स्वास्थ्य से खिलवाड़: घटिया व मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं सडे-गले फलों की बिक्री जारी

तेज गर्मी के मौसम में जहाँ शुद्ध खाद्य पदार्थ एवं ताजा फल-सब्जी तथा अन्य वस्तुयें भी ताजा मिलनी चाहिए

स्वास्थ्य से खिलवाड़: घटिया व मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं सडे-गले फलों की बिक्री जारी

करौली। तेज गर्मी का मौसम चल रहा है और उसमें शुद्ध खाद्य पदार्थ एवं ताजा फल-सब्जी तथा अन्य वस्तुयें भी ताजा मिलनी चाहिए किंतु जिला मुख्यालय करौली के बाजारों में घटिया व मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं सडे-गले फलों की बिक्री धडल्ले से होती देखी जा सकती है।

करौली। तेज गर्मी का मौसम चल रहा है और उसमें शुद्ध खाद्य पदार्थ एवं ताजा फल-सब्जी तथा अन्य वस्तुयें भी ताजा मिलनी चाहिए किंतु जिला मुख्यालय करौली के बाजारों में घटिया व मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं सडे-गले फलों की बिक्री धडल्ले से होती देखी जा सकती है। आम आदमी अब यहाँ पर घटिया एवं मिलावटी खाद्य पदार्थो की शिकायत करते हुए मिल रहा है। सबसे ज्यादा दूधियाओं की मनमानी चल रही है जो कि शुद्ध तो बेचना ही नहीं चाहते। पानी मिला एवं क्रीम निकला दूध यहाँ खूब बिक रहा है

गांवों से मोटर साईकिलों पर एवं अन्य साधनों से दूधियां दूध लाते है वह पहले उनकी क्रीम निकलवाते है इसके बाद लोगों को दूध देते है। दूधियां कभी आधा प्योर और आधा फिल्टर दूध (क्रीम निकला हुआ) मिलाकर दूध बेचते है तो कभी प्योर दूध में पानी मिलाकर बेचते है इस प्रकार जन स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड रहा है। देशी घी की तो बाजार में इतनी ब्रांडों के वाजार में है कि उनमें असली कौनसी और नकली कौनसी इसका भेद ही नहीं हो पा रहा है। देशी घी 200-250 तथा 300से 400 और पांच सौ रूपये तक का मिल रहा है यह समझ में नहीं आता कि यह अलग-अलग भाव क्यों है। करौली में देशी घी बेचने वाले जो कि बाहर अन्य प्रांत से देशी घी लाकर बेचते है

वह बगैर लेखा जोखा के बगैर बिल के ही काम कर रहे है। ऐसे में सरकार को राजस्व का चूना भी लगा रहे हैं। करौली में जब मिलावटी एवं घटिया खाद्य पदार्थो एवं सडे-गले फलों की बिक्री की बात लोगों द्वारा उठाई जाती है तो जिले के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा महज खानापूर्ति शुरू की जाती है चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हर बार केवल हिदायत देना और चेतावनी देकर ही अपना कर्तव्य पूरा मान लेते हेैं जबकि सैम्पलिंग भी होनी चाहिए वह भी वहाँ से जहाँ की थोक में वस्तुएं लोग बेचते है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं खाद्य निरीक्षक यह तो कहते है कि करौली जिले में मिलावटी खाद्य वस्तुओं, रंगदार मिठाई, नमकीन, सडे-गले फलों के उपभोक्ताओं को खाने के बाद बीमारियां बढ जाती है इन्हें रोकने के लिए कार्रवाई की जाती है किंतु कितने सैम्पल हुए और उनमें पिछले समय के जो सैम्पल लिए और जो जांच में मिलावट होना पाया गया उन मिलावटियों या अन्य के खिलाफ क्या कार्यवाही हुई क्या पुलिस में मामला दर्ज कराया गया इन सब प्रश्नों को वह गोलमोल कर जाते है।


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