्री का बैरियर टूट जाये। विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्लूएमओ की ओर से जारी नई रिपोर्ट द ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट के हवाले से पता चला है कि इस बात की करीब 48 फीसदी आशंका है कि अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में होती वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी। यह अनुमान ऐसे समय आया है जब भारत समेत पूरा दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप भयानक हीट वेब की चपेट में हैं। पाकिस्तान में सूखा पड़ा है और भीषण गर्मी से जनता बेहाल है। उधर, शोध ये भी बता रहे हैं कि ग्लेशियरों के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से उबरना कठिन होता जा रहा है। भारत पिछले कुछ हफ्तों से भयानक हीट वेब की मार झेल रहा है। मौसम विभाग की घोषणा के हिसाब से गुरुवार को देश में हीट वेब का दूसरा दौर शुरू हो गया। राजस्थान के धौलपुर, अलवर, करौली और नागौर में तापमान गुरुवार को 46 डिग्री से ऊपर रहा। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा जिले में दिन का अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

दिल्ली, यूपी में तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर
भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मई में बांदा में यह अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। जिले में पिछला अधिकतम तापमान 31 मई 1994 को 48.8 डिग्री सेल्सियस था। इससे पहले दिल्ली और उत्तर प्रदेश में तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेड और उससे ऊपर तक चले गये। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और बिहार में तापमान सामान्य से 5.1 डिग्री तक अधिक रहा। जयपुर में रविवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री ऊपर था। गुजरात में गर्मी के कारण पेड़ों से पक्षियों के बेहोश होकर गिरने की खबर आई। इस बीच देश में भीषण गर्मी के बीच प्रायद्वीप के इलाकों में भारी बारिश की खबर है। केरल ने पांच जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है।


आईएमडी यानी मौसम विभाग ने राज्य में 27 मई तक जल्द मानसून के आने की घोषणा की है। आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा चक्रवाती तूफान असानी और करीम के कारण हो रहा है। ऐसे में वैश्विक तापमान में होती वृद्धि पहले ही पूर्व-औद्योगिक काल के औसत तापमान स्तर से 1.1 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो चुकी है। मतलब कि इसके पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचने से केवल 0.4 डिग्री सेल्सियस दूर है।


टूट सकता है सबसे गर्म साल का रिकॉर्ड
कुछ साल पहले तक कहा जा रहा था कि साल 2050 या 2040 तक धरती का तापमान डेढ़ डिग्री की लक्ष्मण रेखा को पार करेगा जो दुनिया में तबाही की घंटी है लेकिन अब यह अगले कुछ ही सालों में होता दिख रहा है। जी हां, विश्व मौसम संगठन यानी डब्लूएमओ ने कहा है कि इस बात की 50: 50 आशंका है कि अगले 5 साल में धरती का तापमान 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि हासिल कर ले। रिपोर्ट में इस बात की भी 93 फीसदी आशंका जताई है कि वर्ष 2022 से 2026 के बीच कम से कम कोई एक साल ऐसा हो सकता है जो इतिहास के अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज हो सकता है, जो 2016 के सबसे अधिक गर्म होने के रिकॉर्ड को तोड़ देगा। यूएन एजेंसी प्रमुख पेटेरी तालास ने चेतावनी दी है कि इसके साथ-साथ हमारे महासागर गर्म और अधिक क्षारीय होते जाएंगे।

इसके साथ ही समुद्र और ग्लेशियरों में जमा बर्फ पिघलती रहेगी हिमनदों के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से उबरना कहीं अधिक कठिन होगा। स्टॉकहोम विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में कहा है कि ग्रीनलैंड जैसे इलाकों में बर्फ की दीवार (आइस शेल्फ) अगर बढ़ते तापमान के कारण टूट जाती है तो वह फिर दोबारा खड़ी नहीं हो सकती चाहे ग्लोबल वार्मिंग रुक भी जाए।
ग्लेशियरों की बर्फ पहले के मुकाबले 30% अधिक पिघल रही


अंतराष्ट्रीय विज्ञान जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक यह आइस शेल्फ, ध्रुवीय बर्फ की चादरों को होनी वाली क्षति को भी कम करती हैं। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लेशियरों की बर्फ अब पहले के मुकाबले 30% अधिक पिघल रही है। भारत के लिये यह शोध विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां के हिमालयी क्षेत्र में 10 हजार से अधिक छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं।

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