खुद से शादी : क्यों बढ़ रहा है सोलोगैमी का चलन

पॉलिगामी अर्थात बहु विवाह के बारे में सुना होगा, लेकिन कोई इंसान जब खुद से ही शादी करता है, तो उसे सोलोगैमी कहा जाता है।

खुद से शादी : क्यों बढ़ रहा है सोलोगैमी का चलन

भारत के गुजरात राज्य की एक महिला ने सोलोगैमी की राह अपनाई है और इस तरह उन्होंने खुद से ही शादी की हैं। इतना ही नहीं शादी के बाद उन्होंने हनीमून पर जाने का प्लॉन भी बनाया है।

सोलोगैमी एक ऐसा शब्द है, जो शायद बहुत से लोगों के लिए नया हो। आपने पॉलिगामी अर्थात बहु विवाह के बारे में सुना होगा, लेकिन कोई इंसान जब खुद से ही शादी करता है, तो उसे सोलोगैमी कहा जाता है। भारत के गुजरात राज्य की एक महिला ने सोलोगैमी की राह अपनाई है और इस तरह उन्होंने खुद से ही शादी की हैं। इतना ही नहीं शादी के बाद उन्होंने हनीमून पर जाने का प्लॉन भी बनाया है।


    देश की पहली शादी उनकी शादी देश की अपनी तरह की पहली शादी है। उनकी शादी से दूल्हा ही गायब है,उन्होंने खुद से शादी की है। उन्होंने शादी करने के लिए पार्टनर के रूप में खुद को ही चुना है।
    शादी में सभी परंपराओं का पालन भी किया हैउन्होंने इंटरनेट पर सर्च किया कि भारत में किसी ने यह राह अपनाई है या नहीं। लेकिन उन्हें ऐसा कोई भी केस नही मिला। एक निजी फर्म में काम करने वाली क्षमा बिन्दु ने कहा कि उनकी शादी देश में सेल्फ.लव की पहली मिसाल हो गई   है। सेल्फमैरिज का अर्थ समझाते हुए बिंदु ने कहा कि यह अपने लिए कमिटमेंट और स्वयं के लिए बिना शर्त प्यार था।
    क्या है सोलोगैमी
तो अब चलिए सोलोगैमी के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं। सोलोगैमी को सेल्फ मैरिज या स्व-विवाह भी कहा जाता सकता है। यह एक तरह से सिम्बॉलिक सेरेमनी है जहां व्यक्ति खुद के साथ ही प्रेमपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए कमिटमेंट करता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि इसका मतलब सिंगलडम या ब्रह्मचर्य हो। इस विचार को पहली बार 2003 में प्रसारित एक शो के एपिसोड में पेश किया गया था, जहां शो का मुख्य पात्र खुद से शादी करने के बारे में सोचता है। भारत में यह अपनी तरह का पहला मामला है, लेकिन ब्रिटेन, आॅस्ट्रेलिया, जापान, ताइवान और अमेरिका में अधिक से अधिक महिलाओं ने सोलोगैमी की राह अपनाई है।
    क्या है कानून
सोलोगैमी को लेकर क्या है कानून अब तक एकल विवाह को किसी भी देश के कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। आमतौर पर एक सेल्फ मैरिज सेरेमनी समारोह ज्यादातर प्रतीकात्मक होती है और कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होती है। जिसका सीधा सा अर्थ यह है कि किसी को किसी कानूनी दस्तावेज पर अपनी वैवाहिक स्थिति को बदलने की जरूरत नहीं है।
    कानूनी समर्थन नहीं
जहां तक बात भारत की है, तो यहां पर एकल विवाह को कोई कानूनी समर्थन या मान्यता प्राप्त नहीं है। भारतीय कानूनों के अनुसार आप खुद से शादी नहीं कर सकते। शादी में दो व्यक्ति होने चाहिए। सोलोगैमी कानूनी नहीं है।

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